लालू की बेटी रोहिणी ने जिस मंदिर में की पूजा, वहां साथ पूजे जाते हैं शिव और विष्‍णु
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लालू की बेटी रोहिणी ने जिस मंदिर में की पूजा, वहां साथ पूजे जाते हैं शिव और विष्‍णु

Hariharnath Temple: बिहार के सारण जिले में स्थित हरिहरनाथ स्वामी मंदिर में भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव की सत्ता का अहसास आज भी होता है. इसी मंदिर में लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने पूरे परिवार के साथ दर्शन कर अपना चुनावी बिगुल बजा दिया है. 

 

hariharnath mandir

Lalu Yada Beti Rohini Achcarya Temple Visit: चुनावी बिगुल बज चुका है. भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर हर कोई राजनीति के मैदान में कदम रख रहा है. हाल ही में लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी बिहार के सारण जिले में स्थिति हरिहरनाथ मंदिर के दर्शन कर सारण जिले से लगभग चुनाव लड़ना तय है. बता दें कि यहां रोहिणी आचार्य पूरे परिवार के साथ पहुंची और पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया. जिस हरिहरनाथ  मंदिर में दर्शन कर रोहिणी ने अपने चुनावी सफर की शुरुआत की है, चलिए जानते हैं इस मंदिर की खासियत और इसके महत्व के बारे में. 

इस प्राचीन मंदिर में लगता है प्रसिद्ध मेला

बिहार के सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ मंदिर बहुत ही प्राचीन है. मंदिर के नाम से ही इसकी खासियत का अंदाजा लगाया जा सकता है. बता दें कि यहां हरि (भगवान विष्णु) और हर (भगवान शिव) दोनों की मूर्ति एक साथ स्थापित हैं. इसलिए इसे हरिहरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. बता दें कि ये मंदिर गंगा-गंडक नदी के संगम स्थल पर स्थित है. 

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बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने को पहुंचते हैं. इस मंदिर का महत्व सावन के महीने में और भी ज्यादा हो जाता है. सावन में यहां विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है. पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हाथी और मगरमच्छ की लड़ाई इसी नदी तट पर हुई थी. यहीं भगवान विष्णु ने ग्राह का सिर काटकर गजराज की रक्षा की थी.

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भगवान श्री राम ने कराया था निर्माण

इस मंदिर में विराजित भगवान शिव की मूर्ति को लेकर मान्यता है कि इसे भगवान श्री राम ने स्थापित किया था. दरअसल, जब श्री राम और लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ मिथिला जा रहे थे, तब रास्ते में श्री राम ने यहां रुककर भोलेनाथ की पूजा की थी. भोलेनाथ ने यहां उन्हें पहले ही सीता स्वयंवर के बारे में बता दिया था. और साथ ही भविष्य में होने वाली घटनाएं घटित हो सकें, इसके लिए शिव धनुष को उठाना जरूरी है. भगवान श्री राम ने उनका धनुष उठाने की आज्ञा मांगी थी. इसलिए भगवान श्री राम ने सीता स्वंयवर में जाते समय इस जगह का निर्माण किया था. और बाद में इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था.   

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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