चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में हो सकती है 5.8% वृद्धि: मायाराम
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चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में हो सकती है 5.8% वृद्धि: मायाराम

आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के संकेत मिलने के बाद चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में 5.7 से 5.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि, इसके बावजूद वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने कहा है कि 4.1 प्रतिशत के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।

बेंगलूर : आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के संकेत मिलने के बाद चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में 5.7 से 5.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि, इसके बावजूद वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने कहा है कि 4.1 प्रतिशत के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।

मायाराम ने यहां संवाददाताओं से कहा, दो बातों को हमें अवश्य याद रखना चाहिये। एक, बाजार हमेशा ही घाटे के आंकड़ों को लेकर संशय में रहता है .. हालांकि, वित्त मंत्री इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं, लेकिन मैं कहूंगा कि यह चुनौतीपूर्ण काम है। फिर भी सरकार की यह पुरजोर कोशिश होगी कि वह इस लक्ष्य को हासिल करे, मुझे नहीं लगता कि इस बारे में कोई शंका होनी चाहिये।

मायाराम ने कहा, दूसरी बात यह कि अर्थव्यवस्था में गतिविधियां तेज हुई हैं। यदि आप हाल के आंकड़ों को देखें, चाहे वह औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) हो या फिर खरीदार प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) आंकड़े को देखेंगे तो आपको दिखेगा कि अर्थव्यवस्था में सुधार है।

एक सम्मेलन में अलग से मायाराम ने कहा,आर्थिक गतिविधियों में इस तेजी को देखते हुये, जिसे हम महसूस कर रहे हैं और हर कोई इसे मान रहा है, इसे हासिल किया जा सकता है और यह 5.7 से 5.8 प्रतिशत के आसपास रहेगी। मुझे नहीं लगता कि हम इसमें इस मामले में क्यों तेजी नही आनी चाहिये।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कापरेरेट गवनेर्ंस पर पी.जे. नायक समिति की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर मायाराम ने कहा, मेरा मानना है कि इस बारे में वित्त मंत्री की बजट घोषणा काफी स्पष्ट है, जैसे ही बैंकों में और पूंजी डाली जायेगी .., उनकी गैर निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) स्थिति को संभाल लिया जायेगा। एक तरह से इसमें प्रणालीगत सुधार आयेगा, बैंकों का एनपीए अनुपात कम होगा और संचालन में सुधार होगा। उन्होंने कहा, इन सभी मामलों में सरकार गंभीर है और सही दिशा में आगे बढ़ रही है। मायाराम यहां आईआईएम बैंगलूर में लोक नीति और प्रबंधन पर आयोजित 9वें सालाना अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।

रिण प्रबंधन पर सम्मेलन के एक सत्र में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हारन आर. खान ने कहा, लोक रिण का प्रबंधन करने की प्रक्रिया एक अहम् जिम्मेदारी है। इसका असर अल्प काल से मध्यम अवधि तक वित्तीय स्थिरता पर पड़ता है जबकि दीर्घकाल में इंटर-जनरेशनल इक्विटी पर होता है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक लोक रिण प्रबंधन के अपने काम को कुशल और प्रभावी तरीके से निभा रहा है और हमारे विचार से इस मामले में मौजूदा संस्थागत व्यवस्था का जारी रखना बेहतर होगा।

 

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