ISRO के पास ऐसा क्या है जो चीन के पास भी नहीं, जिसका आज की लॉन्चिंग में है अहम रोल
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ISRO के पास ऐसा क्या है जो चीन के पास भी नहीं, जिसका आज की लॉन्चिंग में है अहम रोल

Weather Satellite: इसरो (ISRO) के एक और सैटेलाइट की लॉन्चिंग से आज रिकॉर्ड बन जाएगा. आइए जानते हैं कि चीन किस मामले में भारत से पीछे रह गया.

ISRO के पास ऐसा क्या है जो चीन के पास भी नहीं, जिसका आज की लॉन्चिंग में है अहम रोल

INSAT 3 DS launch Today: इसरो (ISRO) आज स्पेस सेक्टर में इतिहास रचने जा रहा है. इसरो आज INSAT-3 DS सैटेलाइट लॉन्च करेगा. INSAT-3 DS सैटेलाइट स्पेस में जाकर मौसम के बारे में छोटी-से-छोटी जानकारियां इसरो को देगा. इसके अलावा इस सैटेलाइट की मदद से मौसम का बेहतर पूर्वानुमान मिलेगा. आपदा चेतावनी में भी मदद मिलेगी. वहीं, जमीन-महासागरों की सतहों की निगरानी भी और ज्यादा सटीकता से की जा सकेगी. सैटेलाइट के बारे में तो पता चल गया लेकिन अब उस INSAT सीरीज के बारे में जान लेते हैं. जो चीन के पास भी नहीं है.

INSAT-3 DS क्या है?

बता दें कि INSAT-3 DS सैटेलाइट GSLV-F14 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा. INSAT-3 DS सैटेलाइट का वजन 2,274 किलोग्राम है. INSAT-3 DS सैटेलाइट को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. INSAT-3 DS सैटेलाइट जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित होगा. INSAT-3 DS से जुड़े पेलोड के बारे में भी जान लेते हैं. इसमें 6 चैनल इमेजर, 19 चैनल साउंडर, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर है.

INSAT-3 DS सैटेलाइट से क्या होगा?

जान लें कि INSAT-3 DS सैटेलाइट स्पेस में जाकर मौसम के बारे में छोटी-से-छोटी जानकारियां इसरो को देगा. इसके अलावा इस सैटेलाइट की मदद से मौसम का बेहतर पूर्वानुमान मिलेगा. आपदा चेतावनी में भी मदद मिलेगी. वहीं, जमीन-महासागरों की सतहों की निगरानी भी और ज्यादा सटीकता से की जा सकेगी.

INSAT-3 DS मिशन का उद्देश्य

INSAT-3 DS का मकसद पृथ्वी की सतह की निगरानी करना है. मौसम संबंधी महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी देना है. समुद्र का एनालिसिस करना है. समुद्र के पर्यावरण की स्टडी करना है. इसके अलावा मौसम के बारे में इसरो को जानकारी देना है.

चीन कहां रह गया पीछे?

गौरतलब है कि INSAT का मतलब इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम है. ISRO ने मौसम विज्ञान की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया है. इससे कम्युनिकेशन, ब्रॉडकास्टिंग, सर्च एंड रेस्क्यू में भी मदद मिलेगी. यह जियो स्टेशनरी सैटेलाइट्स की सीरीज है. इसरो ने साल 1983 में INSAT सीरीज की शुरुआत की थी. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यह सबसे बड़ा लोकल कम्युनिकेशन सिस्टम है. यह चीन के पास भी नहीं है. अब तक इस सीरीज के 6 सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए. INSAT-3DR इस सीरीज का आखिरी सैटेलाइट जो काम कर रहा है.

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