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देश की सबसे पुरानी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस को हाल के कई चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ा है। लोकसभा से लेकर कई राज्यों में हुए चुनाव में बुरी हार के बीच पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद कमलनाथ का मानना है कि अब समय आ गया है कि राहुल गांधी के हाथों में कांग्रेस की कमान सौंप देनी चाहिए। सियासत की बात में कमलनाथ से ज़ी मीडिया के एडिटर (न्यूज़ ऑपरेशंस) वासिंद्र मिश्र ने लंबी बात की। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश-
वासिंद्र मिश्र : आपकी पार्टी का स्वास्थ्य कैसा है?
कमलनाथ : राजनीति में बड़ा परिवर्तन हुआ है, कांग्रेस को इस परिवर्तन से जुड़ना होगा और यही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस उभर कर आएगी. 1977 में सबने देखा, बहुत चुनौतियों का समय आया, मुझे यकीन है कि कांग्रेस का फिर वही स्थान होगा।
वासिंद्र मिश्र : 1977 में संजय गांधी थे, इंदिरा जी थीं.. आज सोनिया जी हैं और राहुल जी हैं.. संजय गांधी और इंदिरा गांधी की जो कार्यशैली थी उसमें और आज जो सोनिया जी और राहुल जी की शैली है, कितनी समानता और असमानता नज़र आती है?
कमलनाथ : समय बदला है, ये सही है कि संजय गांधी बहुत बदनाम थे. सब उनके बारे में तरह-तरह की बातें करते थे। लेकिन, वो उभर कर सामने आये. जो 1977 में संजय गांधी थे, उनमें 1980 तक बदलाव देखा गया. इसी तरह मैं कहता हूं कि राहुल गांधी जी में भी क्षमता है. ये क्षमता उभरकर आनी है. ये तभी संभव है जब राहुल गांधी जी को पूरी जिम्मेदारी सौंप दी जाए. उनको कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया जाए. अगर वो नहीं उभरे तो सफलता और असफलता उनकी होगी. देश जानेगा, वो खुद जानेंगे, पूरी कांग्रेस पार्टी जानेगी, ये बात छिप नहीं पाएगी. जहां तक इंदिरा जी और सोनिया जी की बात है, तो सोनिया जी ने 15 साल कांग्रेस का मजबूती से नेतृत्व किया. इंदिरा जी को भी इतने साल मौका नहीं मिला.2004 में जब सब ये सोचते थे कि कांग्रेस का कोई चांस नहीं है तब सोनिया गांधी जी ने कांग्रेस को उस ऊंचाई पर पहुंचाया.मैं ये मानता हूं कि.. सोनिया जी और राहुल जी की वही स्थिति है, जो इंदिरा जी और संजय गांधी की थी।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन, कमलनाथ जी.....संजय गांधी जी की जो ब्रिगेड थी उसमें कमलनाथ सरीखे दर्जनों नेता थे. आज के दौर में राहुल गांधी जी की जो टीम है उसमें ऐसे लोग हैं जो न तो आम जनता से जुड़ी कोई समस्या जानते हैं, न ग्राउंड रियलिटी से उनका सामना होता है, न वो जनता को फेस करने के लिए तैयार हैं. क्या आपको अभी भी उम्मीद है कि जो मौजूदा टीम है राहुल जी की, इसके दम पर कांग्रेस का पुनरोत्थान हो पाएगा जैसे संजय गांधी के टाइम में हुआ था ?
कमलनाथ : राहुल जी को जब पूरी जिम्मेदारी ही नहीं सौंपी गई है, तो उनकी टीम है ही नहीं. जो टीम है वो कुछ और चीजों के लिए है. एक राजनीतिक टीम सबको सम्मिलित करके तभी बनेगी. जब उनको पूरी कमांड सौंप दी जाए और तब वो अपनी टीम बनाएं. अपना नज़रिया देश के सामने रखें. पुरानी टीम के बारे में कुछ भी कहना आवश्यक नहीं है।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन, जो हालात हैं उसमें राहुल जी की कोई भी रिकमंडेशन.. जो मौजूदा टीम थी उसने खारिज़ तो नहीं की?
कमलनाथ : नहीं, ये सही नहीं है, क्योंकि जो राहुल गांधी जी चाहते थे, उस पर सोनिया जी की दूसरी राय होती थी. ये नहीं है कि उनमें विवाद था, पर सोनिया जी अध्यक्ष थीं उनका सिस्टम, स्टाइल अलग है. उनका रवैया अलग है, राहुल जी का रवैया अलग है. अलग पीढ़ी के लोग हैं. इसीलिए आज राहुल जी अपनी जिम्मेदारी संभालें, अपनी टीम बनाएं, अपना संगठन बनाएं और देश के सामने पेश करें।
वासिंद्र मिश्र : आपको लगाता है कि ये समय उपयुक्त है.कि इस समय कामराज प्लान एक बार फिर कांग्रेस पार्टी पर लागू किया जाए?
कमलनाथ : देखिए, कामराज प्लान एक समय की बात थी. आज सबकी जरूरत है....राहुल जी अपने अंदाज, अपने अनुभव से ये तय करें. अगर किसी को किनारे रखना, तो रखें. सबका समय होता है. देश का भी पेट भर जाता है. कुछ नेताओं के साथ, कुछ रवैये के साथ, कुछ नीतियों के साथ, ऐसे में अगर कांग्रेस में ऐसा हुआ तो सबको स्वीकार है.
वासिंद्र मिश्र : यानी आप लोग मेंटली तैयार हैं जो पुराने लोग हैं राहुल जी को उस अभियान का हिस्सा बनते देखना या उनको उस तरह का मेंडेट देने के लिए... जिस तरह का मेंडेट इंदिरा जी ने कामराज को दिया था. कामराज के जरिए उन्होंने संगठन में आमूलचूल परिवर्तन कराए थे?
कमलनाथ : कांग्रेस कमलनाथ नहीं है, कांग्रेस कोई नेता नहीं है, कांग्रेस करोड़ों कार्यकर्ताओं की संस्था है और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सामने रखते हुए सबको फैसला स्वीकार करना होगा।
वासिंद्र मिश्र : इस समय जो माहौल दिखाई दे रहा है उससे ये लग रहा है कि राहुल गांधी कुछ ऐसे नेताओं के इशारे पर काम कर रहे हैं जिनकी न तो संगठन से कोई कनेक्टिविटी है, न जनता और न कार्यकर्ताओं से जुड़ाव। उदाहरण के लिए बार-बार नाम आ रहा है.. जयराम रमेश, अजय माकन का.. दिल्ली विधानसभा चुनाव का जो परिणाम आया है, उससे अजय माकन का नेतृत्व सामने आ गया?
कमलनाथ : दिल्ली के चुनाव से तुलना न करें. अजय माकन जी ने मैदानी लड़ाई लड़ी है. वो ज़मीन समझते हैं. तो ये कह देना उनका जनता से कोई संबंध नहीं है, ये सही नहीं लगता. वो लोकसभा और विधानसभा में रहे हैं।
वासिंद्र मिश्र : जयराम रमेश जी के बारे में जो कहा जा रहा है?
कमलनाथ : सबका अपना रूल होता है.. लेकिन, मैं मानता हूं कि एक व्यक्ति पूरी पार्टी को कंट्रोल करे. नेता को ये तय करना होता है कि वो अपने ड्राइवर को अपना रसोइया नहीं बना सकते, अपने रसोइये को अपना ड्राइवर नहीं बना सकते. एक बैट्समैन को बॉलर नहीं बना सकते. वो सब टीम में रहेंगे. पर सबकी अपनी-अपनी जगह है।
वासिंद्र मिश्र : तो आपको क्या लगता है राहुल गांधी के अंदर इतनी समझ है.. कि वो वर्क डिस्ट्रीब्यूशन करें, पोर्टफोलियों का डिस्ट्रीब्यूशन करें.. जैसा आपने अभी उदाहरण दिया है।
कमलनाथ : बिलकुल, मैं सोचता हूं कि उनको मौका दिया जाए।
वासिंद्र मिश्र : आज की तारीख में राहुल गांधी कहां है?
कमलनाथ : वो विदेश में हैं, मैं नहीं जानता कि वो कहां है और मैंने जानने का प्रयास भी नहीं किया।
वासिंद्र मिश्र : राहुल गांधी सामने आकर किसी भी राजनीतिक मुहिम को लीड क्यों नहीं करते. बर्निंग इश्यूज़ पर अपने विचार क्यों नहीं रखते?
कमलनाथ : राहुल गांधी जी.. जैसे भूमि अधिग्रहण बिल था, लोकपाल था..इसमें उनके बड़े ही मजबूत इरादे थे. वो खुद भट्टा पारसौल गए. लेकिन, एक नेता की कई जिम्मेदारियां होती हैं, कई काम होते हैं.. मैं भी संसद में 100 फीसदी नहीं रहता क्योंकि मैं भी दूसरी चीजों में व्यस्त रहता हूं।
वासिंद्र मिश्र : राहुल गांधी न तो संगठन के काम में कहीं व्यस्त नजर आते हैं, न संसदीय काम में व्यस्त नज़र आते हैं. जब मौका आता है बोलने का.. तो वो नदारद नज़र आते हैं। इसकी वजह क्या है? क्यों वो बचते-बचाते नज़र आते हैं?
कमलनाथ : देखिए, बचने-बचाने की कोई बात नहीं है. वो किसी चीज में सामने रहते हैं, किसी चीज में पीछे रहते हैं. वो फैसले में सम्मिलित रहते हैं. ये नहीं है कि वो मीडिया के सामने आकर बोल रहे हैं....पर फैसले के निचोड़ में उनका हिस्सा जरूर होता है।
वासिंद्र मिश्र : ये तो बात सच है न कि पिछले 5 साल में जितने भी फैसले हुए हैं.. प्रशासनिक हो.. शासकीय हो.. या संगठनिक हो.. उनमें राहुल जी की भूमिका रही है?
कमलनाथ : पिछले डेढ़ साल से ही वो कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने हैं। उन्हें पूरी जिम्मेदारी नहीं मिली। डेढ़ साल में वो पूरे फैसले नहीं कर सके। ऐसे में ये कह देना कि राहुल जी ने 5 साल कुछ नहीं किया ये अन्याय होगा।
वासिंद्र मिश्र : मध्यप्रदेश की राजनीति की चर्चा करें, जब मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव हो रहा था तो नेताओं के खोते जनाधार को देखते हुए राहुल जी और कांग्रेस पार्टी ने आपको जिम्मेदारी दी थी, और कोशिश ये हुई थी कि आपके मार्गदर्शन में वहां जितने धड़े हैं, सब एकजुट होकर काम करें. नतीजा क्या हुआ?
कमलनाथ : ये बात सही है कि हम लोगों ने बड़ी लेट चुनावी रणनीति बनाई. बीजेपी ने अपनी जड़े मजबूत की हुई थीं. हमने लगभग 3-4 महीने लेट शुरू किया. हम जो उत्साह और संगठन में परिवर्तन लाना चाहते थे, ला नहीं पाए।
वासिंद्र मिश्र : लोकसभा चुनाव में भी कुछ चुनिंदा लोग चुनकर आए. उसमें भी आपने रिकॉर्ड बनाया..लेकिन, जब लोकसभा में नेता चयन की बात आई तो दायित्व आपको न देकर उस नेता का नाम सामने आया.. जिसे कोई नॉर्थ इंडिया में जानता तक नहीं...
कमलनाथ : ये सवाल हमेशा होता है, लेकिन हमारे ज्यादातर सांसद दक्षिण भारत से हैं. ऐसे में उनकी भावनाओं की कद्र करके सोनिया जी ने ये फैसला किया था।
वासिंद्र मिश्र : पार्टी का जनाधार जहां खत्म हो गया है. या पार्टी को जिन राज्यों में रिवाइवल की जरूरत है, उन राज्यों में अगर कोई कद्दावर नेता है तो उसको जिम्मेदारी क्यों नहीं दी? जब तक यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश में कांग्रेस का रिवाइवल नहीं होगा, तब तक राष्ट्रीय स्तर पर आपको लगता है कि कांग्रेस पार्टी का रिवाइवल संभव है?
कमलनाथ : ये केवल एक व्यक्ति पर आधारित नहीं है. हमें हर प्रदेश की अलग रणनीति बनानी पड़ती है. मैं यही कह रहा था कि राजनीति में बहुत परिवर्तन हुआ है. मध्यप्रदेश की जो राजनीति है, वो हरियाणा की नहीं है. हरियाणा की जो राजनीति है, वो कर्नाटक की नहीं है. तो अलग राज्यों के अलग मुद्दे हैं.. नजरिया अलग है.. समस्याएं अलग हैं.. और यही एक अंग है उस राजनैतिक परिवर्तन का...
वासिंद्र मिश्र : क्या ये बात सच है कि कांग्रेस अब एनजीओ पॉलिटिक्स पर ज्यादा भरोसा कर रही है. क्योंकि एनजीओ बनाम एनजीओ की रणनीति बनाई जा रही है..
कमलनाथ : देखिए, सामाजिक मूल्यों पर कांग्रेस ने ज्यादा ध्यान दिया है. आज अपने देश में उन लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है.. जो सबसे कमजोर हैं या मध्यम वर्ग के हैं.. ऐसे लोगों की संख्या करीब 100 करोड़ है. जो गरीबी से उठना चाहते थे. या आगे बढ़ना चाहते हैं. कांग्रेस का ध्यान इन्हीं 100 करोड़ लोगों पर है. उसको एनजीओ राजनीति कहना, मैं सही नहीं मानता हूं।
वासिंद्र मिश्र : कांग्रेस पार्टी इतने साल सत्ता में रही, कुछ साल विपक्ष में रही, पार्टी में अचानक वैक्यूम क्यों नजर नहीं आ रहा है.पार्टी में विचारधारा को लेकर.. नीतियों को लेकर..पॉलिटिकल कन्विक्शन को लेकर.. हर तरह से एक वैचारिक दिवालियापन क्यों नज़र आ रहा है?
कमलनाथ : देखिए, लोकसभा चुनाव के अभी लगभग 9 महीने हुए हैं. हम हड़बड़ी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते हैं. हमारी नीतियों में.. हमारी नीयत में कोई परिवर्तन नहीं है।
वासिंद्र मिश्र : 1977 में आप कितने समय में ही इंदिरा जी और संजय गांधी को लेकर सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए उतर गए थे ?
कमलनाथ : लगभग साल भर में.. और यही इस बार भी होगा. हर प्रदेश में अलग तरह का आंदोलन करना होगा. आज ग्रामीण क्षेत्र में न खाद है, न बिजली है, किसानों को अपने गल्ले का सही मूल्य नहीं मिल रहा है, फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा, बोनस नहीं मिल रहा. आज ग्रामीण क्षेत्र तरस रहे हैं. शहरी क्षेत्र को भी बड़े-बड़े वादे मिल रहे हैं. ये जो इवेंट मैनेजमेंट की राजनीति बीजेपी कर रही है, हर चीज एक घटना बन जाती है और वो घटना का मैनेजमेंट कर लोगों को गुमराह करते हैं. ये कलाकारी की राजनीति ज्यादा दिन नहीं चलने वाली।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन, आप तो मानते हैं कि समय के साथ बदलाव लाने की जरूरत है?
कमलनाथ : मैंने तो कहा कि समय बदला है, हमें बदलाव लाना पड़ेगा. लेकिन, हमें जनता को समझाना पड़ेगा कि बीजेपी कलाकारी की राजनीति कर जनता को गुमराह कर रही है.. अब इसका खोखलापन लोगों को दिखने लगा है. दिल्ली का परिणाम ये साबित करता है।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन, ऐसा क्यों है कि जो नेता जनता से जुड़ाव रखते हैं उनको मौका नहीं दिया जा रहा है?
कमलनाथ : मैं नहीं मानता कि दायित्व नहीं दिया जा रहा. सबका अपना रोल है. पद से ये रोल नहीं होता. मुझे ये विश्वास है कि अगले साल हम ये सब मामले जनता के सामने पेश कर पाएंगे.
वासिंद्र मिश्र : आपको क्या लग रहा है कि राहुल गांधी को कितने दिन के अंदर पूरा दायित्व दे दिया जाएगा। या पूरी तरह से पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल जाएगी।
कमलनाथ : अब ये तो सोनिया जी के ऊपर है. पर मैं ये मानता हूं कि.. जितनी जल्दी दे दी जाए उतना ही अच्छा कांग्रेस के लिए है।