इस तरह 62 गवाहों की गवाही हो चुकी है जिसमें अभियोजन एजेंसी सीबीआई के मुताबिक 44 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं.
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मुंबई: सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में दो और गवाहों के अपने बयान से पलटने के बाद मामले में ऐसे गवाहों की संख्या अब 44 हो गयी है. विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा के समक्ष सुनवाई में गवाह निकुंज दलवाडी और किरण पंचाल ने अपने पूर्व के बयान का समर्थन नहीं किया.
इस तरह 62 गवाहों की गवाही हो चुकी है जिसमें अभियोजन एजेंसी सीबीआई के मुताबिक 44 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं. दलवाडी और पंचाल का बयान मुठभेड़ के बाद पुलिसकर्मियों से बरामद खाली कारतूस के लिए पंच गवाह के तौर पर दर्ज हुआ था. पंच गवाह ऐसे गवाह होते हैं जिसके सामने पुलिस वारदात स्थल से सामग्री सील करने जैसी छानबीन शुरू करती है.
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हालांकि, अदालत में दोनों ने अपने बयानों का समर्थन नहीं किया और कहा कि पुलिस ने उनसे कोरा कागज पर दस्तखत करने को कहा था . बहरहाल, गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी एक अन्य गवाह ई राधाकृष्णन की भी गवाही हुई.
क्या है सोहराबुद्दीन एनकाउंट केस
कहा जाता है कि सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी को गुजरात एटीएस ने तब अगवा किया जब वो हैदराबाद से महाराष्ट्र जा रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कांस्टेबल अजय परमार से कहा था कि वो एटीएस कार्यालय के पीछे पड़ी बाइक को लेकर आए. बाइक पर सवार होकर राजस्थान पुलिस का एक कांस्टेबल बाइक पर सवार होकर ठीक उसी गाड़ी के पीछे चल रहा था जिसमें सोहराबुद्दीन सवार था.कास्टेबल थोड़ी दूर चला ही था कि अचानक बाइक से कूद गया, सोहराबुद्दीन को भी चलती कार से नीचे धक्का देकर सड़क पर गिरा दिया गया.
इस दौरान दोनों को ही गंभीर चोटें लगी. चोट लगने के बाद पुलिस के 4 अधिकारियों ने अपनी ही बंदूक से 8 गोलियां सोहराबुद्दीन पर दागी, जिससे उसकी मौत हो गई. सोहराबुद्दीन की मौत के बाद से ही उसकी पत्नी लापता है. कहा जाता है कि इस मामले का सिर्फ एक ही प्रत्यक्षदर्शी प्रजापति भी था, जिसकी 2016 में हत्या कर दी गई थी.
23 आरोपी पर मुकदमे
नवंबर 2005 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मी समेत कुल 23 आरोपियों पर मुकदमे चल रहे हैं. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मुकदमे को मुंबई भेज दिया गया था. तब से इस मामले की सुनवाई लंबित पड़ी हुई हैं.
इनपुट भाषा से भी