उन्नत हथियारों के लिए पाकिस्तान अब सीधे तौर पर रूस से बातचीत कर रहा है. इनमें लड़ाकू विमान, जंगी तोप, वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) और मिलिट्री हार्डवेयर भी शामिल हैं.
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इस्लामाबाद: उन्नत हथियारों के लिए पाकिस्तान अब सीधे तौर पर रूस से बातचीत कर रहा है. इनमें लड़ाकू विमान, जंगी तोप, वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) और मिलिट्री हार्डवेयर भी शामिल हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार (7 अप्रैल) को यह जानकारी दी गई. एक्सप्रे, ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान ने रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक से एक साक्षात्कार में इस बात की पुष्टि की है कि इस्लामाबाद हथियारों की खरीद के लिए रूस में रुचि रखता है.
दस्तगीर खान ने कहा, 'वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) एक अलग किस्म का हथियार है, जिसमें हम दिलचस्पी रखते हैं. हम रूसी हथियार टेक्नोलॉजी के फैले विशाल क्षेत्र में काफी रुचि रखते हैं. एयर डिफेंस सिस्टम पर हमारी बातचीत चल रही है और एक बार वार्ता खत्म होने के बाद ही हम कुछ ऐलान कर सकेंगे.'
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रक्षा मंत्री ने इसके साथ ही इस बात को भी रेखांकित किया कि रूस से लंबे समय के सौदे को देखते हुए इस्लामाबाद टी90 जंगी तोप को भी रूस से खरीदने का इच्छुक है. एजेंसी से खान के हवाले से लिखा, 'हम टी90 टैंक में रुचि रखते हैं और यह सिर्फ एक बार की खरीद का मामला नहीं है, बल्कि यह लंबे समय के लिए होने वाला समझौता है.'
पिछले साल सितंबर में पाक-चीन के बीच युद्धाभ्यास
साल 2017 के सितंबर महीने में पाकिस्तान और रूस के बीच संयुक्त अभ्यास चला था. इसमें आतंकवाद के खिलाफ अभियान के लिये दोनों देशों में सैन्य सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया. यह सैन्य अभ्यास दो सप्ताह तक चला. रूस के मिनराल्ने वोडी में यह संयुक्त अभ्यास डीआरयूजेडबीए 2017 के नाम से चला था. इसमें पाकिस्तान के विशेष बल और रूसी सेना ने हिस्सा लिया था. संयुक्त अभ्यास आतंकवाद निरोधी अभियानों, बंधकों के बचाव अभियान, घेरेबंदी और तलाशी अभियान पर ध्यान केंद्रित किया गया. इस अभ्यास के बाद अक्टूबर माह में पाक सेना प्रमुख बाजवा ने रूस का दौरा किया था.
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उल्लेखनीय है कि शीत युद्ध के समय दोनों देशों के रिश्तों में आई दूरी हाल के दिनों में घटती नजर आई खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को आतंकियों को पनाहगाह मुहैया कराने के विरोध में दी गयी चेतावनी के बाद से पाकिस्तान का झुकाव रूस और चीन की तरफ काफी ज्यादा बढ़ा है.
भारत के साथ रूस की दोस्ती को हल्के में नहीं लिया जा सकता
भारत और रूस के रिश्ते देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के समय से ही भावनात्मक रहे हैं और कई मौकों पर दोनों देश के नेता भी इसे जाहिर करते रहते हैं. पिछले साल (1 जून) राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने कहा था कि रूस के पाकिस्तान के साथ ‘घनिष्ठ’ सैन्य संबंध नहीं हैं और भारत के साथ उसकी करीबी दोस्ती को हल्के में नहीं लिया जा सकता. पुतिन ने एक विशेष बातचीत में कहा था कि दुनिया में और कोई दूसरा देश नहीं है जिससे मिसाइल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रूस की ऐसी गहन साझेदारी हो और भारत के साथ सहयोग से वह लाभान्वित होता है.
(इनपुट एजेंसी से भी)