`पद्मनाभस्वामी मंदिर का धन सार्वजनिक संपत्ति नहीं`
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`पद्मनाभस्वामी मंदिर का धन सार्वजनिक संपत्ति नहीं`

केरल के प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के बेशकीमती आभूषणों और अमूल्य वस्तुओं को सार्वजनिक सम्पत्ति घोषित करने की मार्क्सभवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा मांग किए जाने के अगले दिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता और सम्पत्ति पर केवल मंदिर का अधिकार रहेगा।

तिरुवनंतपुरम : केरल के प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के बेशकीमती आभूषणों और अमूल्य वस्तुओं को सार्वजनिक सम्पत्ति घोषित करने की मार्क्सभवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) द्वारा मांग किए जाने के अगले दिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता और सम्पत्ति पर केवल मंदिर का अधिकार रहेगा।
चांडी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इसे सार्वजनिक सम्पत्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह मंदिर और भक्तों की सम्पत्ति है। इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है और जो भी फैसला आएगा, हमें उसका पालन करना होगा।
गौरतलब है कि माकपा के राज्य सचिव पिनारायी विजयन ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त सलाहकार गोपाल सुब्रह्मण्यम को गुरुवार को पद से हटाने की मांग की थी और उन पर पूर्ववर्ती त्रावणकोर राज परिवार के प्रति वफादारी दिखाने का आरोप लगाया था। चांडी ने कहा कि अदालत के सलाहकार पर सवाल उठाकर माकपा ने अटपटा काम किया। उन्हें स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने नियुक्त किया है।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष जुलाई में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति ने मंदिर के छह तहखानों को खुलवाया था और वस्तुओं की सूची तैयार करवाई थी, जिससे पांच तहखानों में एक लाख करोड़ से अधिक की सम्पत्ति होने पता चला था। छठा तहखाना `बी` अभी खोला जाना बाकी है। मंदिर के कोषागार में रखी वस्तुओं की सूची तैयार करने का कार्य भारतीय पुलिस सेवा के एक पूर्व अधिकारी टी.पी. सुंदरराजन की पहल पर शुरू हुआ था। उन्होंने मंदिर के मामले में कथित कुप्रबंधन की शिकायत सर्वोच्च न्यायालय से की थी। सुंदरराजन का पिछले वर्ष जुलाई में निधन हो गया। (एजेंसी)

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