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नई दिल्ली : हाइपरलूप वन का बुधवार को अमेरिका के नॉर्थ लास वेगास में पहला सफल परीक्षण हुआ। हाइपरलूप वन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बुलेट ट्रेन की दोगुनी रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन बनेगी और दुनिया की सबसे तेज ट्रेन होने का गौरव हासिल करेगी।
जानकारी के अनुसार, हाइपरलूप वन के प्रोटोटाइप का (जिसे पूर्व में हाइपरलूप टेक्नोलॉजीज के नाम से जाना जाता था) का बुधवार को पहली बार अमेरिका के नेवाडा डेजर्ट में में सफल परीक्षण किया गया। बताया जा रहा है कि पहले परीक्षण में हाइपरलूप वन ने 300 मील/घंटा की रफ्तार पकड़ी। इसके लिए परीक्षण स्थल नॉर्थ लॉस वेगास के नेवाडा में बनाया गया था। चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) पर हाइपरलूप का दो मील के ट्रैक पर परीक्षण कराया गया।
इस ट्रेन को बनाने में जुटे शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि आने वाले सालों में वैक्यूम (बिना हवा) ट्यूब सिस्टम से गुजरने वाली कैप्सूल जैसी हाइपरलूप 750 मील (1224 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। इस ट्रेन के ध्वनि की गति 1236 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को छूने का लक्ष्य रखा गया है।
लास वेगास में हाइपरलूप तकनीक से जुड़ी कंपनियों की बड़ी-बड़ी ट्यूबें, पॉड और अन्य उपकरण तैयार हैं। अंतरिक्ष से जुड़ी कंपनी स्पेसएक्स के मालिक एलोन मस्क इस सुपरफास्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुनिया के सामने पेश करेंगे। हाइपरलूप के पॉड धीरे-धीरे गति कम होने के साथ ही सतह को छुएंगे और यात्रियों या सामान को कोई क्षति नहीं होगी। खराब मौसम या भूकंप का भी इस पर असर नहीं होगा।
बताया जा रहा है कि साल 2018 तक पहली हाइपरलूप ट्रेन पटरियों पर दौड़ाने की तैयारी है और साल 2020 तक दुनिया में परिवहन की शक्ल बदलने का लक्ष्य रखा गया है।
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देखें:- हाइपरलूप वन ट्रेन में कुछ ऐसी होगी तकनीक