त्रिपुरा चुनाव : 'फूट' से परेशान कांग्रेस कैलाशहर सीट को बचाने में जी-जान से जुटी
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त्रिपुरा चुनाव : 'फूट' से परेशान कांग्रेस कैलाशहर सीट को बचाने में जी-जान से जुटी

कांग्रेस कैलाशहर सीट को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. इस सीट को बचाने में पार्टी जी-जान से लगी है

त्रिपुरा चुनाव में बीजेपी और माकपा से होगा कांग्रेस का सामना... (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : त्रिपुरा के कैलाशहर निर्वाचन क्षेत्र में पिछले कई सालों से कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस बार भी कांग्रेस उम्मीदवार यहां से चुनावी मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस में लगातार टूट के कारण कैलाशहर को छोड़कर त्रिपुरा के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस की मजबूत पकड़ नहीं है. इसीलिए, कांग्रेस कैलाशहर को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है. इस सीट को बचाने में कांग्रेस जी जान से लगी है.

  1. कैलाशहर को बचाने में जी-जान से जुटी हैं कांग्रेस
  2. मुख्य विपक्षी दल के रूप में बीजेपी है खड़ी
  3. कांग्रेस को माकपा के मोबोशार का भी सामना करना पड़ेगा

राज्‍य में कांग्रेस के सिर्फ 2 विधायक
त्रिपुरा में पिछले सभी विधानमसभा चुनाव कांग्रेस बनाम मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के बीच रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव 2018 में मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और माकपा के बीच दिखाई दे रहा है. इसके पीछे की वजह कांग्रेस में लगातार टूट है. वर्तमान में 60 सदस्यीय सभा में कांग्रेस के केवल दो विधायक है, जिसमें से एक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बिराजीत सिन्हा हैं जो कैलाशहर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 7वीं बार चुनाव मैदान में हैं. 

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कैलाशहर में मतदाता की संख्या 46 हजार से ज्यादा
त्रिपुरा विधानसभा के कैलाशहर निवार्चन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 46,054 हैं, जिनमें से कुल 23,290 पुरुष मतदाता और 22,764 महिला मतदाता हैं. 46 हजार 54 मतदाता अपने मतों का प्रयोग कर कैलाशहर निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवारों की किस्मत तय करेंगे. 

कैलाशहर से बिराजीत सिन्हा हैं कांग्रेस के उम्मीदवार
गौरतलब है कि त्रिपुरा में 1972 से अब तक 9 बार विधानसभा का चुनाव हुआ, लेकिन 2 बार ही माकपा को यहां पर सफलता मिली. यहां से 7 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बिराजीत सिन्हा यहां से 5 बार विधानसभा चुनाव जीते हैं और इस बार भी वे कैलाशहर से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं. कैलाशहर निवार्चन क्षेत्र से उन्होंने लगातार 7वीं बार नामांकन दाखिल किया है. बिराजीत सिन्हा ने पिछले 25 साल से लगातार शासन कर रही है और माकपा को इस सीट पर अधिकार जमाने नहीं दिया है. उन्होंने 1998, 2003, 2008 और 2013 में यहां से चुनाव जीता है.

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माकपा के मोबोशार देंगे बिराजीत को टक्कर
माकपा ने चुनाव 2018 में कैलाशहर से मोबोशार अली को टिकट दिया है. मोबोशार लगातार दूसरी बार बिराजीत का सामना करने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं. मोबोशार अली को 2013 विधानसभा चुनाव में सिन्हा ने 500 से कम वोटों से हराया था. 

बीजेपी के नीतीश डे हैं कैलाशहर से उम्मीदवार
त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव 2018 में मुख्य विपक्षी दल के रूप में भाजपा भी आ गई है. इस तरह से त्रिपुरा में राजनीतिक दलों का त्रिकोणीय समीकरण बन गया है. कैलाशहर से भाजपा ने युवा नेता नीतीश डे को अपना उम्मीदवार बनाया है. नीतीश निगम पार्षद और भाजपा प्रदेश इकाई के सचिव हैं और इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बिराजीत सिन्हा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं.

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18 फरवरी को वोटिंग और 3 मार्च को होगी गिनती
उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा विधानसभा के 60 सीटों के लिए 18 फरवरी को वोटिंग होगी और 3 मार्च को वोटों की गिनती होगी. त्रिपुरा के साथ-साथ मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती भी 3 मार्च को ही होगी.  

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