टीम इंडिया का ये खिलाड़ी स्पिनर से बना पेस बॉलर, सचिन-लक्ष्मण ने भी बदला था तरीका
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टीम इंडिया का ये खिलाड़ी स्पिनर से बना पेस बॉलर, सचिन-लक्ष्मण ने भी बदला था तरीका

ये खिलाड़ी इस समय भले तेज गेंदबाज हो, लेकिन जब उसने अपना क्रिकेट करिअर शुरू किया था तो उसकी बॉलिंग का अंदाज जुदा था.

विजय शंकर के पिता और भाई भी क्रिकेट खेल चुके हैं. फोटो : ट्विटर

नई दिल्ली : टीम इंडिया में तेज गेंदबाज भुवनेश्वर की जगह दूसरे टेस्ट के लिए शामिल ऑलराउंडर विजय शंकर को शामिल किया गया है. तमिलनाडु का ये खिलाड़ी अभी अपने राज्य की वनडे टीम का कप्तान भी है. 26 साल के विजय शंकर टीम में इस समय बल्ले और गेंद दोनों से कमाल दिखाते हैं. वह इस समय भले तेज गेंदबाज हों, लेकिन जब उन्होंने अपना क्रिकेट करिअर शुरू किया था तो उनकी बॉलिंग का अंदाज जुदा था. हालांकि उन्होंने बाद में इसे बदल लिया.

  1. टीम में भुवनेश्वर की जगह आए विजय शंकर ने बदला है अपना एक्शन
  2. पहले करते थे स्पिन गेंदबाजी लेकिन बाद में बन गए पेस बॉलर
  3. सचिन, लक्ष्मण, गिलक्रिस्ट और अश्विन ने भी बदला अपना स्टाइल

विजय शंकर के पिता और भाई भी क्रिकेटर रह चुके हैं. हालांकि दोनों बहुत आगे तक नहीं खेल पाए, लेकिन इसका फायदा विजय को जरूर मिला. विजय ने एक स्पिनर के तौर पर क्रिकेट खेलते थे. लेकिन बाद में उन्होंने इस एक्शन को बदलकर मीडियम पेस में बदल लिया. विजय शंकर इस वाकये को याद करते हुए कहते हैं कि किस तरह उन्होंने अपनी बॉलिंग का स्टाइल बदल डाला था.

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विजय शंकर अपना आदर्श राहुल द्रविड़ को मानते हैं. उन्होंने अपना एक्शन बदलकर पहली बार तेज बॉलिंग उन्हीं के सामने की थी. जब वह उनके सामने तेज बॉलिंग का प्रयास कर रहे थे, तो थोड़े से नर्वस थे. इसके बाद राहुल द्रविड़ उनके पास आए और बोले, नर्वस मत हो. मुझे तुम्हारा बॉलिंग का अंदाज पसंद आया. बस तुम अपनी बॉल को थोड़ा और तेज करो. उसके बाद से विजय की जिंदगी बदल गई. वह कहते हैं, जिस समय मैं तमिलनाडु की टीम में खेल रहा था, उस समय कई और खिलाड़ी थे जो स्पिन गेंदबाजी करते थे, उस समय मेरे दूसरे साथियों ने मुझे तेज बॉलिंग की सलाह दी थी.

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ये तो हुई विजय शंकर की बात. लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट की दुनिया में कई और ऐसे सितारे हैं जो क्रिकेट में किसी और भूमिका को चुनना चाहते थे, लेकिन बन कुछ और गए. आइए उन खिलाड़ियों के बारे में भी जानते हैं.

ये महान खिलाड़ी क्या बनने आए थे, क्या बन गए
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, गुगली मास्टर अनिल कुंबले, गिल्ली उड़ाने में माहिर एडम गिलक्रिस्ट, कलाइयों के जादूगर वीवीएस लक्ष्मण और फिरकी के उस्ताद रविचंद्रन अश्विन. इन सबको आज हम क्रिकेट में उनके इसी हुनर के कारण पहचानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सभी बड़े क्रिकेटर्स ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया था तो ये क्रिकेट में कुछ और योग्यता रखते थे.

सचिन तेंदुलकर : मास्टर ब्लास्टर के रूप में पहचाने जाने वाले सचिन को आप फास्ट बॉलिंग करते हुए देखें तो क्या कहेंगे. 11 साल की उम्र में सचिन तेंदुलकर एमआरएफ पेस अकादमी में तेज बॉलिंग सीखने ही गए थे. तब उनमें तेज गेंदबाज बनने का जुनून था. लेकिन वह उस समय अकादमी के डायरेक्टर डेनिस लिली को प्रभावित नहीं कर पाए. तब लिली ने कहा तुम्हारी लंबाई कम है. तुम बल्लेबाजी पर ध्यान दो. यहां से सचिन की किस्मत बदल गई. अगले साल उन्होंने रणजी में डेब्यू किया और शतक बनाया. सचिन दुनिया के उन कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं जो बॉल को दोनो साइड से स्विंग और स्पिन करा सकते हैं.

अनिल कुंबले : अपनी घूमती हुई बॉलिंग के दम पर टेस्ट क्रिकेट में 600 विकेट लेने वाले कुंबले पहले शानदार बल्लेबाज और मीडियम पेस गेंदबाजी करते थे. उन्होंने पाकिस्तान ए के खिलाफ शुरुआत के दिनों में एक शतक भी जमाया था. हालांकि बाद में उन्होंने अपनी बॉलिंग स्टाइल बदलकर लेग स्पिन कर ली.

एडम गिलक्रिस्ट : स्कूली दिनों में क्रिकेट खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया के महान विकेट कीपर एडम गिलक्रिस्ट तेज गेंदबाज बनना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्हें अपना तरीका बदलना पड़ा. इसके बाद वह विकेट कीपर बन गए. यहां उनका मन ऐसा लगा कि एक बार जब न्यू साउथ वेल्स की तरफ से उन्हें विकेटकीपिंग करने का मौका नहीं मिला तो उन्होंने दूसरी टीम वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया ज्वाइन कर ली.

वीवीएस लक्ष्मण : अपनी कलाइयों के जादू से विरोधी टीमों में खौफ भर देने वाले वीवीएस लक्ष्मण को उनकी 281 रनों की पारी के लिए हमेशा याद किया जाएगा. लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि उन्होंने अंडर19 तक क्रिकेट फास्ट बॉलर के रूप में खेला था. लेकिन बाद में उन्हें अपना क्रिकेट करियर आगे बढ़ाने के लिए मजबूरी में बल्लेबाजी को मुख्य हथियार बनाना पड़ा.

आर अश्विन : इस समय टीम इंडिया के सबसे कामयाब स्पिनर आर अश्विन भले इस समय अपनी गेंदबाजी से कहर ढहाते हों, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब वह अपनी टीम के लिए ओपनर की भूमिका निभाते थे. स्कूली क्रिकेट टीम में वह ओपनर के रूप में खेलते थे.

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