क्‍या आप ममता बनर्जी या मायावती का PM पद के लिए समर्थन करेंगे? राहुल गांधी ने दिया जवाब
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क्‍या आप ममता बनर्जी या मायावती का PM पद के लिए समर्थन करेंगे? राहुल गांधी ने दिया जवाब

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह किसी भी ऐसे प्रत्‍याशी का समर्थन करेंगे जो बीजेपी और आरएसएस को हराएगा.

राहुल गांधी ने मंगलवार शाम को महिला पत्रकारों से मुलाकात की.(फोटो: ANI)

नई दिल्‍ली: कांग्रेस ने रविवार को आगामी 2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को चुनाव से पहले और चुनाव के बाद गठबंधन के लिए अधिकृत करते हुए कहा कि बीजेपी को सत्‍ता से बेदखल करने के अभियान में राहुल गांधी ही पार्टी का चेहरा होंगे. इस तरह से एक प्रकार से कांग्रेस ने उनको पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया है. इससे कांग्रेस ने यह भी साफ कर दिया है कि विपक्ष की धुरी अब सोनिया गांधी नहीं राहुल गांधी होंगे. यहीं से बड़ा सवाल उठता है कि क्‍या बसपा सुप्रीमो मायावती और तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी 2019 के चुनाव में उनको विपक्ष का नेता मानने को तैयार होंगे?

  1. राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी, आरएसएस को हराने वाले का समर्थन
  2. कांग्रेस यूपी, बिहार में गठबंधन की कोशिश कर रही है
  3. लोकसभा में इन दोनों राज्‍यों की 22 फीसद सीटे हैं

इन विपक्षी नेताओं की मंशा चाहे जो हों लेकिन कांग्रेस के ऐलान के बाद अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में स्थिति साफ करते हुए कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह किसी भी ऐसे प्रत्‍याशी का समर्थन करेंगे जो बीजेपी और आरएसएस को हराएगा. मंगलवार शाम को महिला पत्रकारों से बातचीत के एक कार्यक्रम में सूत्रों के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्‍या वह प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती या ममता बनर्जी के नाम का समर्थन करेंगे तो राहुल गांधी ने यह जवाब दिया.

सूत्रों के मुताबिक 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस की रणनीति के संबंध में राहुल गांधी ने कहा कि मुख्‍य मुद्दा यूपी और बिहार में जीत हासिल से है क्‍योंकि इन दोनों राज्‍यों की कुल मिलाकर लोकसभा में 22 प्रतिशत सीटें हैं. इसलिए इन राज्‍यों में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस गठबंधन को तैयार है. हालांकि साथ ही यह भी कहा कि तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) और शिवसेना जैसे बीजेपी के सहयोगी दलों ने एनडीए का दामन छोड़ दिया है. इसका अतिरिक्‍त लाभ भी कांग्रेस को मिलेगा. खुद के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछे गए सवाल पर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह काफी हद तक तात्‍कालिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है.

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राहुल गांधी का यह बयान ऐसे वक्‍त आया है जब कांग्रेस ने भले ही 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनके नाम को आगे बढ़ाया है लेकिन पार्टी ने  इसके साथ ही यह भी संकेत दिया कि उसे शीर्ष पद के लिए विपक्ष में से किसी भी ऐसे किसी उम्मीदवार को स्वीकार करने में एतराज नहीं है जिसकी पीठ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हाथ नहीं हो. पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने यह संकेत देते हुए यह भी कहा कि भाजपा को 2019 में सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस राज्‍यों में विभिन्न दलों का गठबंधन बनाने पर गौर करेगी.

इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संभावित विपक्षी गठबंधन से किसी महिला उम्मीदवार के लिए दौड़ से हट जायेंगे, सूत्रों ने कहा कि उन्हें ''आरएसएस समर्थित व्यक्ति को छोड़कर किसी को भी प्रधानमंत्री के रूप में देखने में कोई आपत्ति नहीं हैं.'' सूत्रों ने कहा कि देखते हैं कि आगे स्थितियां कैसी बनती हैं. विपक्षी खेमे में ऐसी अटकलें हैं कि अगले चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर किसी महिला को पेश किया जाए और ऐसे में बसपा नेता मायावती और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी के नामों की चर्चा चल रही है.

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रविवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस ने कहा था कि उसकी ओर से राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री का चेहरा होंगे. उसने राहुल गांधी को सत्तारूढ़ दल बीजेपी का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ करने के लिए अधिकृत किया था. इसे विचारधारा की लड़ाई करार देते हुए सूत्रों ने कहा कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाना होगा. सूत्रों ने कहा कि पहले के मुकाबले हालात अब बदल चुके है. यह हमारी नियमित राजनीतिक लड़ाई से परे है. ऐसा पहली बार है कि सभी संस्थानों पर हमला किया जा रहा है.

विचारधारा की लड़ाई
उन्होंने कहा, ''आरएसएस जितना ही कांग्रेस पर हमला करेगा, पार्टी को आगे बढ़ने में उतनी ही मदद मिलेगी.'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस ‘दक्षिणपंथ या वामपंथ’ में नहीं बल्कि उदारवाद और व्यावहारिकता में यकीन करती है. सूत्रों ने कहा कि बीजेपी को अगला आम चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं मिलेंगी क्योंकि टीडीपी, शिवसेना जैसे दल उससे खुश नहीं है. नरेंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए उन्हें 280 के दायरे में सीटें हासिल करनी होंगी और वह होने नहीं जा रहा है.

सूत्रों ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश और बिहार में महागठबंधन अच्छा प्रदर्शन कर जाता है तो पीएम मोदी के लिए सत्ता बचाने में मुश्किल होगी. उन्होंने दावा किया कि पीएम मोदी 2019 चुनाव जीतने के लिए आतुर हैं क्योंकि उन्हें डर है कि यदि वह सत्ता से बाहर आ गये तो  सीबीआई जैसी एजेंसियां उनके पीछे पड़ जाएंगी. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 और बिहार में 40 सीटें हैं जो लोकसभा की कुल सीटों का 22 फीसद से अधिक है.

(इनपुट: एजेंसी के साथ)

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