वनडे में आशीष नेहरा ने भारत के लिए 120 मैच खेले हैं और 157 विकेट लिए हैं. उनके खाते में सिर्फ 17 टेस्ट मैच हैं जिसमें उन्होंने 44 विकेट लिए हैं.
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नई दिल्ली : दिल्ली के इस दुबले-पतले खिलाड़ी में तेज गेंदबाज होने के सारे गुण मौजूद हैं. 1999 में आशीष नेहरा ने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में और 2001 में जिंबाब्वे के खिलाफ वन डे में डेब्यू किया था. बहुत जल्दी ही नेहरा नई गेंद के बेहतरीन गेंदबाज माने जाने लगे, लेकिन लगातार चोटों ने उनके करियर को तेजी से आगे नहीं बढ़ने दिया. 12 सर्जरी झेल चुके नेहरा के लिए खुद को प्रेरित करना और दोबारा कमबैक करना आसान नहीं था, लेकिन 38 साल की उम्र में नेहरा ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टी-20 में वापस लौटे. यह कम चौंकाने वाली बात नहीं थी. उनकी परफॉर्मेंस हमेशा की तरह ही शानदार रही.
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हाल ही में भारत के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने मंगलवार (10 अक्टूबर) को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी. नेहरा अपने जीवन का अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच एक नवंबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने घर दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर होने वाले टी-20 मैच के रूप में खेलेंगे. 38 साल के नेहरा इसके बाद किसी भी प्रारूप में भारतीय जर्सी में नजर नहीं आएंगे.
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बता दें कि इससे पहले 2016 में उनके द्वारा की गई वापसी के बाद से उन्होंने खेल के छोटे प्रारुप में टीम को काफी कुछ दिया. चोटों से वापसी करते हुए ही उन्होंने 2011 विश्व कप टीम में जगह बनाई थी और टीम को विजेता बनाने में रोल निभाया था. वह पिछले साल टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे.
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आशीष नेहरा ने 1999 में दिसंबर में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था. हालांकि, वह टेस्ट क्रिकेट ज्यादा नहीं खेल पाए. उनके खाते में सिर्फ 17 टेस्ट मैच हैं जिसमें उन्होंने 44 विकेट लिए हैं. उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच रावलपिंडी में पाकिस्तान के खिलाफ 2004 में खेला था. वनडे में नेहरा ने भारत के लिए 120 मैच खेले हैं और 157 विकेट लिए हैं. जिम्बाब्वे के खिलाफ 2001 में हरारे में अपना पहला मैच खेलने वाले नेहरा ने अपना आखिरी वनडे 2011 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ 30 मार्च को खेला था.
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आइए देखते हैं उनके करियर के पांच सबसे शानदार स्पैल कौन से रहे:
जिम्बाब्वे के खिलाफ, 2001 :
2001 में टीम इंडिया जिम्बाब्वे के दौरे पर थी. भारत को दो टेस्ट और एक त्रिकोणीय सीरीज खेलनी थी. भारत 15 साल से विदेशी जमीन पर कोई सीरीज नहीं जीता था. 22 वर्षीय नेहरा का यह पहला विदेशी दौरा था. पहली पारी में नेहरा ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 23 रन पर 3 विकेट लिए. जिंबाब्वे की पूरी टीम 173रन पर आउट हो गई. भारत को पहली पारी में 145 रनों की लीड मिल गई. दूसरी पारी में भी नेहरा ने एंडी फ्लॉवर और डिओन इब्राहिम का विकेट निकाला. नेहरा की शानदार गेंदबाजी की बदौलत भारत यह टेस्ट जीत गया.
पाकिस्तान के खिलाफ, मोहाली, 2011विश्वकप:
2009 के बाद से नेहरा जहीर खान के साथ भारत के मुख्य गेंदबाज बन चुके थे. हालांकि टीम में उनका आना जाना लगा हुआ था. लेकिन वन डे में टीम में उन्होंने अपनी जगह बना ली थी. 2011 के विश्व कप में नेहरा ने केवल तीन मैच खेले. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ टीम में शामिल कर लिया गया. पाकिस्तान 260 रनों का बचाव कर रहा था. नेहरा को शुरू में विकेट नहीं मिले, लेकिन रन गति पर वह अंकुश लगाये रहे. उनका गेंदबाजी प्रदर्शन रहा - 10 ओवरों में 33 रन 2 विकेट.
इंग्लैंड के खिलाफ 2017:
जनवरी 2016 में आशीष नेहरा के एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी हुई. और वह टी20 के सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए. हालांकि इसके बाद वह फिर चोटों की वजह से टीम से बाहर हो गये. जनवरी 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 में नेहरा फिर टीम में वापस आए. इंग्लैंड 145 के स्कोर का बचाव कर रहा था. नेहरा ने शुरूआत में ही इंग्लैंड के दोनों ओपनरों को पवेलियन भेज दिया. इंग्लैंड का स्कोर 22 पर 2 हो गया. अपने पहले स्पैल में नेहरा ने 2ओवरों में 7रनों पर 2 विकेट लिए. 17वें ओवर में फिर नेहरा गेंदबाजी करने आए. इस समय इंग्लैंड को 4 ओवरों में 32 रन बनाने थे. नेहरा ने इस ओवर में केवल 4रन दिये और बेन स्टोक्स को आउट कर दिया. अंतिम ओवर में इंग्लैंड को जीत के लिए 8 रन बनाने थे लेकिन बुमराह ने इंग्लैंड को 8 रन नहीं बनाने दिए. भारत ने यह मैच जीत कर सीरीज 1-1 से बराबरी कर ली.
श्रीलंका के खिलाफ, 2005:
इंडियन ऑयल कप के फाइनल में भारत का मुकाबला श्रीलंका से था. लंका ने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. फ्लैट ट्रैक पर सभी गेंदबाज विकेटों के लिए तरस रहे थे. ऐसे में आशीष नेहरा ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 6 विकेट लिए. वह अकेले ऐसे गेंदबाज हैं, जिन्होंने वन डे में दो बार 6 विकेट लिए हैं. नेहरा ने इस मैच में 59 रन देकर 6 विकेट लिए. नेहरा दोनों टीमों के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज साबित हुए.
इंग्लैंड के खिलाफ, डर्बन, 2003 विश्व कपः
2003 का विश्व कप करीब था, लेकिन आशीष नेहरा का करियर दोराहे पर खड़ा था. लगातार चोटों से वह परेशान थे. टीम इंडिया को डर्बन में लीग मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेलना था. भारत ने पहले खेलते हुए 249 रन बनाए थे, लेकिन इस मैच में आशीष नेहरा ने शानदार तेज गेंदबाजी का प्रदर्शन करते हुए 63रन पर 6 विकेट निकाले. नेहरा 140 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी की. कोई भी बल्लेबाज उनकी गेंदों की सही से नहीं खेल पाया और भारत 82 रनों से यह मैच जीत गया.