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टोक्यो : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज तीन दिन की जापान यात्रा पर तोक्यो पहुंच गए। इस दौरे में वह द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने और असैन्य परमाणु उर्जा सहयोग समझौते पर जोर देंगे। सिंह अपने जापानी समकक्ष शिंजो एबे के साथ बुधवार को बातचीत करेंगे। इस बातचीत का केंद्रबिंदु रक्षा, आर्थिक, उर्जा और दूसरे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर होगा। प्रधानमंत्री के साथ उनकी पत्नी गुरशरण कौर भी पहुंची हैं। सिंह ने जापान को ‘‘भारत के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक साझेदार’’ बताया । जापान के बाद वह थालैंड जाएंगे।
भारतीय पक्ष में आधिकारिक सूत्रों ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि जापान के रिश्ते को लेकर भारत की गति मंद है क्योंकि वह चीन को नाराज नहीं करना चाहता। सूत्रों ने कहा, ‘‘साल 2011 की फुकुशिमा परमाणु त्रासदी के बाद जापानी पक्ष में संवेदनशीलताएं हैं और हम उनका सम्मान करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब जापान इस ओर देख रहा है कि परमाणु अप्रसार व्यवस्था को किस तरह मजबूत किया जाए तो भारत का यह विचार है कि असैन्य परमाणु उर्जा सहयोग से अप्रसार व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।’’ सूत्रों ने कहा, ‘‘भारत जापानी पक्ष की ओर से अपनाई गई गति को लेकर बहुत खुश है।’’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जापान दौरा पिछले साल नवंबर में ही प्रस्तावित था, लेकिन दिसंबर में वहां आम चुनाव होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
मनमोहन ने रवाना होने से पूर्व अपने बयान में कहा कि वह राजनीतिक, सुरक्षा और उर्जा क्षेत्रों में जापान के साथ भारत के संबंध मजबूत करने पर बात करेंगे । सिंह ने जापानी प्रधानमंत्री एबे को अपना ‘बहुत अच्छा मित्र’ बताया और कहा कि दोनों देशों के बीच लगातार शिखर बैठकों से भारत-जापान रणनीतिक एवं वैश्विक साझीदारी को मिली गति को वह, एबे के साथ मिल कर और मजबूती देंगे। असैन्य परमाणु सहयोग करार के बारे में सिंह ने जापानी संवाददाताओं से कहा कि जापान में समस्याएं हैं और वहां इस साल के आखिर में उच्च सदन के लिए चुनाव होने हैं।
जापान में मार्च 2011 को हुए फुकुशिमा परमाणु हादसे के बाद से असैन्य परमाणु सहयोग करार के लिए बातचीत में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है। भारत अमेरिका परमाणु करार का और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी प्रतिबंधों से भारत को छूट दिए जाने का जापान ने स्वागत किया है वहीं दूसरी ओर वहां की सरकारों को अप्रसार संबंधी खेमे के तीव्र विरोध के चलते राजनीतिक समर्थन जुटाने में मुश्किल हुई है।
जापान द्वारा परमाणु उपकरण और प्रौद्योगिकी की भारत को बिक्री पर भारत के पूर्व परमाणु परीक्षणों, परमाणु अप्रसार संधि तथा व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर से नयी दिल्ली के लगातार इंकार के चलते इस आधार पर असर पड़ा है कि यह सब भेदभावपूर्ण है। मनमोहन सिंह के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पुलक चटर्जी, विदेश सचिव रंजन मथाई और कई दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी जापान पहुंचे हैं। (एजेंसी)