निदा रहमान
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निदा रहमान
''तुम कोई हरभजन सिंह हो जो डीएसपी बना दें''...ये शब्द भारतीय क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर के कानों में दो साल से गूंज रहे थे. दो साल पहले हरमनप्रीत कौर को जब नौकरी की सख्त ज़रूरत थी और वो भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा होने के बावजूद संघर्ष को दौर से गुज़र रही थी तो पंजाब सरकार के पास नौकरी की अर्ज़ी लेकर पहुंची थी.
हरमनप्रीत कौर की अर्ज़ी को ख़ारिज करते हुए पुलिस के आला अफ़सर ने कहा था कि पंजाब पुलिस में महिला क्रिकेटर्स के लिए नौकरी का प्रावधान नहीं है. और तुम कोई हरभजन सिंह तो हो नहीं कि जिसे डीएसपी बना दे. दो साल पहले हरमनप्रीत कौर को एक नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं, वो सीएम के पास तक गई लेकिन खाली हाथ रही.
वही हरमनप्रीत कौर अब पंजाब पुलिस में डीएसपी बनेगी. खुद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ऑर्डर दिए हैं कि हरमनप्रीत को जल्द से जल्द डीएसपी बनाने के लिए कार्रवाई शुरु की जाए. हरमन फिलहाल रेलवे में नौकरी करती हैं लेकिन पंजाब के सीएम उन्हें अपने राज्य में देखना चाहते हैं.
हरमनप्रीत जल्द ही डीएसपी भी बन जाएंगी लेकिन क्या हरमनप्रीत को दो साल पहले उसका हक़ नहीं मिल जाना चाहिए था भले ही वो डीएसपी ना बनती लेकिन इंस्पेक्टर तो बन ही सकती थी, लेकिन हमारी व्यवस्था ऐसा होने नही देती है.
जब हरमनप्रीत ने आईसीसी महिला वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ नाबाद 171 रनों की धुआंधार पारी खेती तो वो रातों रात सबकी नज़रों में आ गईं. महिला क्रिकेट टीम अपनी मेहनत के बदौलत वर्ल्ड कप के फाइनल तक में पहुंची थी. महिला क्रिकेटर्स को कोई प्रोत्साहन नहीं कोई पहचान नहीं लेकिन वो लगीं रही अपने पूरे ज़ज़्बे के साथ.
आज मिताली राज, हरमनप्रीत और उनकी पूरी टीम को सम्मानित किया जा रहा है ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद टीम के खिलाड़ियों से मुलाकात की. लेकिन जब वो वर्ल्ड कप खेलने जा रही थीं तब क्या उन्हे किसी ने शुभकामनाएं दी थीं. तब क्या देश ने भरोसा दिलाया था कि हम उसी तरह तुम्हारे साथ हैं जैसे हम धोनी,विराट की टीम के साथ होते हैं.
महिला क्रिकेट टीम ने खुद अपना लोहा मनवाया है. हरमनप्रीत को डीएसपी पद मिल जाएगा तब जब वो कामयाब है उसने अपना लोहा मनवाया. उसे साबित करना पड़ा कि वो एक शानदार क्रिकेटर है. खेलों में खासतौर पर महिला क्रिकेट को लेकर दर्शकों में भी उदासीनता है. इस वर्ल्ड कप में जब क्रिकेट टीम सेमीफाइनल पहुंची तो थोड़ी हलचल मची और जब टीम ने फाइनल की राह पकड़ी तो देश के दर्शकों ने भी मैच देखने की ज़हमत उठा ली.
हरमनप्रीत के साथ तमाम महिला क्रिकेट खिलाड़ियों ने खुद को साबित किया है लेकिन ना जाने ऐसी कितनी महिला क्रिकेटर्स होंगी जो इस मुक़ाम के रास्ते में हार जाती होंगी. हरमनप्रीत भी हार सकती थी लेकिन उसने हिम्मत रखी.
क्या हमारी,आपकी ,सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है कि हम इन महिला क्रिकेटर्स को लेकर वैसे ही उत्साहित हों जैसे हम सचिन,धोनी,विराट,युवराज के दीवाने हों. खिलाड़ियों के लिए मौके ज़रूरी होते हैं, उन्हें प्रोत्साहन चाहिए होता है,उन्हें भरोसा चाहिए होता है कि हम सब उनके साथ हैं.
आज हरमनप्रीत कौर को डीएसपी का पद सम्मान के तौर पर दिया जा रहा है लेकिन हमारे लिए शर्म की बात ये है कि इसी हरमनप्रीत की एप्लीकेशन को कचरे में डाल दिया गया था. सोचिए कि कोई क्यों अपने बेटियों को खिलाड़ी बनाना चाहेगा जब उसे नाम,इज्जत,शौहरत और पैसा कुछ भी नहीं मिलेगा. उम्मीद है कि ये महिला क्रिकेट का ये वर्ल्ड कप एक बदलाव की बयार लाएगा और लोगों के साथ सरकारों,खेल संघों की भी सोच बदेलगा.
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)