साहित्य के नोबेल प्राइज से नवाजे गए अंग्रेजी लेखक काजुओ इशिगुरो
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साहित्य के नोबेल प्राइज से नवाजे गए अंग्रेजी लेखक काजुओ इशिगुरो

इशिगुरो का पहला उपन्यास ‘अ पेल व्यू ऑफ दि हिल्स’ (1982) और दूसरा उपन्यास ‘ऐन आर्टिस्ट ऑफ दि फ्लोटिंग वर्ल्ड’ (1986) दोनों द्वितीय विश्वयुद्ध के कुछ सालों के बाद के नागासाकी की पृष्ठभूमि पर आधारित है.

जापान के नागासाकी में जन्मे इशिगुरो पांच साल की उम्र में अपने परिवार के साथ ब्रिटेन चले गए थे. (NobelPrize/Twitter)

नई दिल्ली: 'द रिमेन्स ऑफ द डे' उपन्यास के लिए मशहूर ब्रिटिश लेखक काजुओ इशिगुरो को इस वर्ष के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. स्वीडिश अकादमी ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को यह जानकारी दी. अकादमी ने अपनी घोषणा में कहा कि 62 साल के लेखक ने ‘शानदार भावनात्मक प्रभाव वाले उपन्यासों में दुनिया के साथ हमारे जुड़ाव की अवास्तविक भावना के नीचे के शून्य को दिखाया है.’ इशिगुरो ने आठ किताबें और साथ ही फिल्म एवं टेलीविजन के लिए पटकथाएं भी लिखी हैं. उन्हें 1989 में ‘द रिमेन्स ऑफ दि डे’ के लिए मैन बुकर प्राइज जीता था.

  1. इशिगुरो जब पांच साल के थे उनका परिवार जापान से यूनाइटेड किंगडम चला गया.
  2. काजुओ इशिगुरो का सबसे लोकप्रिय उपन्यास 'द रिमेन्स ऑफ द डे' है जो कि उन्होंने 1989 में लिखा था.
  3. काजुओ इशिगुरो का सबेस हालिया उपन्यास 'The Buried Giant' है जो उन्होंने 2015 में लिखी.

जापान के नागासाकी में जन्मे इशिगुरो पांच साल की उम्र में अपने परिवार के साथ ब्रिटेन चले गए थे और वयस्क होने पर जापान की यात्रा की. उनका पहला उपन्यास ‘अ पेल व्यू ऑफ दि हिल्स’ (1982) और दूसरा उपन्यास ‘ऐन आर्टिस्ट ऑफ दि फ्लोटिंग वर्ल्ड’ (1986) दोनों द्वितीय विश्वयुद्ध के कुछ सालों के बाद के नागासाकी की पृष्ठभूमि पर आधारित है. अकादमी ने कहा, ‘इशिगुरो को सबसे ज्यादा जिन विषयों के साथ जोड़ा जाता है वे यहां पहले से ही मौजूद हैं - स्मृति, समय और आत्म विमोह.’

अकादमी के अनुसार, ‘‘यह उनके सबसे मशहूर उपन्यास ‘द रिमेन्स ऑफ दि डे’ में खासतौर पर दिखता है जिसपर बनी फिल्म में एंथनी होपकिंस ने काम को लेकर बेहद समर्पित रसोइए स्टीवेंस की भूमिका निभायी थी.’’ घोषणा में कहा गया, ‘इशिगुरो की रचनाओं में अभिव्यक्ति का एक संयमित माध्यम दिखता है जो घटनाक्रमों से अप्रभावित होता है.’ नोबेल निर्णायक मंडल के अनुसार लेखक की मशहूर रचनाओं में 2005 में आयी किताब ‘नेवर लेट मी गो’ शामिल है जिसमें उन्होंने अपनी रचना में साइंस फिक्शन के ‘धीमे अंतर्प्रभाव’ को पेश किया. 2015 में आए उनके नवीनतम उपन्यास ‘द बरिड जाइंट’ में ‘एक गतिशील तरीके से दिखाया गया है कि स्मृति का विस्मृति, इतिहास का वर्तमान और फंतासी का वास्तविकता से क्या संबंध है.’ इशिगुरो इस साल के नोबेल की रेस में सबसे आगे चल रहे साहित्यकारों में शामिल नहीं थे.

उनकी किताबों का प्रकाशन करने वाली ‘फेबर एंड फेबर’ ने ट्विटर पर लिखा, ‘हम काजुओ इशिगुरो के नोबेल पुरस्कार जीतने को लेकर बेहद खुश हैं.’ नोबल पुरस्कार के साथ 90 लाख क्रोनर (11 लाख डॉलर) की राशि दी जाती है. इशिगुरो को 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में एक औपचारिक समारोह में पुरस्कार दिया जाएगा.

इससे पहले 4 अक्टूबर को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी.इस साल जाक दुबोशे (स्विटजरलैंड), जोआखिम फ्रैंक (अमेरिका), रिचर्ड हेंडर्सन (ब्रिटेन) को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. जबकि 2 अक्टूबर को चिकित्सा क्षेत्र के लिए और 3 अक्टूबर को भौतिक विज्ञान के क्षेत्र के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जा चुकी है. 

अमेरिकी वैज्ञानिकों को भौतिकी का नोबेल अवॉर्ड, आइंस्टीन के गुरुत्व तरंगों से उठाया पर्दा

अमेरिकी खगोलविज्ञानियों बैरी बैरिश, किप थोर्ने तथा रेनर वेस को गुरुत्व तरंगों की खोज के लिए मंगलवार (3 अक्टूबर) इस साल का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. उनकी यह खोज गहन ब्रह्मांड के दरवाजे खोलती है. अलबर्ट आइंस्टीन ने करीब एक सदी पहले अपनी सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत के तहत गुरुत्व तरंगों का अनुमान लगाया था, लेकिन 2015 में ही इस बात का पता लगा कि ये तरंगे अंतरिक्ष-समय में विद्यमान हैं. ब्लैक होल के टकराने या तारों के केंद्र के विखंडन से यह प्रक्रिया होती है. नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन करने वाली स्वीडिश रॉयल एकेडमी ऑफ साइंसेस के प्रमुख जी के हनसॉन ने कहा, ‘‘उनकी खोज ने दुनिया को हिला दिया.’’ उन्होंने सितंबर 2015 में यह खोज की थी और फरवरी 2016 में इसकी घोषणा की थी. दशकों के वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद यह ऐतिहासिक खोज हुई है. और तभी से तीनों वैज्ञानिक खगोलशास्त्र के क्षेत्र में मिलने वाले सभी बड़े पुरस्कार अपने नाम करते आ रहे हैं.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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