'सर्जिकल स्‍ट्राइक के लिए तेंदुए के मूत्र से मिली भारतीय सेना को मदद'
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'सर्जिकल स्‍ट्राइक के लिए तेंदुए के मूत्र से मिली भारतीय सेना को मदद'

सेना में नगरोटा कार्प्‍स कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने मंगलवार को पुणे में यह बात कही.

राजेंद्र निंबोरकर ने कहा कि सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम देने के लिए भारतीय सेना ने उच्‍चतम श्रेणी की गोपनीयता रखी.(फोटो:ANI)

नई दिल्‍ली: जम्‍मू-कश्‍मीर में उड़ी आतंकी हमले के बाद बदला लेने के लिए जब सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पारकर पाकिस्‍तानी सीमा के भीतर 15 किमी घुसकर जब आतंकी कैंपों को निशाना बनाया, उस दौरान तेंदुए के मल-मूत्र से भी सेना को मदद मिली. सेना में नगरोटा कार्प्‍स कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर ने मंगलवार को पुणे में यह बात कही. पुणे की थोर्ले बाजीराव पेशवे प्रतिष्‍ठान ने सर्जिकल स्‍ट्राइक के दौरान राजेंद्र निंबोलकर के योगदान के मद्देनजर उनको सम्‍मानित किया.

  1. लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंबोरकर सेना में नगरोटा कार्प्‍स कमांडर रहे
  2. कश्‍मीर के नौशेरा सेक्‍टर में राजेंद्र निंबोरकर ब्रिगेड कमांडर भी रह चुके हैं
  3. 28-29 सितंबर, 2016 को भारत ने सर्जिकल स्‍ट्राइक ऑपरेशन को अंजाम दिया

कश्‍मीर के नौशेरा सेक्‍टर में राजेंद्र निंबोरकर ब्रिगेड कमांडर भी रह चुके हैं. उन्‍होंने उस एरिया की जैव-विविधता का गहन अध्‍ययन भी किया है. इस संदर्भ में उन्‍होंने कहा, ''हमको पता था कि उस इलाके के जंगलों में तेंदुए अक्‍सर कुत्‍तों पर हमले कर देते हैं. लिहाजा खुद को बचाने के लिए कुत्‍ते रात में रिहायशी इलाकों के निकट छुप जाते हैं. इसलिए जब सर्जिकल स्‍ट्राइक ऑपरेशन देने की रणनीति बनाई गई तो इस बात का भी ख्‍याल रखा कि रास्‍ते में पड़ने वाले गांवों से गुजरने के दौरान ये कुत्‍ते आहट पाते ही तेंदुए के खौफ से भौंक सकते हैं और हमला भी कर सकते हैं. ऐसे में उससे बचाव के लिए तेंदुए के मल-मूत्र का सहारा लिया गया. उनको गांवों के निकट फेंक दिया गया. ये रणनीति कारगर रही और कुत्‍तों ने डर के मारे पास फटकने की हिम्‍मत नहीं दिखाई.''

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28-29 सितंबर को एलओसी पारकर सेना ने सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दिया.(फाइल फोटो)

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ऑपरेशन के लिए दिया गया एक सप्‍ताह का वक्‍त
इस संबंध में ट टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए राजेंद्र निंबोरकर ने कहा कि सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम देने के लिए भारतीय सेना ने उच्‍चतम श्रेणी की गोपनीयता रखी. उन्‍होंने कहा कि तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने हमसे कहा कि एक हफ्ते के भीतर इस ऑपरेशन को किया जाना है. उसके बाद मैंने अपनी टॉप कमांडरों को इस बारे में बताया लेकिन लोकेशन के बारे में उनको अंतिम समय तक नहीं बताया गया. उनको तो बस एक दिन पहले ही हमले की लोकेशन के बारे में बताया गया.

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इसके साथ ही ऑपरेशन के बारे में बोलते हुए कहा कि हमने तड़के का समय हमले के लिए चुना. हमने आतंकियों के लांच पैड को चिन्हित किया. उनकी टाइमिंग की स्‍टडी के बात पता चला कि तड़के साढ़े तीन बजे का समय हमले के लिए सबसे उपयुक्‍त रहेगा. उसके पहले हमको वहां सुरक्षित जगह पहुंचना था. रास्‍ते में बिछी बारूदी सुरंगों को कठिन बाधाओं को पार करते हुए जवान वहां पहुंचे और तीन लांच पैड को नष्‍ट करते हुए 29 आतंकियों को ढेर कर दिया. उसके बाद बिना किसी नुकसान के सभी सुरक्षित वापस आ गए. उस ऑपरेशन ने पाकिस्‍तान सेना के मिलिट्री कमांडरों को हैरान कर दिया.

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