म्यांमार ने बांग्लादेशी बौद्धों से कहा- रोहिंग्याओं की जमीन पर आकर बस जाओ
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म्यांमार ने बांग्लादेशी बौद्धों से कहा- रोहिंग्याओं की जमीन पर आकर बस जाओ

बांग्लादेश के सुदूरवर्ती पहाड़ी और वन क्षेत्रों से तकरीबन 50 परिवार मुफ्त जमीन और भोजन की पेशकश से आकर्षित होकर म्यांमार के राखाइन प्रांत चले गए हैं.  

राखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना ने बर्बर कार्रवाई की थी.(फाइल फोटो)

ढाका: म्यांमार के अधिकारियों ने दर्जनों बांग्लादेशी बौद्ध आदिवासी परिवारों को सीमा पार कर रोहिंग्या मुसलमानों की जमीन पर आकर बस जाने का प्रलोभन दिया है. बांग्लादेश के सुदूरवर्ती पहाड़ी और वन क्षेत्रों से तकरीबन 50 परिवार मुफ्त जमीन और भोजन की पेशकश से आकर्षित होकर म्यांमार के राखाइन प्रांत चले गए हैं. 

राखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना ने बर्बर कार्रवाई की थी, जिसके बाद हजारों रोहिंग्या वहां से भाग गए थे. स्थानीय पार्षद मुइंग स्वी थ्वी ने एएफपी से कहा कि मरमा और म्रो आदिवासीसमुदायों के परिवार बंदरबन पहाड़ी जिले में अपना घर छोड़कर चले गए हैं. उन्होंने कहा कि22 परिवार सांगु वन रिजर्व में अपने गांवों चले गए.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश के मंत्री का आरोप- रोहिंग्या शरणार्थियों को स्वदेश भेजने में म्यांमार का दखल

मुइंग स्वी थ्वी ने बताया कि इन परिवारों में मुख्य रूप से बौद्ध और कुछ ईसाई हैं. उन्हें म्यांमार, राखाइन में बसने का प्रलोभन दिया गया है. वहां उन्हें मुफ्त जमीन, नागरिकता और पांच साल के लिये मुफ्त भोजन दिया जा रहा है. उन्होंने कहा,‘‘ वे बर्मा छोड़ चुके रोहिंग्याओं की खाली जमीन को भरने जा रहे हैं. ’’ पिछले साल अगस्त से तकरीबन सात लाख रोहिंग्या म्यांमा छोड़ चुके हैं और बांग्लादेश में शरण ली है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई को जाति संहार बताया था. 

बांग्लादेश में हैं 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी
आपको बता दें कि जनवरी 18 मार्च को बांग्लादेश ने म्यांमार सीमा के पास के शिविरों में 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों की गिनती की थी. जो पिछले अनुमान से ज्यादा है. रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की तैयारियों के बीच बांग्लादेश की पंजीकरण परियोजना के प्रमुख ने बुधवार को यह जानकारी दी. बांग्लादेश की थलसेना ने पिछले साल म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के देश में दाखिल होने के बाद इन शरणार्थियों का बायोमीट्रिक पंजीकरण शुरू किया था. म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.

वापस नहीं जाना चाहते शरणार्थी
शरणार्थियों का पंजीकरण इसलिए किया जा रहा है ताकि उन्हें वापस भेजने में सहूलियत हो. हालांकि, शरणार्थियों का कहना है कि वे वापस नहीं जाना चाहते. बांग्लादेश ने कहा कि वह शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू करना चाहता है और दो साल के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बांग्लादेश ने म्यांमा से एक समझौता भी किया है.

इनपुट भाषा से भी 

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