राहुल गांधी के नामांकन में नहीं पहुंचीं मां सोनिया गांधी, क्या यह है कारण!
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राहुल गांधी के नामांकन में नहीं पहुंचीं मां सोनिया गांधी, क्या यह है कारण!

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद के नामांकन दाखिल करने दौरान जहां पार्टी के कई बड़े दिग्गज मौजूद थे वहीं पार्टी की वर्तमान अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी नजर नहीं आईं. 

राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भरा पर्चा, लेकिन सोनिया गांधी नहीं थी मौजूद (फोटो फाइल)

नई दिल्लीः राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद के नामांकन दाखिल करने दौरान जहां पार्टी के कई बड़े दिग्गज मौजूद थे] वहीं पार्टी की वर्तमान अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी नजर नहीं आईं. राहुल के नामांकन के समय पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, अहमद पटेल, सुशील कुमार शिंदे, कमलनाथ, गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलौत, तरूण गोगोई, शीला दीक्षित और मोहसीना किदवई भी मौजद रहीं. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद के नामांकन फॉर्म में प्रस्तावक के रूप में सोनिया गांधी का भी नाम था. लेकिन पर्चा दाखिल करते समय वह राहुल गांधी के साथ में नहीं थीं.

  1. राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भरा पर्चा, सोनिया नहीं रहीं मौजूद
  2. अध्यक्ष पद पर राहुल के नामांकन में सोनिया का प्रस्तावक के रूप में था नाम
  3. सोनिया ने प्रस्तावक की जगह साइन किए, अध्यक्ष पद पर राहुल के सामने कोई नहीं

कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के नामांकन पत्र में प्रस्तावक के रूप में अपने हस्ताक्षर दिए हैं. इस नामांकन पत्र में सोनिया गांधी के अलावा शीला दीक्षित, अहमद पटेल, मोतीलाल वोरा, मनमोहन सिंह, कमलनाथ तरुण गोगोई, अशोक गहलोत ने भी प्रस्तावक के रूप में हस्ताक्षर किए हैं. 

यह बताया जा रहा है कारण
सूत्रों के मुताबिक अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय 24 अकबर रोड सोनिया गांधी ने नामांकन दाखिल करते समय मौजूद नहीं रहकर राहुल गांधी को एक तरह से फ्री हैंड दिया है और वह चाहती हैं कि राहुल आगे बढ़कर पार्टी का नेतृत्व करें और उसे नई ऊंचाइयों तक ले जाएं. पार्टी में कई नेता चाहते हैं कि सोनिया गांधी पार्टी में सलाहकार या मार्गदर्शक के रूप में अपना योगदान दें. लेकिन राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के बाद भी सोनिया के साये में रहते हैं तो राजनीतिक रूप से यह पार्टी के लिए उचित नहीं होगा. बता दें कि नेहरू-गांधी परिवार के राहुल गांधी पांचवीं पीढ़ी के सदस्य और छठे शख़्स हैं, जो अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बनेंगे.

132 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस की कमान 45 साल तक नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों के हाथों में रही है. इस परिवार से सोनिया गांधी सबसे लंबे समय 19 साल तक कांग्रेस प्रमुख रहीं. जवाहरलाल नेहरू 11 साल तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे. इसके अलावा इंदिरा गांधी सात साल, राजीव गांधी छह साल और मोतीलाल नेहरू दो साल कांग्रेस प्रमुख रहे थे.

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आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन दाखिल की करने की आखिरी तारीख आज (4 दिसंबर) तक का समय है. यदि इस पद पर केवल पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का ही नाम आता है तो कल (5 तारीख) ही राहुल गांधी की ताजपोशी हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस को अपना नया अध्यक्ष मिल जाएगा. 

यह भी पढ़ेंः  कांग्रेस अध्‍यक्ष चुनाव'- 'सिकुड़ती कांग्रेस के जनाधार को बढ़ाना, राहुल गांधी की सबसे बड़ी चुनौती'

गौरतलब है कि आगामी 9 दिसंबर को कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी का जन्मदिन है. इसलिए पार्टी संगठन उन्हें शानदार विदाई देना चाहता है. शायद इसी कवायद में पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी को आज नामांकन प्रक्रिया में शामिल नहीं होने का सुझाव दिया है. 

गौरतलब है कि कांग्रेस के विभिन्न संगठनों के हाल ही में हुए चुनावों के बाद नई चुनी गई प्रदेश कमिटियों ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पहले ही पास कर दिया है. फिलहाल 1998 से सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं.  47 साल के कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 2004 से संसद में उत्तरप्रदेश के अमेठी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. जिस तरह गुजरात चुनाव के पहले राहुल गांधी की ताजपोशी होने वाली है ऐसे में गुजरात चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम हो जाता है.

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पार्टी के नए अध्यक्ष के चुने जाने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अधिवेशन में इस पर मुहर लगेगी और नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी चुनी जाएगी. बता दें कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी पार्टी में फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई है.

राहुल के लिए आसान नहीं है राह...

1. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एक के बाद एक चुनावों में कांग्रेस को मिल रही हार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ''करिश्माई नेता एवं प्रभावशाली वक्ता'' से मुकाबला होने के कारण ''एक विश्वसनीय नेता'' के रूप में खुद को पेश करना राहुल के लिए आसान नहीं होगा.

2. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के पूर्व प्राध्यापक पुष्पेश पंत ने इस सवाल पर कहा, ''राहुल गांधी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अपने को एक विश्वसनीय नेता के रूप में साबित करने की है जिसमें वह पिछले 15 सालों से विफल रहे हैं.'' 

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3. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पार्टी की कमान संभाले जाने की परिस्थितयों से तुलना करते हुए वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने कहा कि सोनिया ने जब कमान संभाली तो पार्टी बिखर रही थी. उनके विदेशी मूल के होने का मुद्दा था. कई वरिष्ठ नेताओं को वह रास नहीं आ रही थीं. पर उन्होंने पार्टी को एकजुट किया और उनके नेतृत्व में पार्टी ने दो बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और गठबंधन की सरकार बनाई.

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4. उन्होंने कहा, ''राहुल के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि पार्टी के चुनावी परिणामों में लगातार जो गिरावट आ रही है, उसे कैसे थामा जाए? साथ ही उनके सामने एक ऐसी बड़ी शख्सियत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो एक करिश्माई नेता हैं एवं प्रभावशाली वक्ता हैं.'' 

5. उन्होंने कहा कि आप यदि गुजरात जाएं तो देखेंगे कि भाजपा को लेकर लोगों में असंतोष तो है किन्तु मोदी को लेकर नहीं है. ऐसे में कांग्रेस को प्रासंगिक बनाये रखना, उसमें फिर से प्राण फूंकना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. संगठन मजबूत होना इसलिए जरूरी है क्योंकि उसी से लोगों के असंतोष को वोट में तब्दील किया जा सकता है.

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