आम बजट 2018: 'India' नहीं 'भारत' का है यह बजट, छिपी है 2019 की चुनावी राह
Advertisement
trendingNow1370323

आम बजट 2018: 'India' नहीं 'भारत' का है यह बजट, छिपी है 2019 की चुनावी राह

बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि सेक्टर पर पर्याप्त जोर, इसके जरिए 2019 में भाजपा को एक बार फिर सत्ता की राह दिख रही.

बजट का फोकस किसानों और समाज के कमजोर वर्ग पर है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अपने अंतिम आम बजट में इंडिया नहीं भारत का ख्याल रखा है. इसमें 2019 में भाजपा को एक बार फिर सत्ता की राह दिख रही है. इसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि सेक्टर पर पर्याप्त जोर दिया गया है. यह कहना है 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में लिखी अपनी टिप्पणी में आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री अजित रनाडे का. उनका कहना है कि पिछले चार साल से किसानों की आय में कोई वृद्धि नहीं हो रही है. इसका मुख्य कारण कीमतों में गिरावट, उत्पादन लागत बढ़ना और नोटबंदी है. रनाडे ने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती रहती है लेकिन इसके लिए कृषि उत्पादन और उत्पादों में भी अच्छी-खासी बढ़ोतरी की जरूरत है. केवल समर्थन मूल्य बढ़ाने से बहुत अधिक लाभ नहीं होने वाला. समर्थन मूल्य में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा एक बड़ा राजनीतिक संकेत है. बजट दस्तावेज को देखने से पता चलता है कि खाद्यान्न सब्सिडी के लिए धन में केवल 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि पिछले बजट में यह वृद्धि 27 फीसदी की थी.   

  1. केवल समर्थन मूल्य बढ़ाने से नहीं सुधरेगी किसानों की हालत
  2. कृषि सेक्टर को विभिन्न स्तरों पर मौजूद प्रतिबंधों से मुक्त करने की जरूरत 
  3. स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां भी अच्छा परफॉर्म करें

रनाडे का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य एक तरह का आश्वासन है. इसका फायदा केवल तभी मिलता है जब किसी कमोडिटी के बाजार भाव में भारी गिरावट हो. आज जरूरत कृषि सेक्टर को विभिन्न स्तरों पर मौजूद प्रतिबंधों से मुक्त करने की है. इससे उत्पादकों और उपभोक्ता के बीच सीधा संपर्क टूटता है. उनका कहना है कि इस बजट में निश्चित रूप से कृषि सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. हालांकि इनका असर दिखना अभी बाकी है.

बेड, डॉक्टरों और अस्पतालों की भारी कमी
उन्होंने आगे लिखा है कि सभी को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने की घोषणा एक बड़ा कदम है. लेकिन इसका फायदा तभी मिलेगा जब स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां भी अच्छा परफॉर्म करें. देश में भी स्वास्थ्य क्षेत्र में बेड, डॉक्टरों और अस्पतालों की भारी कमी है. दरअसल, ग्रामीण, कृषि और सामाजिक सेक्टर के लिए घोषित सौगातों के कारण सरकारी खजाने पर बहुत ज्यादा असर पड़ता नहीं दिख रहा है. इसमें होने वाले खर्च में वृ्द्धि की दर अगले साल जीडीपी में वृ्द्धि की संभावित दर की तुलना में कम रहेगी. इससे वित्तीय घाटे को काबू में रखने में सहायता मिलेगी.

उन्होंने आगे लिखा है कि इस बजट में विनिवेश की तस्वीर खूबसूरत पेश की गई है. अगले साल के लिए लक्ष्य निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की चर्चा पहले से थी. जहां तक रोजगार के अवसर पैदा करने की बात है तो रोजगार सब्सिडी स्कीम की बात की गई है. इसमें तभी सफलता मिलेगी जब निजी निवेश में वृद्धि हो. कुल मिलाकर यह ग्रामीण और सामाजिक सेक्टर पर फोकस किया गया बजट है. इसे ग्रोथ को बढ़ाने वाला भी बजट कहा जा सकता है, जिसकी एक नजर अगले साल होने वाले आम चुनाव पर है.

SC और ST के लिए आवंटन में भारी वृद्धि

सरकार ने आम बजट में अनुसूचित जातियों और जनजातियों पर विशेष ध्यान देते हुए उनके लिए आवंटन में अच्छीखासी बढ़ोतरी की है. इस बार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के बजट में अनुसूचित जातियों के लिए 56,619 करोड़ रुपए और अनुसूचित जन-जातियों के लिए 39,135 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. अनुसूचित जातियों के लिए 279 कार्यक्रमों के लिए वर्ष 2016-17 में 34,334 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 में 52,719 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था. इसी तरह अनुसूचित जन-जातियों के लिए चल रहे 305 कार्यक्रमों के लिए 2016-17 में 21,811 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था जिसे वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 32,508 करोड़ रुपए किया गया था.

चुनावी बजट में दलितों व आदिवासियों की नाराजगी दूर करने का भरसक प्रयास करते हुए जेटली ने कहा, "मैं 2018-19 के बजट में अनुसूचित जातियों के लिए 56,619 करोड़ रुपये व अनुसूचित जनजातियों के 39,135 करोड़ रुपये अलग से आवंटन करने का प्रस्ताव करता हूं." वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में इस आवंटन को और बढ़ा दिया गया है और अनुसूचित जातियों के लिए 56,619 करोड़ रुपए और अनुसूचित जनजातियों के लिए 39,135 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. बजट की तारीफ करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा, ‘बजट में समाज के सभी वर्गों जैसे किसान, मजदूर, महिलाएं, वृद्ध, सामान्य वर्ग, छोटे-बड़े उद्यमी, छात्र एवं बाकी सभी के सशक्ततीकरण के लिए प्रावधान किये गये हैं.’ 

Trending news