पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डॉ हेडगेवार को श्रद्धाजंलि अर्पित की थी. प्रणब दा ने हेडगेवार को भारत मां का महान सपूत बताया.
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नागपुरः राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के दीक्षांत समारोह में शिरकत करने के लिए नागपुर पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार शाम 5 बजे को संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के स्मृति स्थल पर पहुंचे. इस दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति को फूलों का बुके भेंट कर स्वागत किया. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ने हेडगेवार को श्रद्धाजंलि अर्पित की.
लाइव अपडेट्
- संविधान की बुनियाद विविधता में एकता हैः प्रणब मुखर्जी
- सरकार की कोशिश गरीबी से लड़ाई की होनी चाहिए, सरकार ही देश के लोगों की जिंदगी बदल सकती हैः प्रणब मुखर्जी
- एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक संविधान ही भारत की पहचान हैः प्रणब मुखर्जी
- गांधी जी ने कहा था राष्ट्रवाद हिंसक और विध्वंसक नहीं होना चाहिएः प्रणब मुखर्जी
- आप युवा हैं, आपको शांति, सद्भाव और खुशहाली के लिए काम करना चाहिए, हमारी मातृभूमि को इसकी जरूरत हैः प्रणब
- विचारों की विविधता को हम नकार नहीं सकते है, हम असहमत हो सकते है, लेकिन उसे खारिज नहीं कर सकतेः प्रणब
- विविधता और सहिष्णुता भारत की पहचान रही है, धर्मनिरपेक्षता हमारे लिए आस्था का मसलाः प्रणब
- सरदार पटेल ने 565 रियासतों को एक किया, नेहरू जी ने भारत एक खोज में राष्ट्रवाद की नई परिभाषा बताईः प्रणब
- भारत का इतिहास महाजनपद से जुड़ता है, सहिष्णुता हिंदुस्तान की ताकत हैः प्रणब मुखर्जी
- हमारी एकता, रगं और धर्म की विविधता को बचाती है, अगर भेदभाव रखोगे तो देश का खतरा होगाः प्रणब मुखर्जी
- सभी ने कहा है कि हिंदू एक उदार धर्म है, 1800 साल तक भारत शिक्षा का केंद्र रहाः प्रणब मुखर्जी
- यूरोपीय देशों का गठन एक भाषा एक राष्ट्र के आधार पर हुआः प्रणब मुखर्जी
- सहनशीलता ही भारत की ताकत है, असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय ताकत धूमिल होती हैः प्रणब मुखर्जी
- प्रणब मुखर्जी, 'मैं देशभक्ति पर बात करने आया हूं'
- मैं आज यहां यूं राष्ट्र और राष्ट्रवाद पर अपनी समझ आपको बताने के लिए प्रस्तुत हुआ हूंः प्रणब मुखर्जी
- प्रणब मुखर्जी ने बोलना शुरू किया, सबसे पहले सरसंघचालक मोहन भागवत का अभिवादन किया
- सारे समाज को इस मार्ग को परखना चाहिए और इसका साथ देना चाहिएः भागवत
- यहां आना-जाना मनमर्जी का भाव है, हम क्या है हम जानते है, हम जो है वही हम दिखते है, हम जो कहते है वह करते हैः भागवत
- जो कुछ मैंने अभी तक कहा, उसकी पड़ताल कीजिए, आपको लगा ऐसा है तो सर्वहित कार्य है आप भी सहभागी होईये.
- जो सही है उसपर सब चलते है, उनके मतों की आपस की चर्चा एक सुंदर संवाद बनते हैः भागवत
- हमारे कार्यक्रम में समाज में बहुमूल्य योगदान देने वाले लोग आते रहते है, हम उनके विचारों को भी ग्रहण करते है
- खुद को प्रसिद्ध करने के लिए काम नहीं करते है, संघ का काम केवल संघ के लिए नहींः भागवत
- संघ के सभी तृतीय वर्ष वर्ग के कार्यकर्ताओं का लक्ष्य एक होना चाहिए, विश्व गुरु भारत
- संघ के लोग अपनी जेब से पैसा खर्च करके समाज का भला करते हैः भागवत
- आज लोकप्रिय है, जहां जाते है वहां स्नेह मिलता है, हमें आगे बढ़ना है, अनुकूलता का समय भी आता है, हमें विश्राम नहीं करना हैः भागवत
- 1925 से संघ चला, धीरे धीरे बढ़ता गया, सब बाधाओं के बावजूद बढ़ता गया. धीरे धीरे प्रतिकूलता को उसने स्नेह में बदल दियाः भागवत
- सभ्य लोग धन का उपयोग दान के लिए, विद्या का उपयोग ज्ञान देने के लिए और शक्ति का उपयोग रक्षण के लिए करते हैः भागवत
- शक्ति को अगर शील का आधार नहीं रहा तो वह शक्ति दानवी शक्ति बनती है ः भागवत
- विद्या प्राप्त लोग विवाद में समय गवांते है, सहमति नहीं बनाते है, धनपति लोग धन के मद में चूर हो जाते है और शक्ति दूसरों को पीड़ा देने के उपयोग करने लगते हैः भागवत
- सारे समाज को विशिष्ट दृष्टि से चलने की आवश्यकता है, किसी भी कार्य को करने के लिए शक्ति चाहिए और शक्ति संगठन में होती हैः भागवत
- हमारे पास आदर्श की कमी नहीं है, लेकिन व्यवहार के बारे में हम निकृष्ट थेः भागवत
- समाज में संगठन संघ को नहीं करना है, संगठन में समाज को संघ में करना हैः भागवत
- सबकी माता भारत माता है, इस सत्य को हम स्वीकर कर लें, विविधता को छोड़ देः भागवत
- किसी किसी को समझ में आता है लेकिन वह सोचता है कि इनके साथ आए तो क्या होगाः भागवत
- हम सब एक है, किसी किसी को एकदम समझ में आता है, किसी किसी को कुछ भी नहीं आता हैः भागवत
- हेडगेवार कांग्रेस के कार्यकर्ता भी रहे और कांग्रेस के कार्यकाल में जेल में भी रहेः भागवत
- किसी राष्ट्र का भाग्य बनाने वाली सरकारे नहीं हो सकती है, व्यक्ति नहीं होती हैः भागवत
- देश का सामान्य समाज जब सारे स्वार्थ और भेद हटाकर देश के लिए त्याग करने के लिए तैयार होता है तब देश का भाग्य बदलता है ः भागवत
- ये देखने वाली विविधता एक ही एकता से उपजी है, हम सब एक है, इसका भी दर्शन समय-समय पर होते रहना चाहिएः भागवत
- हमारी मंजिल एक है, देश को आगे ले जाना. लेकिन रास्ते अलग-अलग हैः भागवत
- विचारों का भेद रहता है लेकिन हम सब लोग भारत माता के पुत्र हैः भागवत
- लेकिन इस विविधता में रहते हुए भी दूसरों की विविधता का सम्मान करते मिलजुल कर रहना यह हमारी संस्कृति बनीः भागवत
- भाषाओं और पंथ संप्रदायों की विविधता तो पहले से ही थी, विचार प्रणालियां भी पहले से ही रही हैः भागवत
- हमारे देश में भरपूर समृद्धि थी, इसमें बाहरी लोगों का आना जाना बहुत कम हो सकता थाः भागवत
- इस मातृभूमि की भक्ति करना प्रत्येक नागरिक का काम है, सभी लोग अपने हिसाब से ऐसा करते हैः भागवत
- केवल हम भारत में जन्में इसलिए हम भारतवासी नहीं हैः भागवत
- हमारे लिए कोई पराया नहीं है, विविधता में एकता अपने देश की परंपरा रही हैः भागवत
- हिंदू समाज में एक अलग प्रभावी संगठन खड़ा करने के लिए संघ नहीं है
- प्रणब मुखर्जी को कैसे बुलाया और वह क्यों जा रहे है, यह अलग विषय हैः भागवत
- प्रणब मुखर्जी जैसे व्यक्तित्व से हमें मार्ग दर्शन मिल रहा है यह बड़ी बात है
- मोहन भागवत कर रहे हैं संबोधित, बोले- यह प्रतिवर्ष जैसा होता है वैसा ही हुआ है.
- विचारों का आदान प्रदान की भारत की पुरानी परंपरा हैः RSS
- आरएसएस की तरफ से आधिकारिक बयान में कहा गया है, अलग विचार होने के बावजूद प्रणब मुखर्जी ने न्योता स्वीकार किया
- संघ मुख्यालय में पथ संचालन चल रहा है. थोड़ी देर में भाषण देंगे प्रणब मुखर्जी
- इसके बाद ध्वजा प्रणाम किया गया, इसके बाद संघ की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले गाई गई
WATCH: Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) flag being unfurled at RSS's Tritiya Varsh event, in Nagpur, where former President Dr Pranab Mukherjee is the chief guest. pic.twitter.com/A4zKtLiv4f
— ANI (@ANI) June 7, 2018
- संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में ध्वजा रोहण किया गया
- नागपुर में RSS मुख्यालय पहुंच चुके हैं प्रणब मुखर्जी, थोड़ी देर में देंगे भाषण
- हेडगेवार स्मृति स्थल में विजिटर बुक में प्रणब मुखर्जी ने लिखा, मैं भारत मां के महान सपूत उन्हें श्रद्धाजंलि देने आया हूं.
- प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत मां के महान सपूत को श्रद्धांजलि देने आया हूं.
- प्रणब मुखर्जी ने डॉ. हेडगेवार को भारत मां का महान सपूत कहा
- डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर जा रहे है प्रणब मुखर्जी
- डॉ. हेडगेवार का घर देखकर निकल चुके हैं प्रणब मुखर्जी
- फिलहाल डॉ हेडगेवार को घर देख रहे हैं प्रणब मुखर्जी
- प्रणब मुखर्जी ने डॉ हेडगेवार को श्रद्धाजंलि अर्पित की
#WATCH:Former President Pranab Mukherjee in conversation with Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) chief Mohan Bhagwat at RSS founder KB Hedgewar's birthplace in Nagpur. pic.twitter.com/PDXnP5H4lE
— ANI (@ANI) June 7, 2018
- शाम 5 बजे को संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के स्मृति स्थल पर पहुंचे
- सरसंघचालक मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति को बुके भेंट कर स्वागत किया
Nagpur: Former President Pranab Mukherjee arrives at Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) founder KB Hedgewar's birthplace, welcomed by RSS chief Mohan Bhagwat. pic.twitter.com/QY1QguMNDV
— ANI (@ANI) June 7, 2018
संघ शिक्षा वर्ग
यह तीन स्तरों का रिहायशी ट्रेनिंग कैंप होता है, जिनको देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किया जाता है. पहले शुरुआती हिस्से को प्राथमिक शिक्षा वर्ग कहा जाता है. यह सात दिन का कार्यक्रम होता है जो जिले स्तर पर आयोजित किया जाता है. उसके बाद पहले और दूसरे साल के कैंप प्रदेश स्तर पर आयोजित किए जाते हैं. उसके बाद तृतीय वर्ष वर्ग कैंप नागपुर में आयोजित होता है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे हैं.
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तृतीय वर्ष वर्ग
संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार ने आरएसएस स्वयंसेवकों के लिए 1927 में ग्रीष्मकालीन ट्रेनिंग कैंप की शुरुआत की. उस दौरान एक मई-10 जून तक यह 40 दिनों का कार्यक्रम होता था और इसे 'समर कैंप' कहा जाता था. इसमें सुबह पांच बजे से लेकर रात नौ बजे तक विभिन्न कार्यक्रम होते थे.
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बाद में इसको ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप(ओटीसी) कहा जाने लगा. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेनिंग के माध्यम से ऐसे सक्षम कार्यकर्ताओं को तैयार करना था जो आरएसएस के मिशन को आगे बढ़ाने में सामर्थ्यवान थे. 1950 में इस शब्दावली को एक बार फिर से बदला गया और इसको 'संघ शिक्षा वर्ग' कहा जाने लगा. बाद के वर्षों में समर कैंप की अवधि को घटाकर पहले 30 दिन और फिर 25 दिन कर दिया गया. इसमें खास बात यह है कि इस तरह के कैंप में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं को यात्रा से लेकर रहने-खाने के संबंध में अपना खर्च खुद उठाना होता है.
नागपुर में कैंप की परंपरा
आरएसएस के इतिहास में नागपुर का विशिष्ट स्थान है. यहीं पर डॉ हेडगेवार ने रेशमबाग में जमीन का टुकड़ा खरीदकर आरएसएस की स्थापना की थी. यहीं पर उनकी 'समाधि' और 'स्मृति मंदिर' है. इसलिए स्वयंसेवक इस जगह को प्रेरणास्थल मानते हैं. इसलिए इस प्रोग्राम को हमेशा नागपुर में आयोजित किया जाता है.
कैंप का रूटीन
एक महीने का ट्रेनिंग प्रोग्राम का शेड्यूल काफी सख्त होता है. कार्यकर्ताओं से सुबह 5:30 बजे उठने की अपेक्षा की जाती है. सुबह पौने छह से सात बजे के बीच शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता है. उसके बाद 8:30 बजे तक नाश्ते का कार्यक्रम होता है. उसके बाद बौद्धिक कार्यक्रम होता है. इसमें संघ, संगठन के इतिहास, कार्यशैली और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियों के संबंध में भाषण और विमर्श होते हैं. दोपहर में लंच ब्रेक होता है और ढाई बजे तक आराम का समय निर्धारित होता है. उसके बाद फिर से बौद्धिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं जो शाम पांच बजे तक चलते हैं. शाम को 5:30-7:00 बजे तक फिर से शारीरिक ट्रेनिंग का समय होता है और उसके बाद डिनर होता है. शारीरिक प्रशिक्षण में ड्रिल, योगासन, कई सामूहिक खेल, आत्मरक्षा तकनीकों के बारे में बताया जाता है. बौद्धिक कार्यक्रम में संघ के विचार, इतिहास, राष्ट्र के इतिहास और तमाम सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला जाता है.