बुगती ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित हक्कानी नेटवर्क के नेता तथा हाफिज सईद जैसे लोग पाकिस्तान में खुले आम घूम रहे हैं वहीं बलूचिस्तान के नेता और कार्यकर्ताओं को रोजाना अगवा किया जा रहा है और उनका कत्ल किया जा रहा है.
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वॉशिंगटन: निर्वासित बलोच नेताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया नीति का स्वागत किया और अमेरिका से क्षेत्र में अपने ‘‘मित्रों और शत्रुओं’’ के बीच पहचान करने और उनमें भेद करने के अपने दायित्वों का निर्वाह करने की अपील की है. निवार्सित बलोच नेता नवाब ब्रह्मदाग बुगती ने कहा, ‘‘हम अमेरिका से क्षेत्र में उसके मित्रों और शत्रुओं के बीच पहचान और उनके बीच भेद करने के दायित्व का निर्वाह करने की अपील करते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि इस बार अमेरिका हमें निराश नहीं करेगा और हमें वह (बलिदान) नहीं देना पड़ेगा जो हमारे साझा मूल्यों के लिए खडे़ होने वाले शहीद नवाब अकबर बुगती को देना पड़ा (उनकी हत्या हुई थी).’’
बुगती फिलहाल स्विट्जरलैंड में हैं और बलोच रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष तथा नवाब बुगती के उत्तराधिकारी हैं. उन्होंने यह बात यहां नेशनल प्रेस क्लब में शुक्रवार (25 अगस्त) को अमेरिकन फ्रेंड्स ऑफ बलूचिस्तान की ओर से आयोजित ‘‘रियल स्टोरी बिहाइंड एसेसिनेशन ऑफ नवाब अकबर खान बुगती’’ कार्यक्रम में कही. उन्होंने कहा, ‘‘हम पाकिस्तान के साथ बर्ताव करने संबंधी अमेरिका की नयी रणनीति वाले ट्रंप के बयान का स्वागत करते हैं.’’ साथ ही कहा कि अमेरिकी सरकार पाकिस्तान के वास्तविक चेहरे को पहचान गई है और यह बात बलोच लोगों का उत्साह बढ़ाने वाली है.
बुगती ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित हक्कानी नेटवर्क के नेता तथा हाफिज सईद जैसे लोग पाकिस्तान में खुले आम घूम रहे हैं वहीं बलूचिस्तान के नेता और कार्यकर्ताओं को रोजाना अगवा किया जा रहा है और उनका कत्ल किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बाबा ने पाकिस्तान की सीमाओं को चीन को देने का विरोध किया था. लेकिन चीन अब वहां चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर विशाल सैन्य अड्डा बना रहा है. जिसे बलोच मौत और विध्वंस का गलियारा कहते हैं.’’ बलूचिस्तान हाउस के अध्यक्ष तथा मार्री जनजाति के प्रमुख नवाब मेहरान मार्री ने भी अमेरिका की नई नीति का स्वागत किया है.
अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी से पाकिस्तान को कोई खतरा नहीं: अमेरिका
अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि अफगानिस्तान में भारत की आर्थिक गतिविधियों से पाकिस्तान को ‘कोई सीधा खतरा नहीं’ है. अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को अपने कुछ ‘गैरमददगार बर्ताव’ बदलने चाहिए और क्षेत्र में आतंकवाद-रोधी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए अमेरिका का सहयोग करना चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (2 अगस्त) को अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया पर अपनी नीति की घोषणा करते हुए युद्ध प्रभावित देश से सैनिकों को जल्दबाजी में हटाने से इनकार तो किया ही, साथ ही साथ अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए भारत की भूमिका को बढ़ाने की मांग की.
ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका की भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को और अधिक विकसित करना उनकी दक्षिण एशिया नीति का अहम हिस्सा है. उन्होंने आतंकियों को शरणस्थली उपलब्ध करवाने के लिए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी दी. व्हाइट हाउस के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हम अफगानिस्तान में भारत की भूमिका का स्वागत करते हैं. वहां वे बेहद सदभावना के साथ विकास कार्यों को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने मदद के तौर पर तीन अरब डॉलर दिए हैं. अमेरिका इसकी सराहना करता है और चाहता है कि यह जारी रहे. लेकिन हम इसे पाकिस्तान के लिए एक सीधे खतरे के तौर पर नहीं देखते.’