भारत-पाक वार्ता की बहाली क्षेत्र के लिए लाभदायक : यूरोपीय संघ
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भारत-पाक वार्ता की बहाली क्षेत्र के लिए लाभदायक : यूरोपीय संघ

यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता की बहाली का स्वागत करते हुए कहा है कि यह सकारात्मक रूख का संकेत है और उनके बीच ‘विश्वास का स्थायी संबंध’ दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए लाभदायक होगा।

भारत-पाक वार्ता की बहाली क्षेत्र के लिए लाभदायक : यूरोपीय संघ

ब्रसेल्स : यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता की बहाली का स्वागत करते हुए कहा है कि यह सकारात्मक रूख का संकेत है और उनके बीच ‘विश्वास का स्थायी संबंध’ दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए लाभदायक होगा।

विदेश सचिव एस जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा की सराहना करते हुए भारत के साथ संबंधों के लिए यूरोपीय संसद के प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष जियोफ्रे वान ऑर्डन ने कहा कि व्यापार बढ़ाने या लोगों के बीच परस्पर संपर्क बढ़ाने जैसे कदमों से भारत-पाक संबंधों में सुधार होगा और इससे दोनों देशों को कुछ ‘ठोस’ (उपलब्धि) हासिल करने में मदद मिलेगी।

एक प्रभावी नेता माने जाने वाले ऑर्डन ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी जमीं पर चलने वाले आतंकवाद से निपटने के लिए और अधिक काम करना होगा। उन्होंने कहा, ‘यह यात्रा इस बात का संकेत है कि हम कारोबार को वापस पटरी पर ला सकते हैं। पाकिस्तान और भारत के बीच विश्वास पर आधारित एक स्थायी संबंध सभी के हित में है।’

ऑर्डन ने कहा, ‘यह व्यापार में सुधार और सीमा के आर-पार थोड़ी-बहुत यात्रा जैसे छोटे कदमों से शुरू होगा। छोटे स्तर पर की जाने वाली इन चीजों में से कई चीजें धीरे-धीरे किसी बड़ी और टिकाउ चीज का निर्माण कर सकती हैं।’ जयशंकर ने मंगलवार को अपने पाकिस्तानी समकक्ष एजाज चौधरी से इस्लामाबाद में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें दोनों देशों की ‘चिंताओं और हितों’ से जुड़े मुद्दे शामिल थे।

पिछले साल नयी दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त द्वारा कश्मीरी अलगाववादियों के साथ विचार विमर्श किए जाने के बाद भारत ने विदेश सचिव स्तरीय वार्ता को रद्द कर दिया था। उसके बाद से यह विदेश सचिव स्तर की पहली बैठक थी।

जब उनसे पाकिस्तान में मौजूद उन आतंकी ढांचों से जुड़ी भारत की चिंताओं के बारे में पूछा गया, जो कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं, तो ऑर्डन ने कहा कि इस खतरे से प्रभावी ढंग से निपटा जाना चाहिए। चौधरी के साथ इस बैठक में जयशंकर ने मुंबई हमले के मामले समेत आतंक का मुद्दा उठाया था।

अफगानिस्तान में स्थिरता सुनिश्चित करने को एक बड़ी चुनौती बताते हुए ऑर्डन ने कहा कि इस युद्ध प्रभावित देश में भारत और पाकिस्तान दोनों के साझा हित निहित हैं और उन्हें इसके संपूर्ण कल्याण के लिए सकारात्मक रूप से योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान में काफी प्रगति हुई है और पाकिस्तान एवं भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह देश शांति और स्थिरता की तलाश में आगे बढ़े।

उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान की स्थिरता में पाकिस्तान और भारत के साझा हित हैं। उनका साझा हित यह सुनिश्चित करने में है कि आपके पास वहां एक लोकतांत्रिक सरकार हो जो अब तक की गई प्रगति को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हो।’ ऑर्डन ने यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह से यहां कहा, ‘भारत और पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अफगानिस्तान के बीते दौर में न लौट जाएं।’

जब उनसे पूछा गया कि क्या पश्चिमी देश पाकिस्तान पर देश के भीतर मौजूद आतंकी ढांचों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त दबाव बना रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद को आतंकवाद से निपटने के लिए और अधिक काम करना है लेकिन इसी के साथ उन्होंने निर्वाचित सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत को भी रेखांकित किया।

‘यह हमेशा एक बेहद मुश्किल संतुलन है। क्योंकि एक ओर आप ऐसी कोई चीज नहीं करना चाहते, जो उस सरकार को अस्थिर करती हो, जो कि शायद खुद ही ये चीजें करने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी ओर वह खुद ही आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न खतरों का सामना कर रही है।’

उन्होंने कहा, ‘सिर्फ अफगानिस्तान से लगने वाली सीमा पर ही समस्याएं नहीं हैं, पाकिस्तान तालिबान और कई चरमपंथी आंदोलन भी हैं, जो कि पाकिस्तान के भीतर ही मौजूद हैं। इन संगठनों के मूल, दिशा और नियंत्रण पर भी सवालिया निशान हैं। पाकिस्तानी प्रशासन को इसकी समीक्षा करनी चाहिए।’ ऑर्डन ने यह भी कहा कि आतंकवाद से निपटने और एंटी पाइरेसी के क्षेत्र में भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग की व्यापक संभावना है।

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