टाला जा सकता था 20 लोगों की जान लेने वाला ट्रेन हादसा! 45 मिनट पहले ही मिली थी ट्रैक 'अनसेफ' होने की सूचना
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टाला जा सकता था 20 लोगों की जान लेने वाला ट्रेन हादसा! 45 मिनट पहले ही मिली थी ट्रैक 'अनसेफ' होने की सूचना

उत्कल हादसे से जुड़ी रिपोर्ट में जो सबूत लगाया गया है उससे छेड़छाड़ की गई थी. ये खुलासा हुआ है कि हादसे से करीब 45 मिनट पहले ही ट्रैक के ''अनसेफ'' होने की सूचना दे दी गई थी.

टाला जा सकता था उत्तर प्रदेश में हुआ उत्कल ट्रेन हादसा (फाइल फोटो- Zee)

नई दिल्ली: एक महीने पहले हुए उत्कल ट्रेन हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद सामने आई रेलवे सुरक्षा कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई. लेकिन अब सामने आया है कि इस रिपोर्ट में जिस नोट को मुख्य सबूत के रूप में इस्तेमाल किया गया उससे छेड़छाड़ की गई थी. बताया जा रहा है कि हादसे से करीब 45 मिनट पहले ही ये बात सामने आ गई थी कि खटौली ट्रैक असुरक्षित है. इस नोट पर स्थानीय रेलवे अधिकारी के हस्ताक्षर के नीचे 19 अगस्त तारीख (हादसे का दिन) भी मौजूद है. वहीं जो नोट रेलवे सुरक्षा कमिश्नर की रिपोर्ट में लगाया गया है, उस पर 20 अगस्त यानि हादसे के एक दिन बाद की तारीख नजर आ रही है.

  1. टाला जा सकता था उत्तर प्रदेश में हुआ उत्कल ट्रेन हादसा
  2. 45 मिनट पहले दी गई थी ट्रैक के ''अनसेफ'' होने की सूचना
  3. 14 कोच पटरी से उतरने पर गई थी 20 यात्रियों की जान

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, रेलवे सुरक्षा कमिश्नर की रिपोर्ट के अनुसार हादसे से करीब 45 मिनट पहले शाम 5 बजे पर्मनेंट वे इंस्पेक्टर मोहनलाल मीना ने खटौली स्टेशन मास्टर प्रकाश चंद को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें उसने ट्रैक पर ट्रैफिक ब्लॉक करने की इजाजत मांगी थी. ज्ञापन के आखिर में ये बात खासतौर पर लिखी गई थी कि ट्रैक ''अनसेफ है, कृपया ब्लॉक देने की कृपा करें''. ब्लॉक की प्रक्रिया रूटीन का हिस्सा है, लेकिन नोट में लिखा ''अनसेफ'' शब्द आम बात नहीं है. ऐसे में इस पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

ये भी पढ़ें- ट्रेन हादसे में बड़ा खुलासा : ऑडियो क्लिप में लापरवाही की वजह से दुर्घटना के संकेत

रेलवे सुरक्षा कमिश्नर की रिपोर्ट में नोट के आधार पर कहा गया कि सिस्टम को अलर्ट किया गया था. लेकिन इस रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि 21 अगस्त को दिल्ली में बैठे अधिकारियों ने रेलवे सुरक्षा कमिश्नर का इस ओर ध्यान दिलाया था. 

उत्तर रेलवे सुरक्षा कार्यालय को लिखे गए पत्र में इस बात का उल्लेख करते हुए लिखा गया था, ''यह सबूत / दस्तावेज के छेड़छाड़ का मामला है, जैसा कि ऑन-ड्यूटी स्टेशन मास्टर, खतौली ने बताया था. यह जानकारी आवश्यक कार्रवाई के लिए है''. बावजूद इसके रेलवे मिनिस्ट्री को सौंपी गई रिपोर्ट में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया और उसी नोट को सबूत के तौर पर पेश कर दिया गया जिससे छेड़छाड़ की गई थी.

रिपोर्ट में स्टेशन मास्टर, अनुभाग नियंत्रक और एक अन्य पर्मनेंट वे इंस्पेक्टर को दोषी ठहराया गया. वहीं मोहनलाल मीना पर इस रिपोर्ट में कोई बात नहीं लिखी गई. जब इस बारे में मीना से सवाल किया गया तो उन्होंने रिपोर्ट में सबकुछ लिखे होने की बात कहकर कुछ भी और कहने से इनकार कर दिया.

वहीं स्टेशन मास्टर आ आरोप है कि उनके बयान को ठीक से दर्ज नहीं किया गया. उन्होंने कई बार इसकी गुजारिश की, लेकिन उनकी एक न सुनी गई. 

मैसेज के बाद भी नहीं अलर्ट हुए अधिकारी
इस हादसे के संबंध में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि हादसे से 25 मिनट पहले शाम 5.22 बजे एक अन्य अधिकारी को ज्ञापन के संबंध में सूचना दी गई थी. हालांकि, उसमें ''अनसेफ'' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया, जो लापरवाही थी. 

कमिश्नर ने दी ये सफाई
इस संबंध में जब जांच करने वाले रेलवे सुरक्षा कमिश्नर से बात की गई तो उन्होंने सबूत से हुई छेड़छाड़ की बात को गलत ठहराया. उन्होंने कहा कि संबंधित ज्ञापन की कॉपी उन्होंने स्टेशन मास्टर से ली थी और उसे उन्होंने रिपोर्ट में भी लगाया. वहीं उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि स्टेशन मास्टर को डिपार्टमेंट की ओर से गलत बयान देना सिखाया जा रहा है. यदि रेलवे ही ऐसे अधिकारियों को बचाएगा तो भविष्य में उत्कल एक्सप्रेस हादसे जैसे फिर होने से रोके नहीं जा सकेंगे.

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