कप्तानी के फैसले पर 'विराट' नाराजगी, इन वजहों से कोहली की अचानक हो गई विदाई
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कप्तानी के फैसले पर 'विराट' नाराजगी, इन वजहों से कोहली की अचानक हो गई विदाई

वन डे क्रिकेट की कप्तानी से हुई विदाई पर बुधवार को विराट कोहली (Virat Kohli) ने अपना पक्ष रखा. हालांकि उन्हें हटाने की नौबत क्यों आई, इसकी वजह जानना भी लोगों के लिए दिलचस्प है. 

कप्तानी के फैसले पर 'विराट' नाराजगी, इन वजहों से कोहली की अचानक हो गई विदाई

नई दिल्ली: हमारे देश में राजनीति की ख़बरें आप हर रोज़ देखते हैं क्योंकि हमारे यहां हर चीज़ में राजनीति होती है. आज हम आपको क्रिकेट की राजनीति के बारे में बताएंगे. आपको लगता होगा कि क्रिकेट एक खेल है. लेकिन इस खेल में भी राजनीति का खेल चलता है. 

  1. प्रेस वार्ता में विराट ने क्या कहा? 
  2. क्रिकेट की राजनीति को ऐसे समझिए
  3. सौरव के आने से बदल गई परिस्थितियां

प्रेस वार्ता में विराट ने क्या कहा? 

विराट कोहली (Virat Kohli) ने बुधवार को एक धमाकेदार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके क्रिकेट में चल रही राजनीति के खेल को उजागर कर दिया. विराट कोहली ने कहा कि उनसे वनडे टीम की कप्तानी छीनने से सिर्फ़ डेढ़ घंटे पहले BCCI ने उन्हें इस बात की जानकारी दी कि वो अब वनडे टीम के कप्तान नहीं रहेंगे. विराट कोहली ने ऐसी कई बातें कहीं, जिनसे BCCI और सौरव गांगुली उनसे नाराज़ हो सकते हैं. आपको बताते हैं कि विराट कोहली ने चार बड़ी बातें क्या कही हैं.

पहली बात- उन्होंने कहा है कि वो वर्ष 2023 तक वनडे Format में टीम के कप्तान बने रहना चाहते थे.

दूसरी बात- उन्हें 8 दिसम्बर को BCCI की Selection Committee की बैठक से सिर्फ़ डेढ़ घंटे पहले ये बताया गया कि वो अब T-20 की तरह वनडे टीम के भी कप्तान नहीं रहेंगे. यानी उन्हें कप्तानी से हटाया नहीं गया, बल्कि उनसे कप्तानी छीनी गई है, ऐसे वो कहना चाह रहे हैं.

विराट ने दावा किया कि उन्होंने ये बात कभी नहीं कही कि वो साउथ अफ्रीका दौरे के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे और इस दौरान वो Rest करना चाहते हैं. उन्होंने इन सारी बातों को अफवाह बताया और ये भी कहा कि वो BCCI को इसके बारे में बता चुके थे. भारत को साउथ अफ्रीका से पहला मैच 26 दिसम्बर को खेलना है.

आख़िरी बात ये कि विराट कोहली (Virat Kohli) ने रोहित शर्मा (Rohit Sharma) से मतभेद की तमाम ख़बरों को ग़लत बताया. कहा है कि वो इस पर सफाई देते देते थक गए हैं. यानी एक तरफ़ तो वो BCCI के फैसले पर हैरानी जताते हैं और उस पर सवाल खड़े करते हैं. वहीं दूसरी तरफ़ वो रोहित शर्मा से मतभेद की ख़बरों से भी इनकार करते हैं.

क्रिकेट की राजनीति को ऐसे समझिए

आप अक्सर एक लाइन सुनते होंगे कि राजनीति कोई खेल नहीं है. लेकिन आप ये ज़रूर कह सकते हैं कि खेल में राजनीति बहुत है. इस राजनीति को समझने के लिए आपको इसकी पूरी टाइमलाइन समझनी होगी.

- ऐसा कहा जाता है कि भारतीय टीम में मौजूदा राजनीति की शुरुआत जुलाई 2019 में हुई, जब टीम वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड से हार गई थी. तब ऐसी ख़बरें थीं कि इस हार के बाद विराट कोहली और रोहित शर्मा के बीच मतभेद हो सकते हैं और टीम में दो गुट बन गए हैं. एक गुट उन खिलाड़ियों का है, जो विराट कोहली के साथ हैं और एक गुट उन खिलाड़ियों का है, जो रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के साथ हैं. हालांकि उस समय विराट कोहली ने इन तमाम ख़बरों का खंडन किया था और ये कहा था कि उनके और रोहित शर्मा के बीच सबकुछ ठीक है.

- विराट कोहली (Virat Kohli) के बयान के बाद ऐसा लगा कि टीम में सबकुछ ठीक हो गया है और जो मतभेद थे भी, उन्हें सुलझा लिया गया है. फिर हर दौरे से पहले इस तरह की ख़बरें आने लगीं कि दोनों के बीच बातचीत बिल्कुल बन्द हो गई है. इसी साल जनवरी महीने में जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया के दौरे से विराट कोहली के लौटने के बाद टेस्ट सीरीज़ जीती तो ये बहस शुरू हो गई कि क्या टीम की कप्तानी उनसे वापस ले लेनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि इस बहस के पीछे टीम के ही कुछ खिलाड़ी थे. 

- विराट कोहली की मुश्किलें तब और बढ़ गईं, जब टीम इसी साल जून महीने में न्यूज़ीलैंड से ICC Test Championship के फाइनल में हार गई. इस हार के बाद ना सिर्फ़ विराट कोहली पर सवाल उठे बल्कि टीम के उस समय के हेड कोच रवि शास्त्री की भी आलोचना हुई. ऐसा माना जाता है कि जब रवि शास्त्री टीम के हेड कोच थे, तब विराट कोहली को उनका काफ़ी Support था. 

सौरव के आने से बदल गई परिस्थितियां

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जाता है कि रवि शास्त्री को टीम का हेड कोच बनाने में विराट कोहली की बड़ी भूमिका थी. उन्होंने ही उनके नाम की सिफारिश की थी. हालांकि ICC Tournaments में भारत की लगातार हार के बाद ये परिस्थितियां बदल गईं.

- 16 सितंबर 2021 को T-20 वर्ल्ड कप से एक महीने पहले विराट कोहली ने सबको चौंकाते हुए खुद ये ऐलान किया कि वो इस Tournament के बाद T-20 Format में टीम की कप्तानी छोड़ देंगे लेकिन वनडे और टेस्ट में टीम के कप्तान बने रहेंगे. फिर T-20 वर्ल्ड कप में पहले भारत पाकिस्तान से बुरी तरह हारा और फिर टीम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाई.

- शायद इसी वजह से इस हार के सिर्फ़ 10 दिन बाद 3 नवम्बर को पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ को भारतीय टीम का हेड कोच नियुक्त कर दिया गया. वैसे तो रवि शास्त्री का कार्यकाल T-20 वर्ल्ड कप तक ही था. लेकिन सामान्य तौर पर नए हेड कोच के नाम का ऐलान करने में ज्यादा समय लगता है. इस बार ऐसा नहीं हुआ और टीम के हेड कोच तुरंत बदल गए. यानी रवि शास्त्री और विराट कोहली की जो जोड़ी थी, वो टूट गई.

- फिर इसके सिर्फ़ 6 दिन बाद 9 नवम्बर को रोहित शर्मा T-20 टीम के कप्तान बन गए और 8 दिसम्बर को उन्हें वनडे टीम का भी कप्तान बना दिया गया. इस बार विराट कोहली (Virat Kohli) ने खुद कप्तानी नहीं छोड़ी बल्कि इस बार उनसे ये कप्तानी छीनी गई है. वो खुद कह रहे हैं कि उन्हें इस फैसले के बारे में Selection Committee की बैठक से सिर्फ़ डेढ़ घंटे पहले बताया गया था.

- हालांकि इस पर BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने अपने एक बयान में ये कहा था कि White Ball के Format में अलग अलग कप्तान नहीं हो सकते. इसलिए ये फैसला लिया गया है. अब पता चल रहा है कि इस फैसले के पीछे असली वजह ये राजनीति थी.

इन वजहों ने छीनी विराट की कप्तानी 

अब बड़ा सवाल ये है कि विराट कोहली को अचानक कप्तानी से क्यों हटाया गया तो इसे आप तीन Points में समझिए. ये वो बातें हैं, जो हमें भारतीय टीम के ही कुछ खिलाड़ियों ने Off The Record बताई है. हम इन खिलाड़ियों का नाम तो नहीं बता रहे हैं, लेकिन इन्होंने हमें क्या बताया है, वो आपको जानना चाहिए.

- हमें पता चला है कि टीम के दूसरे खिलाड़ियों में विराट कोहली के प्रति काफ़ी गुस्सा था. विराट कोहली (Virat Kohli) पर ऐसे आरोप लगते हैं कि उन्होंने अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को Favour किया और उनके लिए टीम में जगह भी बनाई. जबकि उनकी कप्तानी में ऐसे कई खिलाड़ियों को मौक़ा नहीं दिया गया, जो असल में टीम में खेलने के हकदार थे. आपको इसके कुछ उदाहरण भी बताते हैं.

2019 के वनडे वर्ल्ड कप से पहले क्रिकेटर अंबाती रायडू अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. जब वर्ल्ड कप के लिए टीम का चयन हुआ तो उनकी जगह All Rounder विजय शंकर को खिलाने का फैसला किया गया. ऐसा कहा जाता है कि इस फैसले में विराट कोहली ने खुद सहमति दी थी. जब विजय शंकर और क्रिकेटर शिखर धवन चोटिल हुए तब भी टीम में अंबाती रायडू को जगह नहीं दी गई. उनकी जगह क्रिकेटर मयंक अग्रवाल और ऋषभ पंत को मौका दिया गया. इस बात से ही निराश होकर अंबाती रायडू ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया था.

कुलदीप यादव को नहीं दी गई जगह

इसी तरह एक और खिलाड़ी कुलदीप यादव को भी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टीम में जगह नहीं दी गई. उनकी जगह युजवेंद्र चहल को बार बार मौका दिया गया, जो विराट कोहली के Favourite माने जाते हैं. हमें बताया गया है कि इन खिलाड़ियों ने, जिनमें शिखर धवन, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का भी नाम हैं, इन खिलाड़ियों ने विराट कोहली की कार्यशैली और उनकी मनमानी के ख़िलाफ़ BCCI को शिकायत की थी.

- दूसरा Point, ऐसा बताया जा रहा है कि जब विराट कोहली (Virat Kohli) ने सारे बड़े फैसलों में अपनी मनमानी शुरू कर दी तो उनके खिलाफ़ दूसरे खिलाड़ियों ने गुट बनाना शुरू किया. ये सारे खिलाड़ी रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के समर्थन में चले गए. ऐसी बातें भी कही जाती हैं कि जिस खिलाड़ी की पत्नी का अनुष्का शर्मा के साथ झगड़ा हो जाता था, उस खिलाड़ी के बुरे दिन शुरू हो जाते थे. इसलिए इन सभी खिलाड़ियों ने मिल कर रोहित शर्मा को Support करने का फैसला किया.

- और तीसरा Point, विनोद राय जब BCCI की कमान सम्भाल रहे थे, तब टीम में विराट कोहली का रूतबा काफ़ी प्रभावशाली था. हालांकि सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद परिस्थितियां बदल गईं और विराट कोहली के लिए टीम सिलेक्शन और दूसरी चीज़ें अपने हिसाब से करना मुश्किल हो गया. ये बात हमें टीम के ही कुछ खिलाड़ियों ने Off The Record बताई हैं.

सौरव गांगुली ने सेट किया KRA

सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद पहले तो विराट कोहली के अधिकार क्षेत्र को सीमित किया गया. फिर पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री और विराट कोहली का KRA सेट किया गया. उन्हें ये बताया गया कि वो अपने कार्यकाल में एक भी ICC Tournament नहीं जीते हैं. उन्हें इस साल हुए T-20 वर्ल्ड कप को जीत कर ये साबित करना होगा. लेकिन विराट कोहली ऐसा नहीं कर पाए और कप्तानी पर उनकी पकड़ कमज़ोर हो गई.

भारतीय क्रिकेट टीम में विराट कोहली (Virat Kohli) का Debut वर्ष 2008 में हुआ था. उन्हें पहली बार टेस्ट क्रिकेट टीम की कप्तानी वर्ष 2014 में मिली, जब महेंद्र सिंह धोनी ने अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. इसके तीन साल बाद 2017 में वो वनडे टीम और फिर T-20 टीम के कप्तान भी बन गए. यानी 2017 आते आते वो क्रिकेट के तीनों Formats में भारतीय टीम के कप्तान बन गए थे. ये उनके करियर का पीक था.

वो क्रिकेट के तीनों Formats में अब तक 23 हज़ार से ज्यादा रन बना चुके हैं और 70 शतक भी वो लगा चुके हैं. यहां एक बड़ा Point ये है कि नवम्बर 2019 के बाद से उनके बल्ले से एक भी शतक नहीं आया है. सोचिए, एक इतना बड़ा खिलाड़ी, जो अब तक 70 Centuries लगा चुका है, जिनके लिए ये कहा जाता है कि वो सचिन तेंदुलकर के 100 शतक का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं, वो पिछले लगभग डेढ़ साल से एक शतक के लिए संघर्ष कर रहा है. हालांकि बात सिर्फ़ प्रदर्शन की नहीं हैं. विराट कोहली की कप्तानी पर भी लगातार सवाल उठे हैं क्योंकि उनकी Captaincy में टीम आज तक एक भी ICC Tournament नहीं जीती है.

क्या ढल गया है विराट का पीक?

वर्ष 2017 में उनकी कप्तानी में भारतीय टीम वनडे Champions trophy में पाकिस्तान से फाइनल में हार गई थी. इसके अलावा उनकी कप्तानी में ही World Test Championship के फाइनल में भारतीय टीम की हार हुई. IPL में भी वो आज तक Royal Challengers Bangalore को जीत नहीं दिला पाए हैं.

इसके बावजूद विराट कोहली के हर रन की कीमत है. विराट कोहली (Virat Kohli) का एक साल का Contract 7 करोड़ रुपये का है. ये पाकिस्तानी टीम के सभी खिलाड़ियों के साल भर के Contarct के बराबर है. विराट कोहली जब IPL में खेलते हैं तो उनके हर रन की कीमत पांच लाख रुपये होती है. सोचिए वो अगर IPL में एक रन बना कर भी आउट हो जाएं तो वो एक रन भी पांच लाख रुपये का होता है.

क्रिकेट में एक बात काफ़ी बोली जाती है कि इस खेल में दौलत और शोहरत तभी तक बरसती है, जब तक बल्ला चलता है. यानी किसी भी एक क्रिकेटर के लिए उसका बल्ला पैसा छापने की मशीन की तरह होता है. जब तक ये मशीन चलती है, पैसा छप्पड़ फाड़ कर मिलता है. विराट कोहली के मामले में भी उन्हें खूब शोहरत मिली लेकिन BCCI और रोहित शर्मा के साथ उनके झगड़े ने इस खेल की राजनीति को बाहर ला दिया है.

अनिल कुंबले से भी हो चुका मतभेद

हालांकि विराट कोहली का नाम पहली बार इस तरह की राजनीति में सामने नहीं आया है. रवि शास्त्री से पहले जब पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले टीम के हेड कोच थे, तब भी कोहली से उनके मतभेद की ख़बरें थीं.

कुंबले ने वर्ष 2017 में Champions Trophy के बाद अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही कोच के पद से इस्तीफा दे दिया था. उस समय कुंबले ने कहा था कि विराट कोहली (Virat Kohli) को उनके कोच बने रहने से आपत्ति है, इसलिए उनका पद छोड़ना ही बेहतर है. इसके अलावा कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2017 में Champions Trophy की हार के बाद विराट कोहली ने कुंबले का विरोध करते हुए अपमानजनक शब्द कहे थे.

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हालांकि ये संयोग ही है कि जिस तरह से आज सौरव गांगुली के BCCI अध्यक्ष होते हुए विराट कोहली को वनडे टीम के कप्तान से हटाया गया है, ठीक उसी तरह एक समय गांगुली से भी टीम की कप्तानी छीनी गई थी. तब उनके समर्थन में कुछ पूर्व क्रिकेटर्स ने ये कहा था कि गांगुली को कप्तान के पद से हटाने का तरीक़ा सही नहीं था. आज जब गांगुली BCCI अध्यक्ष हैं तो ये कहा जा रहा है कि विराट कोहली से कप्तानी छीनने का तरीका सही नहीं है. इस बात से आप समझ सकते हैं कि ये मामला दूसरी तरह से भी सुलझ सकता था. लेकिन इसमें राजनीति हुई और नौबत प्रेस कॉन्फ्रेंस तक आ गई.

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