Zee जानकारी : भारत के पैरों में आज भी हैं बाल विवाह जैसी प्रथाओं की ज़ंजीरें
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Zee जानकारी : भारत के पैरों में आज भी हैं बाल विवाह जैसी प्रथाओं की ज़ंजीरें

आपने बाल विवाह के बारे में सुना होगा और कई टीवी सीरियल्स और फिल्मों में इस प्रथा से होने वाले नुकसान को देखा भी होगा लेकिन सीरियल या फिल्म देखते हुए इसकी गंभीरता का अंदाज़ा नहीं होता। आपमें से कई लोगों को ये भी लगता होगा कि बाल विवाह पुराने ज़माने में होते थे। लेकिन सच्चाई ये है कि बाल विवाह की कुप्रथा आज भी हमारे समाज में मौजूद है। आज राजस्थान से हमारे पास कुछ तस्वीरें आई हैं और इन तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर कर रख देने की ताकत है। आज भले ही भारत की तरक्की के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हों, लेकिन सच ये है कि भारत के पैरों में बाल विवाह जैसी प्रथाओं की ज़ंजीरें हैं।

Zee जानकारी : भारत के पैरों में आज भी हैं बाल विवाह जैसी प्रथाओं की ज़ंजीरें

नई दिल्ली : आपने बाल विवाह के बारे में सुना होगा और कई टीवी सीरियल्स और फिल्मों में इस प्रथा से होने वाले नुकसान को देखा भी होगा लेकिन सीरियल या फिल्म देखते हुए इसकी गंभीरता का अंदाज़ा नहीं होता। आपमें से कई लोगों को ये भी लगता होगा कि बाल विवाह पुराने ज़माने में होते थे। लेकिन सच्चाई ये है कि बाल विवाह की कुप्रथा आज भी हमारे समाज में मौजूद है। आज राजस्थान से हमारे पास कुछ तस्वीरें आई हैं और इन तस्वीरों ने पूरे देश को झकझोर कर रख देने की ताकत है। आज भले ही भारत की तरक्की के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हों, लेकिन सच ये है कि भारत के पैरों में बाल विवाह जैसी प्रथाओं की ज़ंजीरें हैं।

नियम कानून की बात करें तो भारत में 18 साल की उम्र से पहले लड़कियों की और 21 साल की उम्र से पहले लड़कों की शादी करवाना क़ानूनन जुर्म है। लेकिन राजस्थान में इस कानून का खुलेआम उल्लंघन किया गया और 5 से 10 साल के उम्र के बच्चों की शादियां करा दी गईँ। ऐसा सिर्फ राजस्थान में या सिर्फ भारत में नहीं हो रहा है। बाल विवाह विकासशील देशों की एक बढ़ती हुई समस्या है।

यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड यानी यूएनएफपीए के मुताबिक विकासशील देशों में हर 3 में से 1 लड़की की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले ही हो जाती है और हर 9 में 1 लड़की की शादी 15 वर्ष की उम्र से पहले कर दी जाती है। यूएनएफपीए का अनुमान है कि अगले दशक तक इन विकासशील देशों में 1 करोड़ 35 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले ही कर दी जाएगी। यानी एक दिन में 37 हज़ार नाबालिग लड़कियों की शादी होगी। 

बिहार, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में हर 10 में से 6 लड़कियों को बाल विवाह की बेड़ियां पहननी पड़ती हैं। हालांकि भारत में बाल विवाह के मामले पहले से कम हुए हैं। 1992-93 में भारत में 54% लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती थी, जबकि अब भारत में 33 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले होती है।

बाल विवाह का असर लड़कों के मुकाबले लड़कियों पर ज़्यादा पड़ता है। यूनिसेफ के मुताबिक 15 से 19 वर्ष की 13 प्रतिशत शादीशुदा लड़कियां अपने पति द्वारा यौन हिंसा का शिकार होती हैं। बाल विवाह की वजह से लड़कियों को घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए स्कूल छोड़ना पड़ता है। यूनिसेफ के मुताबिक 10 वर्ष की उम्र तक शिक्षा हासिल करने वाली लड़की को 18 वर्ष से पहले शादी के लिए मजबूर करने की आशंका 6 गुना कम होती है। 

भारत में 6 में से 1 लड़की को 15 से 19 वर्ष की उम्र में बच्चे को जन्म देना पड़ता है। कम उम्र में ही गर्भ-धारण करने से लड़कियों में गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। 20 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में शिशुओं की मृत्यु दर 76 फीसदी होती है, जबकि 20 से 29 वर्ष की महिलाओं में ये दर सिर्फ 50 फीसदी है। 

आप समझ गए होंगे कि बाल विवाह कितनी बड़ी समस्या है लेकिन सच ये भी है कि बाल विवाह रुक नहीं रहे हैं। 

भारत में बाल विवाहों को रोकने के लिए कई कानून भी हैं। 

सबसे पहले 28 सितंबर 1929 को चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेंट एक्ट पारित किया गया था। इन कानून में भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 14 वर्ष और लड़कों की 18 वर्ष निर्धारित की गई थी। बाद में इस कानून में संशोधन हुआ और लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष कर दी गई। इस कानून को शारदा एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। 

2006 में बाल विवाह निषेध कानून पारित किया गया। जिसके सेक्शन-3 के तहत बाल विवाह 'रद्द' माना जाता है। कोई भी लड़की 18 वर्ष और लड़का 21 वर्ष का होने के दो साल के अंदर अगर चाहे तो अदालत में अपने बाल विवाह को रद्द करने की अर्ज़ी लगा सकता है। 

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