जी न्यूज के साथ खास बातचीत में हिमा दास ने अपने जीवन, करियर और इस यादगार पल से जुड़ी कई बातें शेयर कीं.
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किरण चोपड़ा, नई दिल्ली: भारत की हिमा दास ने हाल ही में आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैम्पियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीत कर इतिहास रचा है. हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की. इसी के साथ वह इस चैम्पियनशिप में सभी आयु वर्गों में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं. हिमा की इस उपलब्धि पर पूरा देश उन्हें बधाई दे रहा है. हिमा ने भी बधाई देने वालों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने एक वीडियो जारी करके कहा, "मैं सभी का धन्यवाद देना चाहती हूं. सभी ने मुझे बहुत-बहुत प्यार दिया है. उन्हीं की बदौलत मैं यहां पहुंची हूं. ट्विटर पर जिन्होंने मुझे बधाई दी है, राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और खेल मंत्री तक सभी की बधाइयां पढ़कर मुझे अच्छा लगा. आप लोग इसी तरह मुझे आशीर्वाद देते रहें. मैं देश को एक और कदम आगे ले जाने की कोशिश करूंगी."
देश का यह गौरव का पल दिलाने वाली हिमा दास ने ZEE NEWS से खास बातचीत की. इस बातचीत में हिमा ने अपने जीवन, करियर और इस यादगार पल से जुड़ी कई बातें शेयर कीं. इंटरव्यू के दौरान हिमा ने बताया था कि उन्हें पहले से ही इस बात की उम्मीद थी कि वह मेडल जीतेंगी इसलिए उन्होंने अपने कोच से पहले ही कह दिया था कि वह तिरंगा और असमी गमछा अपने साथ रखें.
आंखों में थे खुशी के आंसू
हिमा ने बताया कि, जब वह पोडियम पर खड़ी थी तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे. उन्होंने कहा कि, किसी भी भारतीय के सामने अगर दूसरे देश में अपना तिरंगा ऊपर जाएगा तो आंख में आंसू आएंगे ही और मेरे भी कुछ ऐसा ही था. वह गर्व का पल था और मैं आंसू नहीं रोक सकी.
जब रेस जीती तो मम्मी-पापा सो रहे थे
हिमा ने बताया कि जब मैं रेस जीती तो मेरे मम्मी-पापा सो रहे थे. मैंने उन्हें कहा कि, मैं गोल्ड जीत गई और आप सो रहे हो. उन्होंने कहा कि, मेरे मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया. किसी बात की रोक-टोक नहीं की फिर चाहे कुछ भी हो. मैं अपनी ट्रेनिंग सुबह के 4 बजे करूं या रात 11 बजे घर वापस आऊं. उन्होंने हर हालात में मेरा साथ दिया.
सचिन-मेसी हैं हिमा के आदर्श
हिमा दास ने बताया कि क्रिकेट के 'भगवान' सचिन तेंदुलकर और अर्जेंटीना के सुपरस्टार फुटबॉलर लियोनल मेसी मेरे आदर्श हैं. बता दें कि सचिन तेंदुलर ने भी हिमा दास को उनकी इस कामयाबी पर बधाई दी है. हिमा के सिर विश्व चैंपियनशिप का स्वर्णिम ताज सजते ही सोशल मीडिया पर उन्हें रातों-रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सचिन तेंदुलकर तक फॉलो करने लगे हैं.
भूपेन हजारिका को पसंद करती हैं हिमा
हिमा दास ने कहा कि, भूपेन हजारिका मुझे बेहद पसंद हैं. बता दें कि भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे. 1992 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण से नवाजे गए भूपेन हजारिका को लोग भूपेन दा के नाम से जानते हैं. भूपेन हजारिका की असरदार आवाज में जिस किसी ने उनके गीत "दिल हूम हूम करे" और "ओ गंगा तू बहती है क्यों" का जादू आज भी लोगों के दिलों पर छाया है. अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाना गाते रहे थे. उनहोने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" गाया था.
4-5 घंटे ट्रेनिंग करती हैं
हिमा दास दिन में चार से पांच घंटे ट्रेनिंग करती हैं. हिमा पहले फुटबॉल खेलती थीं, लेकिन उन्हें इसमें अपना कोई भविष्य नहीं दिखा तो उन्होंने एथलेटिक्स को अपना करियर बना लिया. उन्होंने कहा कि, सही समय पर सही लोग मिलते चले गए और मैं एथलेटिक्स में माहिर होती गई.
देशवासी मुझसे ज्यादा खुश हैं.
हिमा दास ने कहा, जब रेस जीती तो उस वक्त कुछ दिमाग में नहीं आया. मैं खुश हूं कि जितनी मैं खुश हूं उससे ज्यादा मेरे देशवासी खुश हैं. रेस के बाद जब मैंने फेसबुक खोला तो देखा कि ऊपर से नीचे तक सिर्फ मेरे ही मेरे फोटो हैं. यह मेरे लिए खुशी के साथ-साथ गर्व का पल है.
कंधों पर तिरंगा और आंखों में आंसू
असम के एक छोटे से गांव की सांवली छरहरी सी लड़की जब दौड़ी तो एक मिनट से भी कम समय में विश्व एथलेटिक्स के नक्शे पर भारत के नाम की पहली सुनहरी मुहर लगा दी. अपने कारनामे का एहसास होते ही गले में असमी गमछा और कंधों पर तिरंगा लपेट लिया. विजेता मंच पर पहुंची तो राष्ट्रगान बजते ही उसकी निगाहें अपलक राष्ट्रीय ध्वज का निहारती रहीं और आंखों से आंसू बह निकले.
If this doesn’t move you, nothing will... pic.twitter.com/qBqP9yZaAd
— anand mahindra (@anandmahindra) July 13, 2018
पीएम मोदी ने वीडियो शेयर कर दी बधाई
हिमा की जीत पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, खेल मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौर और क्रिकेट तथा बॉलीवुड की दुनिया के बहुत से लोगों ने उन्हें बधाई दी और उन्हें देश का गौरव बताया.
Unforgettable moments from @HimaDas8’s victory.
Seeing her passionately search for the Tricolour immediately after winning and getting emotional while singing the National Anthem touched me deeply. I was extremely moved.
Which Indian won’t have tears of joy seeing this! pic.twitter.com/8mG9xmEuuM— Narendra Modi (@narendramodi) July 14, 2018
बता दें कि फिनलैंड जाने से पहले हिमा ने पिछले महीने गुवाहाटी में इंटर स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीत हासिल करके अपनी अगली जीत की सुनहरी लकीर खींचना शुरू कर दिया था. चैंपियनशिप में वह 51.13 का समय लेकर अव्वल रही. उसकी जीत की उम्मीद इसलिए बढ़ गई क्योंकि फिनलैंड में 400 मीटर स्पर्धा में भाग लेने वाली खिलाड़ियों में सिर्फ अमेरिका की एक खिलाड़ी ने उससे कम समय निकाला था.
मुश्किल हालात भी नहीं रोक पाए हिमा को
मध्य असम के ढिंग कस्बे से करीब पांच किलोमीटर के फासले पर स्थित कंधूलीमारी गांव में धान की खेती करने वाले रंजीत दास और जोमाली के यहां जन्मी हिमा के चार और भाई बहन थे और सीमित साधनों के साथ उसके पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि उसकी कोचिंग का बड़ा खर्च बर्दाश्त कर सकें. हालांकि यह मुश्किल हालात हिमा को आगे बढ़ने से रोक नहीं पाए.
धान के खेतों में लगाती थी दौड़
परिवार को जानने वाले लोगों का कहना है कि हिमा अपने पिता के धान के खेतों में दौड़ लगाया करती थी और लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थी. यह करीब दो साल पहले की बात है कि उसके दौड़ने का अंदाज और बिजली की सी कौंध देखकर एक स्थानीय कोच ने उसे एथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी.
हिमा के एक शुरुआती कोच का कहना है कि उन्होंने हिमा को कुछ बुनियादी प्रशिक्षण दिया और उसकी कुदरती रफ्तार में कोई तब्दीली नहीं की. अपने दौड़ने के नैसर्गिक अंदाज के साथ हिमा अपने से कहीं तगड़ी लड़कियों पर भारी पड़ी और पीछे मुड़कर नहीं देखा. उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में धावकों को तमाम तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि हिमा की औपचारिक ट्रेनिंग बहुत कम हुई और उसने स्थानीय स्तर पर जब दौड़ स्पर्धाओं में हिस्सा लेना शुरू किया तो उसके पास अच्छे जूते तक नहीं थे.
(भाषा इनपुट के साथ)