रेस्क्यू टीम को 1200 गज में फैले आश्रम के अंदर बने 22 कमरों में से 13 कमरों में लड़कियां बंद मिलीं जिन्हें ताले तोड़कर बाहर निकाला गया.
Trending Photos
नई दिल्ली: सिरसा के डेरा सच्चा सौदा के आश्रम के बाद देश की नजर रोहिणी के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर चल रहे एक आश्रम पर टिक गई हैं. गौरतलब है कि रोहिणी में बाबा वीरेंद्र के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में गुरुवार को हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त टीम ने 9 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था. इस दौरान 41 लड़कियों को वहां से मुक्त कराया गया. कई लोगों ने आरोप लगाया है कि बाबा यहां बंधक बना कर रखी गईं कम उम्र लड़कियों को दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाता रहा है.
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में हुई इस मामले की सुनवाई में कोर्ट एक बार फिर वीरेंद्र देव दीक्षित को लेकर नाराज नजर आई. कोर्ट ने कहा है कि अगर आश्रम के संचालक वीरेंद्र देव दीक्षित के बारे में जानकारी नहीं पेश की गई तो वारंट जारी कर दिया जाएगा. कोर्ट ने इसके साथ ही दीक्षित के सभी 8 आश्रमों की लिस्ट भी मांगी है.
Delhi High Court also asked for a list of all 8 Ashrams of Virendra Dev Dikshit to be produced as soon as possible. Court also questioned the meditation being taught if the inmates are being forcibly kept in prison-like conditions.
— ANI (@ANI) December 22, 2017
रोहिणी में बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम के पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने मीडिया को बताया, "पिछले 20-22 वर्षों में, कई शिकायतकर्ताओं ने पुलिस से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मुझे मीडिया में आवाज उठाने के लिए धमकी भी दी गई थी, लेकिन मुझे डर नहीं था. मैं निर्दोष लड़कियों को बचाना चाहती थी."
In the last 20-22 years, numerous complainants have approached the Police, but to no avail. I was also threatened for raising my voice in the media, but I was not afraid,wanted to save innocent girls: Neighbour of Baba Virendra Dev Dikshit's Ashram in Delhi's Rohini pic.twitter.com/10Suhe2uW8
— ANI (@ANI) December 22, 2017
आश्रम में कैद थीं पुलिस अधिकारियों की बेटियां
रेस्क्यू टीम को 1200 गज में फैले आश्रम के अंदर बने 22 कमरों में से 13 कमरों में लड़कियां बंद मिलीं जिन्हें ताले तोड़कर बाहर निकाला गया. जानकारी के मुताबिक जिन लड़कियों को आश्रम से मुक्त कराया गया कि इनमें तीन लड़कियां दिल्ली पुलिस से रिटायर्ड इंस्पेक्टरों की हैं. जबकि दो अन्य कर्मचारियों की हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस लड़की ने बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित के कारनामों का खुलासा किया था, उसका भाई सीबीआई इंस्पेक्टर है. एक खबर के मुताबिक दिल्ली पुलिस के एक हवलदार की बेटी भी आश्रम में कैद थी. हवलदार उसे निकालने के लिए काफी कोशिशें भी कर चुका था.
ऐसे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
महिला आयोग चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में आश्रम में मौजूद 170 से अधिक महिला और लड़कियों में से 41 नाबालिग लड़कियों को निकालकर शेल्टर होम पहुंचाया गया. इस दौरान मीडिया की नजरों से बचाने के लिए पहले पुलिस ने माइक से ऐलान किया कि इस इलाके में फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पूरी तरह प्रतिबंधित है. लेकिन जब ऐलान का असर होता नहीं दिखा और मीडिया के कैमरे आश्रम के गेट पर फोकस किए रहे तो फिर लड़कियों को बाहर निकालने के लिए आश्रम के दरवाजे से बस के बीच एक मानव श्रृंखलाकर बनाकर चादर और दरियों की एक दीवार बना दी गई. उस दीवार के पीछे से छिपाकर सभी लड़कियों को बस में चढ़ाया गया.
आश्रम में मिला आपत्तिजनक सामान और दवाओं का जखीरा
दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि आश्रम का माहौल काफी डराने वाला है. अगर मैं अंदर रुक जाऊं तो बचकर बाहर नहीं आ सकती. स्वाति ने मीडिया को बताया कि आश्रम के अंदर काफी ऐसा सामान निकला है जो हैरान करने वाला था. आश्रम से दवाओं का जखीरा समेत तमाम आपत्तिनक पत्र भी मिले हैं. इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का भी दावा किया गया है कि आश्रम से तमाम कंडोम और नशे के इंजेक्शन भी बरामद किए गए हैं.
सभी 41 लड़कियों का हुआ जनरल चेकअप
डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) की ओर से दो सदस्यीय टीम को आश्रम के अंदर गुरुवार को भेजा गया था. गुरुवार को कुल 41 लड़कियों का जनरल चेकअप किया गया था. आश्रम में महिलाओं से ज्यादा नाबालिग लड़कियां और युवतियां मिलीं.
इस आश्रम में भी सामने आई सुरंग
विश्वविद्यालय परिसर में दो आश्रम हैं. एक मुख्य और दूसरा वीवीआईपी आश्रम. वीवीआईपी आश्रम हाल में बनाया गया है. इसे मुख्य आश्रम से जोड़ने के लिए सुरंग बनाई गई है. बताया जाता है कि इसी सुरंग के रास्ते से वीवीआईपी आश्रम में सुख-सुविधाओं के सामान पहुंचाए जाते हैं जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं.
उम्र के हिसाब से तय होता था काम
आश्रम के संचालक वीरेन्द्र देव ने हर उम्र की लड़कियों के लिए काम तय कर रखा था. आश्रम की तीसरी मंजिल पर वह खुद रहता था. वहां 28 साल तक की लड़कियां ही रह सकती थीं. 28 से 40 साल तक की महिलाओं को चौथी मंजिल पर रखा जाता था. उनका काम कपड़े और बर्तन धोना, आश्रम की सफाई करना, खाना बनाना, और चावल-गेहूं की सफाई करना था. 40 साल से अधिक उम्र की महिलाएं सत्संग किया करती थीं.
5 राज्यों के साथ नेपाल में भी आश्रम
मुख्यआश्रम के कर्मचारी की मानें तो दिल्ली, पंजाब, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में वीरेन्द्र देव का आश्रम है. इसका मुख्यालय राजस्थान के माउंट आबू में है, जहां वह सबसे अधिक रहता था. नेपाल में भी वीरेन्द्र का आश्रम है. आश्रम में मौजूद लोगों के लिए साल में तीन बार अनाज आता था.
कोर्ट ने पूछा कहां है वीरेंद्र देव दीक्षित
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उधर इसी मामले की सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को 168 ऐसी महिलाओं और लड़कियों की लिस्ट पेश की गई जो आश्रम में कथित रूप से बंदी थीं. इसके बाद हाईकोर्ट ने पूछा कि आश्रम के संचालक वीरेंद्र देव दीक्षित कहां हैं. हाईकोर्ट ने उनके वकील को शुक्रवार तक इस संबंध में जानकारी देने को भी कहा था. कोर्ट में वकील आलोक पोपने ने यह भी बताया कि दीक्षित पर कई झूठे मुकदमे दर्ज हैं इसलिए वे दिल्ली के बाहर ही रहते हैं और उन्हें दीपक डी सिल्वा के जरिए निर्देश मिलते हैं. कोर्ट ने वकील से डी सिल्वा का नंबर भी मांगा है. यहां आपको यह भी बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के निर्देश भी दिए हैं.