शिवसेना ने कहा, ''मोदी जी ने सपना दिखाया था 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा', लोगों ने इसीलिए भर के वोट दिए. पर ये क्या हो रहा है? सामान्य आदमी आज बैंक से डरता है.''
Trending Photos
नई दिल्ली: पीएनबी घोटाले में 11400 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में शिवसेना ने केंद्र सरकार पर निशान साधा है. शिवसेना ने कहा कि लूट और भ्रष्टाचार से मुक्त देश के जनता ने पीएम नरेंद्र मोदी को वोट दिया, लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है. शिवसेना नेता मनीषा कायानडे ने कहा, ''मोदी जी ने सपना दिखाया था 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा', लोगों ने इसीलिए भर के वोट दिए. पर ये क्या हो रहा है? सामान्य आदमी आज बैंक से डरता है और ललित मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या सब भाग गए, सरकार की नाक के नीचे से.''
Modi ji ne sapna dikhaya tha 'Na khaunga na khane dunga', logon ne isiliye bhar ke vote diye. Par ye kya ho raha hai? Saamanya aadmi aaj bank se darta hai aur Lalit Modi,#NiravModi, #VijayMallya sab bhaag gaye,sarkar ki naak ne neeche se: Manisha Kayande,Shiv Sena pic.twitter.com/gqxkI9AD6Z
— ANI (@ANI) February 17, 2018
कांग्रेस ने पीएमओ की नाक के नीचे ‘देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला’ होने का आरोप लगाया
इससे पहले भी कांग्रेस ने अरबपति आभूषण कारोबारी नीरव मोदी द्वारा करीब 11, 400 करोड़ की चपत लगाकर देश से भाग निकलने को ‘सबसे बड़ा बैंक लूट घोटाला’ करार देते हुए बीते 15 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोला था और आरोप लगाया था कि ‘‘यह सब पीएमओ की नाक के ठीक नीचे हुआ.’’
प्रधानमंत्री मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले साढ़े तीन साल में कोई भ्रष्टाचार नहीं होने के दावे की हवा निकालने के लिए कांग्रेस ने इस मामले को तेजी से लपकते हुए सरकार से सवाल किया कि आखिर वे कौन लोग हैं जो इस मामले के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को बचा रहे हैं?
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने नई दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि हरि प्रसाद नामक एक व्यक्ति ने 26 जुलाई 2016 को एक लिखित शिकायत के जरिये इस मामले से प्रधानमंत्री को अवगत कराया था और प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस तरह की शिकायत मिलने की बात को स्वीकार भी किया था. उन्होंने कहा कि पीएमओ को शिकायत मिलने के बाद भी वित्त मंत्रालय, उसकी वित्तीय खुफिया इकाई तथा अन्य एजेंसियां इस मामले में आंखें मूंदे क्यों बैठे रहीं.
(इनपुट एजेंसी से भी)