राजभर ने सोमवार (19 मार्च) को कहा था कि अगर उनकी बातचीत अमित शाह से नहीं होती है तो वह आगामी राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करेंगे.
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नई दिल्ली : भाजपा से नाराज चल रहे यूपी में उसके घटक दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया है. राजभर ने सोमवार (19 मार्च) को कहा था कि अगर उनकी बातचीत अमित शाह से नहीं होती है तो वह आगामी राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करेंगे. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की पहली वर्षगांठ के जश्न में भी सुभासपा ने शिरकत नहीं की थी और कहा था कि मथुरा और काशी से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होगा. योगी आदित्यनाथ ने राज्यसभा चुनाव से संबंधित घटनाक्रम में कहा है कि चूंकि अपने 8 प्रत्याशी जिताने के बावजूद भाजपा के पास 28 वोट बचे रह जाएंगे. नौवां प्रत्याशी खड़ा करने में कोई हर्ज नहीं है. आप देखिएगा कि कैसे नौ अतिरिक्त वोट आकर भाजपा को जिता देंगे.
भाजपा के लिए खड़ी हो सकती है मुश्किल
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में हार के बाद भाजपा को सूबे की 10 सीटों के लिए इस हफ्ते होने वाले राज्यसभा चुनाव में भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. भाजपा के साथ मिलकर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने वाली सुभासपा के चार विधायक आगामी राज्यसभा चुनाव में भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं. प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में अपने संख्या बल के आधार पर भाजपा 10 में से आठ सीटें आसानी से जीत सकती है, मगर उसने अपना नौवां प्रत्याशी भी खड़ा किया है. वहीं, सपा और बसपा बाकी दो सीटें जीतने के प्रति आश्वस्त हैं. कई मौकों पर सरकार के प्रति नाराजगी जता चुके ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा अगर आगामी 23 मार्च को होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करती है, तो सत्तारूढ़ दल को अपना नौवां प्रत्याशी जिताने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
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समस्याएं नहीं सुलझी तो होगा राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार
राजभर ने कहा था कि 'हम अभी से कैसे बता सकते हैं कि अगले राज्यसभा चुनाव में हम भाजपा को वोट देंगे या किसी अन्य पार्टी को. हमने अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है.' सरकार के प्रति पहले भी कई मौकों पर नाराजगी जता चुके राजभर ने कहा था कि 'हालांकि हम अभी भाजपा के साथ गठबंधन में है लेकिन सवाल यह है कि क्या भाजपा ने राज्यसभा और गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशी तय करने से पहले हमसे कोई सलाह ली थी.' दूसरी ओर, भाजपा के एक अन्य सहयोगी ‘अपना दल (सोनेलाल)‘ ने स्पष्ट किया है कि पार्टी के सभी नौ विधायक भाजपा प्रत्याशियों को वोट देंगे. पार्टी के प्रवक्ता अरविंद शर्मा ने बताया कि प्रदेश के व्यापक हित में अपना दल भाजपा के प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करेगा. राजभर ने आगाह किया था कि अगर ‘बड़ा भाई‘ यानी भाजपा सुभासपा की समस्याओं को नहीं सुलझाएगी तो वह आगामी राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार करेगी. उनका कहना है कि राज्यसभा चुनाव के मसले पर उनकी सपा या बसपा से कोई बात नहीं हुई है.
पहली वर्षगांठ से बनाई थी दूरी
राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री और सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने योगी सरकार की पहली सालगिरह के जश्न से दूरी बनाए रखने के बारे में कहा था कि 'हमने इस सरकार को बनाने में मदद की और उसकी कमियों को भी बताना हमारा कर्तव्य है....जश्न मनाने से कोई मकसद नहीं हल होगा. मथुरा और काशी में मंदिर बनाने से गरीबों को शिक्षा नहीं मिलेगी, ना ही उन्हें पेंशन मिलेगी.' उन्होंने कहा था कि उन्हें जश्न मनाने दीजिए. जब तक राशन कार्ड, आवास, शिक्षा, दवा और अन्य मुद्दों से जुड़े सवालों का जवाब नहीं मिलता, तब तक मैं इसमें हिस्सा नहीं लूंगा.'
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राज्यसभा चुनाव का गणित
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए किसी प्रत्याशी को कम से कम 37 प्रथम वरीयता की वोटों की जरूरत है. राज्य की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 324 सीटें हैं. यदि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भाजपा के पक्ष में नहीं भी जाती है तो भी वह अपने आठ प्रत्याशियों को आसानी से जिता लेगी. सपा के पास 47 विधायक हैं ऐसे में वह अपने एक प्रत्याशी को आसानी से जिता सकती हैं. इसके बावजूद उसके पास 10 वोट बच जाएंगे. बसपा के पास 19 विधायक हैं और वह अपने दम पर किसी प्रत्याशी को राज्यसभा नहीं भेज सकती. इसके लिए उसे सपा के 10, कांग्रेस के सात और राष्ट्रीय लोकदल के एक विधायक का समर्थन चाहिए. हालांकि हाल में ही सपा छोड़कर भाजपा में गए नरेश अग्रवाल के बेटे और हरदोई से सपा विधायक नितिन अग्रवाल के भाजपा को वोट देने की संभावना है. ऐसे में सपा का एक वोट कम हो जाएगा इससे बसपा प्रत्याशी की जीत की राह मुश्किल हो जाएगी, लेकिन अगर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की नाराजगी विपक्ष के पक्ष में गई तो बसपा प्रत्याशी को आसानी से जीत मिल सकती है.