कावेरी पर फैसला: क्‍या कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस को मिलेगा लाभ?
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कावेरी पर फैसला: क्‍या कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस को मिलेगा लाभ?

अप्रैल में कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसको सत्‍ताधारी कांग्रेस के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि दक्षिणी कर्नाटक में कावेरी जल का मुद्दा भावनात्‍मक रूप से लोगों से काफी जुड़ा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद पर ऐतिहासिक फैसला दिया.(फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कावेरी जल बंटवारा विवाद पर अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए आदेश दिया है कि तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी अतिरिक्‍त पानी रिलीज किया जाएगा और कर्नाटक को अतिरिक्‍त 14.75 टीएमसी पानी मिलेगा. इस निर्णय से प्रेक्षकों के मुताबिक कर्नाटक को लाभ मिलेगा. दरअसल बेंगलुरू की जरूरतों को पूरा करने के इरादे से ऐसा किया गया है. कर्नाटक इस फैसले को अपने लिए जीत के रूप में देख रहा है क्‍योंकि अभी जो तमिलनाडु को अतिरिक्‍त पानी मिल रहा था, उसी में से कुछ हिस्‍से को निकालकर कर्नाटक को दिया गया है.

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर दिया फैसला
  2. कर्नाटक में इसी अप्रैल में होने जा रहे हैं चुनाव
  3. राहत मिलने से सत्‍ताधारी कांग्रेस इसको भुनाने की कोशिश करेगी

अप्रैल में कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसको सत्‍ताधारी कांग्रेस के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि दक्षिणी कर्नाटक में कावेरी जल का मुद्दा भावनात्‍मक रूप से लोगों से काफी जुड़ा रहा है. दक्षिणी कर्नाटक में ही कांग्रेस की मजबूत स्थिति रही है. इस क्षेत्र में इसका प्रमुख मुकाबला पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस से है. जेडीएस के बीच किसानों का बड़ा जनाधार है. यहां के किसानों के लिए खेती के लिहाज से यह नदी जीवनरेखा के समान है. इस वजह से पानी के मुद्दे पर जेडीएस किसानों की मांगों को उठाती रही है. वह इस परिस्थिति के लिए कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार को जिम्‍मेदार ठहराती रही है. ऐसे में कर्नाटक को अतिरिक्‍त पानी की सुविधा को कांग्रेस अपनी जीत के रूप में चुनावों के दौरान पेश करेगी.

कावेरी जल विवाद: तमिलनाडु का पानी घटाया, कर्नाटक को दिया गया; सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें

दक्षिणी कर्नाटक
इस क्षेत्र के लोगों के लिए कावेरी नदी गौरव और अस्मिता का प्रतीक है. इस विवाद के कारण यहां कई बार हिंसक स्थितियां उत्‍पन्‍न हो चुकी है. 1990-91 में मानसूनी बारिश दक्षिणी कर्नाटक में नॉर्मल से जब 35 प्रतिशत कम हुई तो राज्‍य में हिंसा भड़क गई. दरअसल उस वक्‍त सीडब्‍ल्‍यूडीटी ने अंतरिम आदेश के तहत तमिलनाडु को पानी रिलीज करने को कहा था. इसी फैसले के खिलाफ हिंसा भड़की और 18 लोगों की मौत हो गई.

फैसले का असर
विश्‍लेषकों के मुताबिक कर्नाटक को जल की अतिरिक्‍त राशि मिलने से यह अपने बेसिन में स्थित जलाशयों में जल का भंडारण कर सकेगा और इसके उपयोग से अपनी सिंचाई सुविधाओं का विस्‍तार कर सकेगा. दरअसल यह एक बड़ा मुद्दा था क्‍योंकि बेसिन के पास रहने वाले किसानों को इस पानी के इस्‍तेमाल के संबंध में कई पाबंदियां थीं. बेंगलुरू के अलावा बेसिन के कई शहरों में पीने के पानी के लिए कावेरी नदी पर ही लोगों की निर्भरता है.

तमिलनाडु
प्रेक्षकों के मुताबिक भले ही फैसले के बाद तमिलनाडु के शेयर में गिरावट आई हो लेकिन दीर्घकालिक अवधि में राज्‍य को लाभ होगा. ऐसा इसलिए क्‍योंकि जुलाई से कर्नाटक को हर महीने इसके कलए 177.25 टीएमसी देना होगा. इससे तमिलनाडु की एक बड़ी समस्‍या का निदान होगा क्‍योंकि इसकी हमेशा शिकायत रही है कि इसको समय पर पानी नहीं मिलता रहा है. इस फैसले के बाद अब उसको नियमित रूप से पानी मिलेगा.

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