पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी.
Trending Photos
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन मालिकाना विवाद मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई आज (गुरुवार से) शुरू करेगा. यह सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो. इस पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा.
वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए. शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अपील
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाइ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों के ढ़ांचे में बीच का गुंबद हिंदुओं का है.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में विभक्त करके इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने की व्यवस्था दी थी. इसके बाद हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. दूसरी तरफ सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी. अन्य पक्षकारों ने भी अपनी याचिकाएं दायर की थीं. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
किसी भी परिस्थिति में स्थगन नहीं
पिछली सुनवाइयों में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि किसी भी परिस्थिति में स्थगन नहीं दिया जाएगा. विशेष खंडपीठ ने ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई शुरू करने के बारे में सहमति जताई थी.