कारगिल की कहानियां : जब सेनाध्यक्ष ने कहा-एलओसी पार करने से न रोकें
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कारगिल की कहानियां : जब सेनाध्यक्ष ने कहा-एलओसी पार करने से न रोकें

कारगिल की लड़ाई में भारत सरकार ने कहा था कि हमारी सेना लाइन ऑफ कंट्रोल को पार नहीं करेगी.

कारगिल की कहानियां : जब सेनाध्यक्ष ने कहा-एलओसी पार करने से न रोकें

नई दिल्ली : कारगिल की लड़ाई में एक समय वह मुकाम आया जब भारत सरकार ने कहा कि हमारी सेना लाइन ऑफ कंट्रोल को पार नहीं करेगी. जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दो बार ऐसा बयान दिया तो तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक को चिंता हुई कि इससे कहीं सेना के मनोबल पर असर न पड़े. उन्होंने प्रधानमंत्री को अपनी स्थिति समझाई.

यह किस्सा बयान करते हुए जनरल मलिक ने 'जीन्यूज डिजिटल' को बताया, 'देखिए कैबिनेट ने फैसला लिया था कि हम लाइन ऑफ कंट्रोल पार नहीं करेंगे. एक तो उसकी वजह यह थी कि उस समय तक भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गए थे. दूसरी बात यह थी कि लोगों को तब तक सही स्थिति पता नहीं थी. इंटेलिजेंस रिपोर्ट सही नहीं थी कि ये लोग मुजाहिदीन हैं. यह पाकिस्तानी आर्मी के लोग हैं क्योंकि हमारे रूल्स ऑफ एंगेजमेंट अलग-अलग होते हैं. अगर पाक फौज से लड़ना है तो अलग नियम हैं और अगर मिलिटेंट से लड़ना है तो दूसरी स्थिति है. इस वजह से उन्होंने इजाजत नहीं दी थी, हमें LOC पार करने की.'

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जनरल मलिक आगे बताते हैं, 'लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब दो बार पब्लिकली यह बात कही कि उन्होंने फौजों से कहा है कि वे एलओसी पार ना करें तब मैंने उनसे यह बात की कि सर आपकी यह बात पब्लिक में कहना ठीक नहीं है. हम कोशिश करेंगे कि हम लाइन ऑफ कंट्रोल पार न करें, लेकिन अगर हमको जरूरत पड़े और मुझे लगा कि एक जगह लड़ाई से काम नहीं चलेगा तो हमारे पास छूट होनी चाहिए. ऐसे में उस वक्त आप क्या बोलेंगे. उन्होंने मेरी बात समझी और उसी दिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने उसी शाम एक चैनल के ऊपर इंटरव्यू दिया और कहा की नियंत्रण रेखा पार ना करने की बात आज के लिए ठीक है. लेकिन कल क्या होगा इसके बारे में अभी हम कुछ कह नहीं सकते.'

उस युद्ध की याद करते हुए जनरल कहते हैं, 'सबसे पहले तो मैं अपने सारे जवानों को और ऑफिसर्स को दाद देता हूं कि उन्होंने पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम की. बहादुरी क्या होती है, देशभक्ति क्या होती है. और जिस लगन से उन्होंने काम किया वह वाकई प्रशंसा लायक चीज थी. मैं जाता था वहां पर उनसे मिलने के लिए हर 6 दिन में एक बार. मैं यह भी कह सकता हूं कि उन्होंने मेरा हौसला भी बढ़ाया क्योंकि मैंने जब भी पूछा कि क्यों क्या हालात हैं, कैसा लग रहा है तो उन्होंने यही कहा कि आप फिक्र मत करो सर हम सब ठीक कर देंगे. आप फिक्र मत करो.'

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26 जुलाई है कारगिल विजय दिवस
26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस युद्ध में आज ही के दिन हमने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. यह दिन है कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी से देश के सम्मान की रक्षा करने वाले सैनिकों को याद करने का. पाकिस्तान द्वारा भारत पर किए गए इस हमले को नाकाम करने के लिए भारत ने ऑपरेशन विजय के नाम से दो लाख सैनिकों को तैनात किया और इसमें 527 कभी लौटकर नहीं आए. पूर्व सेनाध्यक्ष वीपी मलिक कारगिल युद्ध के समय सेना का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने इस यु्द्ध के अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी- 'कारगिल एक अभूतपूर्व विजय.'

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