Dark Matter In Space: नई रिसर्च से पता चला है कि बाइनरी स्टार सिस्टमों की तबाही से हमें डार्क मैटर का पता लगाने में मदद मिल सकती है. डार्क मैटर पदार्थ का अदृश्य रूप है.
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Dark Matter Research: ब्रह्मांड में घूमने वाले अदृश्य डार्क मैटर के भीमकाय झुंड बाइनरी तारों पर कहर बरपा रहे हैं. एक नई स्टडी के मुताबिक, शायद डार्क मैटर ही उन तारों को धीरे-धीरे मौत की ओर धकेल रहा है. वैज्ञानिकों को लगता है कि वे बाइनरी तारों के विकास को देखकर डार्क मैटर को समझ सकते हैं. चीन के वैज्ञानिकों ने बाइनरी तारों की निगरानी शुरू कर दी है. अगर वे एक-दूसरे से दूर जाते हैं तो डार्क मैटर के प्रभाव के सबूत मिल सकते हैं. वैज्ञानिकों ने दशकों से डार्क मैटर के सबूत इकट्ठा किए हैं. पदार्थ का यह अदृश्य रूप लगभग हर आकाशगंगा में करीब 85% द्रव्यमान की वजह है. पहले एस्ट्रोनॉमर्स को लगता था कि डार्क मैटर कोई नए तरह का कण है जो एक-दूसरे से सिर्फ ग्रेविटी के जरिए इंटरएक्ट करता है. लेकिन प्रयोगों में ऐसे कणों के सबूत नहीं मिले. अब वैज्ञानिक एक दूसरे मॉडल की ओर मुड़े गए हैं जो डार्क मैटर के कण को बेहद हल्का मानता है, सबसे हल्के ज्ञात कण - न्यूट्रिनो से भी हल्का. इन मॉडल्स में, डार्क मैटर का कण एक इलेक्ट्रॉन से खरबों-खरब हल्का होगा.
क्वांटम मैकेनिक्स से हम जानते हैं कि सभी कण तरंगों की तरह भी व्यवहार करते हैं. हालांकि, इस सूरत में डार्क मैटर इतना हल्का होगा कि यह सौरमंडल या उससे भी बड़े आकार की तरंग की तरह व्यवहार करेगा. हाल ही में चीनी एस्ट्रोनॉमर्स की टीम ने इस मॉडल पर काम किया. उनकी रिसर्च के नतीजे arXiv पर छपे हैं लेकिन स्टडी पीअर-रिव्यू से नहीं गुजरी है.
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इस मॉडल के मुताबिक, बेहद हल्का डार्क मैटर छोटी-छोटी गोलियों के रूप में ब्रह्मांड से नहीं गुजरेगा. यह हर आकाशगंगा में किसी अदृश्य समुद्र की तरह मौजूद होगा. और जैसे समुद्र में लहरें उठती है, वैसे ही डार्क मैटर में भी लहरें आती होंगी. इनमें से कुछ लहरें अपना आकार बरकरार रखते हुए साथ चलती होंगी, इस ग्रुप को सॉलिटॉन कहते हैं. ये सॉलिटॉन्स बिल्कुल अदृश्य होंगे. आकाशगंगा से गुजरती किसी विशालकाय लहर की तरह लेकिन इतने हल्के पदार्थ से बनी हैं कि आसपास किसी चीज पर असर नहीं डालेंगी.
हालांकि, नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि बड़े आकार के सॉलिटॉन्स अपने आसपास व्यापक बदलाव ला सकती हैं. ये सॉलिटॉन आपसी ग्रेविटी से जुड़े बाइनरी तारों की कक्षा में बदलाव कर सकते हैं. रिसर्चर्स ने गैया कैटलॉक के सभी बाइनरी तारों की जोड़ियों की पहचान कर दी है. इन पर नजर रखी जाएगी. अगर ये एक-दूसरे से दूर जाना शुरू करते हैं तो यह सॉलिटॉन का असर हो सकता है.