कपिल सिब्बल ने दलील दी कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में पुरानी परंपरा को तोड़ा गया. इस पर जस्टिस बोवड़े ने कहा कि ऐसा कई बार हुआ कि सीनियर मोस्ट विधायक को स्पीकर नहीं बनाया गया.
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नई दिल्ली : कर्नाटक में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में शनिवार सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई शुरू हो गई. कोर्ट रूम नंबर 6 लोगों से खचाखच भरा था. सुनवाई की शुरुआत में ही जेडीएस की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जजों की तीन सदस्यीय बेंच से 'माफी' मांगी. उन्होंने कहा कि कोर्ट को तकलीफ देने के लिए सॉरी. इसके जवाब में बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि It's Ok, हम अपने काम का सम्मान करते हैं.
इस दौरान कपिल सिब्बल ने दलील दी कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में पुरानी परंपरा को तोड़ा गया. इस पर जस्टिस बोवड़े ने कहा कि ऐसा कई बार हुआ कि सीनियर मोस्ट विधायक को स्पीकर नहीं बनाया गया.
दरअसल, केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर (अस्थाई अध्यक्ष) नियुक्त किए जाने के प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले को नियुक्ति को कांग्रेस और जनता दल (एस) गठबंधन ने शुक्रवार (18 मई) रात उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शुक्रवार (18 मई) देर रात इस मामले को न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया था, जो इस (कर्नाटक) मामले में सुनवाई कर रही है. इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं.
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गठबंधन की तरफ से अधिवक्ता देवदत्त कामत द्वारा दायर याचिका शाम को शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार के समक्ष दायर की गई, लेकिन याचिका में कुछ खामियां बताई गईं, जिसे बाद में ठीक कर लिया गया. नई याचिका देर रात में रजिस्ट्री में दायर की गई और शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार इस पर विचार संबंधी निर्देश के लिए इसे लेकर प्रधान न्यायाधीश के आवास पर पहुंचे.