प्रियंका बनाम वरुण: गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के बीच छिड़ा जंग
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प्रियंका बनाम वरुण: गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के बीच छिड़ा जंग

देश भर में जहां तपती गर्मी के बीच चुनावी पारा पूरे उफान पर है, वहीं गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के बीच सियासी तूफान भी छिड़ा हुआ है। यह तूफान और तकरार गांधी परिवार के चौथी पीढ़ी की बड़ी बहन और छोटे भाई के बीच छिड़ा है। यूं कहें कि यह गांधी परिवार के बड़े बच्‍चों के बीच की लड़ाई है।

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बिमल कुमार
देश भर में जहां तपती गर्मी के बीच चुनावी पारा पूरे उफान पर है, वहीं गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के बीच सियासी तूफान भी छिड़ा हुआ है। यह तूफान और तकरार गांधी परिवार के चौथी पीढ़ी की बड़ी बहन और छोटे भाई के बीच छिड़ा है। यूं कहें कि यह गांधी परिवार के बड़े बच्‍चों के बीच की लड़ाई है।
2014 में राजनीति का यह गांधी `वार` वंशवाद की लड़ाई की तरह है। जोकि बड़ी बहन (प्रियंका गांधी) के तीर और भाई (वरुण गांधी) के चुभन सरीखा है। राजनीति के दो रास्‍ते पर चल रहे गांधी परिवार के इन युवा नेताओं के बीच की `चाय पार्टी` में भी तूफान आ खड़ा हुआ है। प्रियंका गांधी अपनी मां और भाई के निर्वाचन क्षेत्रों रायबरेली और अमेठी में इन दिनों मशगूल हैं, लेकिन प्रियंका के इस प्रचार अभियान के बीच रिश्‍तों में दरारें भी उभरकर सामने आने लगी है।
गांधी परिवार के रिश्‍तों की इस वैचारिक आग में जहां वंशवाद पर निशाना साधा जा रहा है, वहीं विचारधारा की दुहाई भी दी जा रही है। बड़ी बहन जहां कहती हैं कि वरुण ने परिवार के साथ विश्‍वासघात किया, वहीं वरुण बड़ी बहन से शालीनता की सीमा न लांघने की नसीहत उन्‍हें दे रहे हैं। बड़ी बहन का कहना है कि गांधी परिवार से होने के चलते वह बिल्‍कुल सही रास्‍ते पर हैं और वरुण रास्‍ता भटक गए हैं। साथ ही यह कहने से भी नहीं चूक रहीं हैं कि मेरे पिता ने इस देश की एकता के लिए अपनी जान तक दे दी। वहीं वरुण भी कह रहें कि यदि वे गांधी न होते तो आज यहां नहीं होते। यानी जिस मुकाम तक वे आज पहुंचे हैं। बड़ी बहन और छोटे भाई के बीच इस जुबानी जंग से फैले नफरत और वैमनस्‍यता का हिसाब किसे चुकाना पड़ेगा, यह जनता भलीभांति जान रही है, मगर एक बात साफ है कि मौजूदा चुनावी राजनीति के इस मुकाम पर सभी अपने अपने निहित स्‍वार्थों को ही पूरा करने में लगे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान अमेठी और सुल्‍तानपुर के निवासी गांधी परिवार के दो वंशजों और चचेरे भाई-बहन के बीच आरोप-प्रत्यारोप के साक्षी बन रहे हैं।
प्रियंका ने बीते दिनों अपने चचेरे भाई वरुण पर जमकर निशाना साधा। उनके शब्‍दों में लोकसभा चुनाव विचारधारा की लड़ाई है और इस मायने में वरण ने परिवार के साथ विश्वासघात किया है। प्रियंका के इस शाब्दिक हमले के बाद वरुण भला कहां चुप रहने वाले थे। बीजेपी नेता ने भी शालीनता की लक्ष्मण रेखा पार न करने की नसीहत बहन को दे डाली। प्रियंका की तरफ इशारा कर कहा कि किसी का अपमान करके कोई अपना कद नहीं बढ़ा सकता।
दोनों के बीच की लड़ाई भले ही परिवार की चाय पार्टी नहीं है पर क्‍या यह वाकई विचारधारा की लड़ाई है। वरुण के पिछले चुनाव में व्‍यक्‍त विचारों की दुहाई आ दी जा रही है, ऐसे में क्‍या प्रियंका को इस मामले में पहले ही आपत्ति नहीं जताना चाहिए था। यदि प्रियंका आज उस बात का जिक्र कर रही हैं तो उसके विशुद्ध रूप से राजनीतिक मायने ही हैं। संभवत: सुल्‍तानुपर की सीट पर वरुण गांधी का लड़ना कांग्रेस का अखर रहा है। जिक्र योग्‍य है कि इस सीट पर कांग्रेस का ही अधिकांशत: वर्चस्‍व रहा है। एक समय था जब दिवंगत कांग्रेस नेता संजय गांधी का इन क्षेत्रों में काफी बोलबाला था और उनके सानिध्‍य में कांग्रेस को काफी फायदा पहुंचता था। आज जब वरुण इस सीट पर आ पहुंचे हैं तो वर्चस्‍व की लड़ाई उभरकर सामने आ गई है। अब वरुण आए हैं तो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर। यही वजह है कि कांग्रेस के रणनीतिकार परेशान हैं और प्रियंका ने भी इसी रणनीति के तहत वरुण के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल लिया है। प्रियंका का वरुण के विचारों से असहमति जताना भी इसी रणनीति का एक हिस्‍सा है।
जुबानी जंग में प्रियंका यहां तक कह गईं कि वह किसी बात के लिए अनादर नहीं कर सकती, भले ही वह मेरा बच्चा ही क्यों न हो। अब इस बात से समझा जा सकता है कि दोनों के बीच तल्‍खी कितनी बढ़ गई है। प्रियंका दरअसल पिछले चुनावों में वरुण के पीलीभीत में दिए एक भाषण का जिक्र कर रहीं थीं जिस पर विवाद हुआ था और नफरत भरा भाषण मानते हुए उनकी काफी निंदा भी हुई थी। प्रियंका उन्‍हें अपने परिवार से और भाई तो मानती हैं पर यह कहने से भी नहीं चूक रहीं हैं कि वह रास्ता भटक गए हैं। इसके जवाब में वरुण की मां और बीजेपी नेता मेनका गांधी भी कूद पड़ी और कह डाला कि भटकने वाले को देश ही सही रास्‍ता दिखाएगा। यदि इस तकरार के दूसरे पहलू को देखें तो यह साफ हो जाता है कि न सिर्फ उत्‍तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में 'मोदी लहर' के बीच कांग्रेस अपने सीटों को लेकर काफी सशंकित है। मेनका के बयान में आत्‍मविश्‍वास यह दर्शाता है कि मोदी के नाम की हवा किस तरह चारों तरफ बह रही है।
वरुण थोड़े संयमित जरूर दिखे लेकिन बड़ी बहन को ‘शालीनता की लक्ष्मण रेखा’ पार न करने की नसीहत दी। साथ ही चेताया कि उनकी शालीनता और बड़े दिल को उनकी कमजोरी नहीं माना जाए। वैसे भी वरुण अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान अपने पिता संजय गांधी के नाम का बार-बार उद्धरण पेश कर रहे हैं, जो कांग्रेस को नागवार गुजर रहा है। प्रियंका को शायद यह लगता है कि कांग्रेस और गांधी परिवार से सिर्फ हमारा ताल्‍लुक है और कोई अन्‍य इस बात का बेजा फायदा न उठाए। यानी यह राजनीतिक लड़ाई के बीच राजनीतिक कम वर्चस्‍व की लड़ाई ज्‍यादा नजर आ रही है। आपको बता दें कि पीलीभीत से सांसद वरुण इस बार सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रहे हैं और समझा जाता है कि उनकी स्थिति मजबूत है। वहीं, प्रियंका ने बीजेपी से संबंध रखने के लिए वरुण के खिलाफ जुबानी प्रहार कर रही हैं।
प्रियंका अमेठी को परिवार का हिस्सा मानती हैं और कहती भी हैं कि उनके पिता दिवंगत राजीव गांधी ने इस क्षेत्र को संवारा। उनका यहां आने का मकसद कभी राजनीतिक नहीं होता। मगर अब अमेठी, रायबरेली और सुल्‍तानपुर में जो राजनीतिक बिसात बिछी है, उससे यह साफ है कि यह महज राजनीतिक नहीं पारिवारिक वर्चस्‍व की लड़ाई भी है।
वैसे भी केंद्र की सत्ता पाने का सपना देखने वाले दलों के लिए उत्तर प्रदेश का हर क्षेत्र इस समय खास मायने रख रहा है। यहां की 80 सीटें किसी भी दल का भविष्य बदल सकती हैं। यही वजह कि कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ने वाराणसी भी खिंचे चले आए हैं। ऐसे में यदि प्रियंका गांधी और वरुण गांधी के बीच जुबानी तकरार हो तो हैरत की बात नहीं, चूंकि सभी की नजर न सिर्फ अपनी सीटें बल्कि विचारधारा की जंग को आगे बढ़ाकर वोट बैंक को लुभाने की है ताकि इन सीटों पर अपना 'अधिकार और वर्चस्‍व' स्‍थापित और सुनिश्चित किया सके।

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