भाजपा के अलावा कांग्रेस, सपा, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस जैसे सभी पार्टियों के नेता इस सभा में पहुंचे. सभी ने अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर अपनी यादें सभी से साझा कीं.
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नई दिल्ली : दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में शोक सभा का आयोजन किया गया. इस शोक सभा में हर दल के नेता उपस्थित थे. भाजपा के अलावा कांग्रेस, सपा, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस जैसे सभी पार्टियों के नेता इस सभा में पहुंचे. सभी ने अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर अपनी यादें सभी से साझा कीं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी लोगो को संबोधित किया. लेकिन इस मौके पर सबसे ज्यादा चर्चा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला के भाषण की हुई.
इस मौके पर फारुख अब्दुल्ला ने कहा, अगर अटल को याद रखना है तो इस देश को ऐसा बनाओ, जिसमें प्रेम इतना हो, कि इस देश के सामने दुनिया झुकने आ जाए. दुनिया कहे कि ये देश है जो प्रेम बांटता है. प्रेम को बांटिए. यही सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी हमारी अटल बिहारी वाजपेयी के लिए. मुबारक है, इस धरती को जिसने अटल को पैदा किया. मुझे भी उन्हें समझने का वक्त मिला. अल्लाह से दुआ करता हूं कि उन्हीं के रास्ते पर चलकर इस देश को इतना मजबूत बनाऊं कि कोई इस देश को हिला न सके.
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इसके बाद फारुख अब्दुल्ला ने कहा, हाथ उठाकर नारा दीजिए, भारत माता की जय..... उन्हें थोड़ी कम आवाज लगी, तो उन्होंने कहा, भाइयो ये आपकी आवाज है....! इसके बाद उन्होंने फिर से जोर से कहा, भारत माता की....जय के साथ पूरा स्टेडियम गूंज उठा. इसके बाद फारुख अब्दुल्ला ने जय हिंद के साथ अपना भाषण खत्म किया.
#WATCH: Former J&K CM Farooq Abdullah says 'Agar Atal ko yaad rakhna hai to uss desh ko banao jismein prem itna ho ki dunia jhukne aa jaaye iss desh ke saamne ki ye desh hai jo prem baant'ta hai. Wo prem baantiye, wahi hamari sabse badi shradhhanajli hogi #AtalBihariVajpaee ko.' pic.twitter.com/MYbhVArRsA
— ANI (@ANI) August 20, 2018
गौरतलब है कि फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस एनडीए सरकार में साझीदार थी. वह खुद वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे थे. इसके अलावा उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. पीएम मोदी ने कहा, वाजपेयी ने परीक्षणों का श्रेय देश के वैज्ञानिकों को दिया. दो दिन बाद भारत ने फिर परीक्षण किए और दिखाया कि एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व क्या कर सकता है. मोदी ने कहा, ‘वह (वाजपेयी) कभी भी दबाव में नहीं झुके. आखिरकार वह अटल थे.’ उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी ने कभी भी अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने खुद को सांसद के रूप में प्रतिष्ठित किया और उन्हें संसदीय परंपराओं पर गर्व था. वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में गत 16 अगस्त को निधन हो गया था. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे.