जम्‍मू-कश्‍मीर : बीजेपी ने बुलाई सभी विधायकों की मीटिंग, जानिए पूरे घटनाक्रम की बड़ी बातें
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जम्‍मू-कश्‍मीर : बीजेपी ने बुलाई सभी विधायकों की मीटिंग, जानिए पूरे घटनाक्रम की बड़ी बातें

जम्‍मू में सुबह बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक बुलाई गई है. सूत्रों के अनुसार, सुबह करीब 11 बजे यह मीटिंग होनी है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : जम्मू कश्मीर में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा गुरुवार का प्रतिद्वंद्वी नेशनल कॉन्‍फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने और उसके कुछ ही देर बाद ही रात को राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा राज्य विधानसभा को भंग कर कर दिए जाने के चलते राज्‍य में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला है. सूत्रों के अनुसार, इसके चलते जम्‍मू में सुबह बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक बुलाई गई है. सूत्रों की मानें तो, सुबह करीब 11 बजे यह मीटिंग होनी है. वहीं, सुबह 10 बजे राज्‍य की पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती के आवास पर पार्टी के सभी नेताओं की अहम बैठक बुलाई गई है. 

जानें, जम्‍मू-कश्‍मीर के राजनीतिक हालातों के बारे में प्रमुख बातें...

-पार्टी के राज्‍य प्रमुख रविंद्र रैना ने कहा है कि भाजपा ने अपने सभी विधायकों की आज एक महत्‍वपूर्ण बैठक बुलाई है और हम भविष्‍य में उठाए जाने वाले कदमों पर फैसला करेंगे. हम चाहेंगे कि राज्‍य में विधानसभा चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाएं.

-दरअसल, पीडीपी ने प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था, वहीं दूसरी तरफ दो सदस्यों वाली पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी भाजपा और अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया. इसके बाद राजभवन द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में राज्यपाल ने विधानसभा भंग किये जाने की घोषणा की.

-देर रात जारी एक बयान में राज्यपाल ने तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने की कार्रवाई के लिए चार मुख्य कारणों का हवाला दिया, जिनमें ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त’’ की आशंका और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव’’ जैसी बातें शामिल हैं.

-बयान में कहा गया, ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन देन होने की आशंका की रिपोर्टें हैं. ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकार हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं.’’ 

-गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भाजपा द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था, जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था.

-पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके 29 सदस्य हैं. कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है. नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है. उन्होंने कहा कि 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है. तीनों दलों के विधायकों की कुल संख्या 56 है, जो इससे अधिक है.

-उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था.

-लोन ने राज्यपाल को व्हाट्सऐप के जरिए एक संदेश भेज कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ों से अधिक विधायकों का समर्थन है.

-अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव कराये जाने की अटकलों के बीच विधानसभा भंग होने से अब राज्य में नये चुनाव कराये जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

-जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन 18 दिसम्बर को समाप्त हो रहा था और इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगना था. राज्य विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक था.

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