किस्सा-ए-कंज्यूमर : एयरलाइन सताए तो क्या है उपाय?
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किस्सा-ए-कंज्यूमर : एयरलाइन सताए तो क्या है उपाय?

सौ बात की एक बात समझ लीजिए- अगर आपके पास कन्फर्म्ड टिकट है, आईडी प्रूफ है और आप एयरलाइंस के बताए वक्त पर चेक इन कर चुके हैं तो आपको प्लेन में बोर्ड करने से कोई नहीं रोक सकता. 

किस्सा-ए-कंज्यूमर : एयरलाइन सताए तो क्या है उपाय?

हवाई सफर की बात ही अलग है. सबसे तेज, सबसे आरामदायक और जेब इजाजत दे तो सबसे अच्छा भी. लेकिन जहां सर्विस है वहां सर्विस में कमी भी जरूर होगी. कभी फ्लाइट डिले, कभी बिना बताए कैंसिलेशन, कभी यात्री से बदसलूकी तो कभी नियम शर्तों में उलझाकर ज्यादा पैसे वसूल लेना. एयरलाइंस पर आए दिन ऐसे इल्जाम लगते रहते हैं. लेकिन याद रखिए- अगर आपके साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी होती है तो बर्दाश्त बिल्कुल मत कीजिए. आपकी मदद के लिए सरकार है, सिस्टम है, कानून है, कंज्यूमर फोरम है. हां, बस समझने की बात इतनी है कि ये नाइंसाफी वाली लाइन शुरू कहां से होती है.

एक किस्से के जरिए समझिए
अगस्त 2016 का किस्सा है. पी कुमार नाम के एक सज्जन हैदराबाद से चेन्नई जा रहे थे. उन्होंने 3,016 रुपए में इंडिगो का टिकट ले रखा था. लेकिन एयरपोर्ट पर उन्हें तगड़ा झटका लगा. हुआ यूं कि सारे सिक्योरिटी चेक क्लियर करने के बाद भी उन्हें बोर्डिंग से रोक दिया गया. एयरलाइन ने बताया कि उनका टिकट कैंसिल हो चुका है. कुमार का दिल बैठ गया. उन्हें अपने दिवंगत पिता की बरसी में पहुंचना था, लिहाजा मजबूर होकर उन्होने  6,712 रुपए का नया टिकट लिया. लेकिन साथ ही जिला कंज्यूमर फोरम में शिकायत भी ठोक दी. 

कंज्यूमर फोरम ने लगाई एयरलाइन की क्लास
कंज्यूमर फोरम में एयरलाइन ने कई लचर दलीलें दीं, जैसे कि ये केस खारिज कर देना चाहिए क्योंकि पी कुमार ने इंडिगो एयरलाइंस के खिलाफ शिकायत की है जबकि रजिस्टर्ड कंपनी का नाम है इंटरग्लोब एविएशन. या फिर, कुमार ने बोर्डिंग पास डिपार्चर से सिर्फ 25 मिनट पहले लिया था और इनके पहुंचते पहुंचते बोर्डिंग गेट बंद हो चुका था. लेकिन कंज्यूमर फोरम को एयरलाइन की किसी भी दलील में दम नहीं दिखा. दिसंबर 2018 में फैसला आया तो कंज्यूमर फोरम ने एयरलाइन को हुक्म दिया कि दोनों टिकट की कीमत मिलाकर कुमार को 9,729 रुपए वापस करे और साथ ही 25,000 का मुआवजा भी चुकाए. 

हवाई यात्रीगण कृपया ध्यान दें
सौ बात की एक बात समझ लीजिए- अगर आपके पास कन्फर्म्ड टिकट है, आईडी प्रूफ है और आप एयरलाइंस के बताए वक्त पर चेक इन कर चुके हैं तो आपको प्लेन में बोर्ड करने से कोई नहीं रोक सकता. अगर आपको बोर्डिंग से रोका गया तो और एयरलाइन 1 घंटे के भीतर दूसरी फ्लाइट नहीं दिला पाई तो आप मुआवजे के हकदार होंगे. डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन की गाइडलाइंस साफ हैं. अगर फ्लाइट 2 घंटे से ज्यादा लेट है या कैंसिल है तो आपको 10,000 रुपए तक मुआवजा मिलेगा. अगर फ्लाइट 20 घंटे तक लेट हुई तो आप नाश्ते के भी हकदार होंगे. अगर आपको 20 घंटे से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ा तो एयरलाइन को आपके लिए होटल का इंतजाम भी करना होगा.

हर किसी को नहीं मिलता मुआवजा
हालांकि हमें इस खुशफहमी में भी नहीं रहना चाहिए कि हम कंज्यूमर हैं तो फैसला हमेशा हमारे ही हक में आएगा. अपने लेवल से कोई गलती हुई तो हाथ जलाकर संतोष करना पड़ सकता है. मिसाल के तौर पर अगर आपके पास टिकट, पहचान पत्र जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट नहीं हैं या फिर आप एयरलाइंस के बताए वक्त पर बोर्डिंग गेट तक नहीं पहुंचे तो आपको प्लेन में चढ़ने से रोका जा सकता है. ऐसी हालत में आपको किसी भी मदद या मुआवजे की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. अगर आपकी कोई गलती नहीं है फिर भी आपको बोर्डिंग से रोक दिया गया, ऐसी हालत में भी अगर एयरलाइन एक घंटे के भीतर आपको दूसरी फ्लाइट मुहैया करा देती है तो भी आप हर्जाने के हकदार नहीं होंगे. 
 
जानना जरूरी है
आम तौर पर एयरलाइंस फ्लाइट शेड्यूल में किसी भी बदलाव के बारे में यात्री को नोटिफिकेशंस भेजती रहती हैं. इसके लिए जरूरी है कि टिकट बुक करते वक्त ही आप अपना मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी वगैरह मुहैया करा दें और यात्रा से पहले उन्हें चेक भी करते रहें. लेकिन फिर भी अगर आपको सेवा में कोई कमी दिखती है और आप शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं तो विमानन मंत्रालय को पोर्टल airsewa.gov.in पर जा सकते हैं. वहां बात न बने तो कंज्यूमर फोरम तो है ही, 
 

(लेखक गिरिजेश कुमार ज़ी बिज़नेस से जुड़े हैं.)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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