क्या अब 2028 तक लालू चुनाव नहीं लड़ पायेंगे?
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क्या अब 2028 तक लालू चुनाव नहीं लड़ पायेंगे?

चारा घोटाला में देवघर के सरकारी कोषागार से 1990-1994 के दौरान 89.27 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में सीबीआई जज ने लालू यादव को 3.5 साल की सजा के साथ 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

क्या अब 2028 तक लालू चुनाव नहीं लड़ पायेंगे?

चारा घोटाला में देवघर के सरकारी कोषागार से 1990-1994 के दौरान 89.27 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में सीबीआई जज ने लालू यादव को 3.5 साल की सजा के साथ 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जज की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनाये गए फैसले के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि सजा को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. परन्तु लालू को बेल मिलने पर क्या कठिनाइयां आ सकती हैं?

इस फैसले के बाद कानून के अनुसार लालू को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. लालू पुरानी सजा से 2024 के बाद चुनाव लड़ सकते थे. इस सजा के बाद लालू अब 2028 तक शायद ही चुनाव लड़ पायें?

लालू पुराने सजायाफ्ता और कई अन्य मामलों में उनका ट्रायल
5 साल पहले 2013 में सीबीआई जज ने लालू को चाईबासा कोषागार से 37.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में पांच साल की कैद के साथ 25 लाख का जुर्माना लगाया था. चारा घोटाले में लालू के खिलाफ झारखंड में 5 मामले और एक मामला बिहार में दर्ज है. इतने मामलों में अभियुक्त होने के बाद लालू हाईकोर्ट से बेल या रिहाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.

हाईकोर्ट से बेल मिलने पर क्या है पेंच 
सीआरपीसी की धारा 389 के क़ानून के अनुसार 3 साल तक की सजा के मामलों में हाईकोर्ट से बेल मिलने में आसानी होती है. इसी कारण दिल्ली हाईकोर्ट से कोयला घोटाले मामले में मधु कोड़ा को जमानत मिल गयी. मुख्य अपराधी जगदीश शर्मा को लालू से दो गुनी 7 साल की कैद और 10 लाख के जुर्माने की सजा और अन्य लोगों को 3.5 साल की सजा हुई है. 3 साल से ज्यादा सजा के मामले में लालू को हाईकोर्ट से बेल मिलने में मुश्किल हो सकती है?

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अन्य लोगों की रिहाई से लालू अपराध मुक्त नहीं
पिछले साल 24 दिसंबर को सीबीआई जज ने लालू प्रसाद यादव समेत 16 लोगों को दोषी करार देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत छह आरोपियों को बरी कर दिया था. अन्य लोगों की रिहाई के मामले में सीबीआई की ओर से अपील होनी ही चाहिए पर इस आधार पर लालू अपनी रिहाई का दावा कैसे कर सकते हैं?

जनता की अदालत में हिट लालू कानून में फेल
देश में अनेक राजनेताओं के भ्रष्ट मामले दब जाते हैं पर लालू को सजा हो गयी. लालू पिछड़ों के लोकप्रिय नेता हैं और प्रतिबंधित होने के बावजूद उन्होंने राजद पार्टी को बिहार में सर्वाधिक सीटें दिलवाईं. जनता की अदालत में नेता लालू हिट रहे हैं पर कानून की अदालत में वकील लालू फेल हो गए.

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न्यायिक व्यवस्था पर अनुचित दबाव
सीबीआई जज ने कहा कि सुनवाई और फैसले के लिए सही माहौल नहीं है और उन पर अनुचित दबाव बनाया जा रहा है. जेल में होने के बावजूद फैसले के बाद लालू के अकाउंट से ट्वीट हो रहे हैं. लालू के अन्य मामलों में ट्रायल हो रहा हैं, जहां उनकी रिहाई से गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है. इन परिस्थितियों में लालू की जमानत और दोष मुक्ति पर हाईकोर्ट से रिहाई की उम्मीद कम है.

अपील और आगामी फैसलों में कितना वक्त लगेगा 
यह भी देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले में 21 साल लग गए तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कितना वक्त लगेगा? सीबीआई भी सजा बढ़ाने के लिए क्रॉस अपील कर सकती है. अदालतों के दांव-पेंच से भी बड़ा सवाल यह भी है कि लालू को अगर जमानत नहीं मिली तो क्या तेजस्वी और तेजप्रताप सजा को सत्ता की सीढ़ी में तब्दील कर पायेंगे?

(लेखक सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं.)

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