सदियों से भारत की पहचान योग को आज तब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई जब संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के साथ ही अब हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में इसका स्वागत करते हुए कहा कि मेरे पास इस खुशी को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।
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संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली : सदियों से भारत की पहचान योग को आज तब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई जब संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के साथ ही अब हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में इसका स्वागत करते हुए कहा कि मेरे पास इस खुशी को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं।
न्यूयॉर्क में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के तत्काल बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘बेहद रोमांचित हूं। संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया है और मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं।’ उन्होंने कहा ‘मैं दुनिया भर के उन सभी 177 देशों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के लिए प्रस्ताव को सह प्रायोजित किया।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर में अनगिनत लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया है। ‘उन सभी को बधाई, इससे बड़ी संख्या में लोग योग को लेकर प्रेरित होंगे। योग में पूरे मानव समाज को एक साथ लाने की क्षमता है। यह ज्ञान, कर्म और भक्ति का बेहद सुंदर संगम है।’ मोदी ने पिछले साल दिए गए अपने भाषण का एक लिंक भी अपने ट्विटर अकाउंट पर डाला है जिसमें उन्होंने योग और उससे होने वाले लाभ के बारे में अपने विचार रखे थे।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत अशोक मुखर्जी ने ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ संबंधी प्रस्ताव पेश किया और 177 देश इसके सह प्रायोजक बने। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा के किसी प्रस्ताव के लिए सबसे बड़ी सह प्रायोजक संख्या है। प्रस्ताव में कहा गया है कि योग स्वास्थ्य के लिए समग्र पहल प्रदान करता है एवं योग के फायदे की जानकारियां फैलाना दुनियाभर में लोगों के स्वास्थ्य के हित में होगा।
यह प्रस्ताव पेश करते हुए मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी के दिए भाषण को उद्धृत किया। भाषण में मोदी ने विश्व नेताओं से एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए मंजूरी देने का आह्वान करते हुए कहा था कि जीवन शैली में बदलाव और चेतना जाग्रत करने पर जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद मिल सकती है।
मोदी ने कहा था, ‘योग मस्तिष्क और शरीर, विचारों और क्रिया, संयम तथा पूर्णता, मानव एवं प्रकृति के बीच सद्भाव का समागम है, यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र पहल प्रदान करता है।’ 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के सुझाव में मोदी ने कहा था कि यह वह तारीख है जब उत्तरी ध्रुव में दिन की अवधि सबसे लंबी होती है और दुनिया के कई हिस्सों में यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है।
मुखर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो विचार पेश किया था उसका शुरू में कुछ ही देशों ने समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘लेकिन आज संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव ने रिकॉर्ड संख्या में सह प्रायोजक हासिल कर लिए जिनमें बड़ी संख्या महासभा के सभी क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय समूहों के सदस्य देशों की है, सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य भी शामिल हैं और यह उस सार्वभौमिक अपील की परिचायक है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में योग महत्व रखता है।’
प्रस्ताव में सभी सदस्य देशों, पर्यवेक्षक देशों, संरा से जुड़े संगठनों, अन्य अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय निकायों से योग के फायदे के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाने की अपील की गयी थी। भारत ने यह प्रस्ताव तैयार किया था। इस विषय पर भारतीय मिशन ने अक्तूबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक अनौपचारिक परिचर्चा आयोजित की थी जिसमें अन्य प्रतिनिधियों ने इस विषय पर अपनी राय रखी थी। योग 5,000 साल पुरानी भारतीय शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक पद्धति है जिसका लक्ष्य शरीर एवं मस्तिष्क में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। (एजेंसी इनपुट के साथ)