ये सवाल इस वक्त इसलिए बेहद अहम हो गया है क्योंकि कांग्रेस(78 विधायक) और जेडीएस(38) ने 117 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को 16 मई को पेश की है.
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कर्नाटक में बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के बावजूद सियासी ड्रामा खत्म नहीं हुआ है. बेंगलुरू के सत्ता के गलियारों से शुरू होकर सत्ता के लिए संघर्ष सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया है. कोर्ट ने असाधारण रूप से रात भर सुनवाई कर येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन 18 मई को सुबह 10:30 बजे बहुमत के जादुई आंकड़े की राजभवन में उनकी तरफ से पेश की गई चिट्ठी मांग ली है, जिसके दम पर बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया था.
लिहाजा अब पूरा दारोमदार बीजेपी की तरफ से 15-16 मई को राज्यपाल को बीजेपी की तरफ से पेश की गई समर्थन की उस चिट्ठी पर टिक गया है. इसी से बड़ा सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के पास बहुमत के लिए जरूरी 112 विधायकों का समर्थन है? ये सवाल इस वक्त इसलिए बेहद अहम हो गया है क्योंकि कांग्रेस(78 विधायक) और जेडीएस(38) ने 117 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को 16 मई को पेश की है. इसमें एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है.
बीजेपी के लिए ये लड़ाई इसलिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है क्योंकि उसके पास 104 विधायकों के अलावा फिलहाल एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है. इस तरह सबसे बड़े दल के रूप में उसके पास 105 विधायकों का स्पष्ट समर्थन है लेकिन अपेक्षित बहुमत से यह आंकड़ा सात कदम दूर है.
कोर्ट के सवाल
इसी मामले में शुक्रवार सुबह 10.30 बजे जब कोर्ट में इस मामले में फिर सुनवाई होगी तो जानकार बताते है कि यदि इस चिट्ठी में बहुमत के आंकड़े का जिक्र नहीं हुआ तो राज्यपाल के फैसले पर सवाल खड़े होंगे. अभी भी इस मामले में येदियुरप्पा को 15 दिन की दी गई मोहलत देने का मामला बना हुआ है. वहीं इस मामले में येदियुरप्पा और राज्यपाल को नोटिस जार कर अपना पक्ष रखने को कहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि मध्य रात्रि के बाद हुई सुनवाई में जस्टिस सीकरी ने बीजेपी की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से कहा कि क्या आपके पास बहुमत का गणित है क्योंकि आपके नंबर तो ऐसा नहीं कहते हैं. ये तो हमें नहीं पता, ऐसे में वह वो फ्लोर टेस्ट में फेल हो सकते है.
सत्ता का सस्पेंस: ...तो ये है कर्नाटक में BJP का बहुमत के आंकड़े को छूने का गणित!
इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा- ऐसी परंपरा नहीं है, पहले शपथ ग्रहण होता है फिर बहुमत साबित करना होता है. इस पर जस्टिस सीकरी ने अटॉर्नी जनरल एके वेणुगोपाल से कहा है कि आंकड़े बीजेपी के साथ नहीं है. जस्टिस एके सीकरी ने अटॉर्नी जनरल एके वेणुगोपाल से पूछा कि इस तरह के केस में जहां कांग्रेस 117 विधायकों की संख्या बता रही है आपके पास 112 विधायक कहां है? इसके साथ ही जस्टिस बोबड़े ने कहा- जब तक हम विधायकों के समर्थन की चिट्ठी नहीं देख लेते, अटकलें नहीं लगा सकते. जस्टिस बोबड़े ने यह भी कहा कि हमें नहीं पता कि येदियुरप्पा किस तरह के बहुमत का दावा कर रहे हैं?
लिंगायत कार्ड पर टिक सकता है दारोमदार
यदि कोर्ट अपनी सुनवाई में कहता है कि बीजेपी को सबसे बड़े दल के रूप में पहले सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का राज्यपाल का फैसला सही है और राज्यपाल के द्वारा दी गई 15 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर बीजेपी को अपना बहुमत साबित करना होगा तो बीजेपी लिंगायत सम्मान के मुद्दे के आधार पर समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकती है. चूंकि बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. लिहाजा बीजेपी अभी से यह कह रही है कि इस समुदाय के नेता को सत्ता में पहुंचने से रोकने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन किया है.
इस आधार पर BJP लिंगायतों के सम्मान को एक मुद्दा बनाने के मूड में है और इस आधार पर कांग्रेस और जेडीएस के लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विधायकों से येदियुरप्पा को समर्थन देने की अपील कर सकती है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के टिकट पर 21 और JDS के टिकट पर 10 लिंगायत विधायक जीतकर आए हैं. ऐसे में जितने भी लिंगायत विधायक इन दलों से टूटकर बीजेपी में जाएंगे, उताना ही फायदा बीजेपी को होगा.