300000 रोहिंग्या मुस्लिमों ने छोड़ा म्यांमार, भारत का समर्थन चाहता है बांग्लादेश
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300000 रोहिंग्या मुस्लिमों ने छोड़ा म्यांमार, भारत का समर्थन चाहता है बांग्लादेश

रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और राखिन के बौद्धों ने उनके खिलाफ नृशंस अभियान चलाया है.

नाव से नाफ नदी द्वारा सीमा पार करने के बाद बांग्लादेश के तेकनफ में एक शरणार्थी अपने बच्चों को लेकर पानी में चलता हुआ. (Reuters/8 Sep, 2017)

ढाका: शरणार्थियों की वापसी के मुद्दे पर म्यामां पर दबाव बढ़ाते हुए बांग्लादेश ने  रोहिंग्या मुद्दे से निपटने के लिए भारत से मदद की मांग की. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक म्यामां के उत्तरी राखिन प्रांत में पुलिस चौकियों पर उग्रवादियों के हमले के बाद हिंसा भड़कने पर 25 अगस्त के बाद से तकरीबन 300000 रोहिंग्या मुसलमान प्रांत छोड़कर बांग्लादेश चले आये. रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और राखिन के बौद्धों ने उनके खिलाफ नृशंस अभियान चलाया है. हालांकि, म्यामां ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसकी सेना रोहिंग्या ‘‘आतंकवादियों’’ के खिलाफ लड़ रही है.

सत्तारूढ़ अवामी लीग के महासचिव और बांग्लादेश के वरिष्ठ मंत्री ओबैदुल कादर ने रविवार (10 सितंबर) को कहा, ‘‘समूचा विश्व आज रोहिंग्या मुद्दे पर चिंतित है और भारत ने भी अपनी चिंता प्रकट की है ...इस पल उनकी (भारत की) चिंता और रूख हमारे साथ है. ’’ कादर ने बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत द्वारा निर्णयकारी समर्थन का जिक्र किया और कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत इस मानवीय संकट के समय भी बांग्लादेश का समर्थन करेगा .’’

गुरुवार (7 सितंबर) को म्यामां का तीन दिवसीय दौरा पूरा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राखिन प्रांत में ‘‘अतिवादी हिंसा’’ के खिलाफ वहां सरकार के साथ एकजुटता प्रकट की थी. मोदी ने देश की एकता का सम्मान करते हुए सभी पक्षों से कोई समाधान निकालने का अनुरोध किया था. बांग्लादेश में म्यामां से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आ रहे हैं.

म्यांमार हिंसा: रोहिंग्या विद्रोहियों ने की संघर्षविराम की घोषणा, बांग्लादेश ने बताया 'नरसंहार'

म्यामां में रोहिंग्या चरमपंथियों ने तत्काल प्रभाव से एक महीने के एकपक्षीय संघर्षविराम की रविवार (10 सितंबर) को घोषणा की. म्यामां में रोहिंग्या चरमपंथियों के खिलाफ सेना ने अभियान छेड़ रखा है जिसकी वजह से करीब तीन लाख रोहिंग्या भाग कर बांग्लादेश आ गये हैं. इस एकपक्षीय संघर्षविराम का मकसद पलायन कर रहे लोगों तक सहायता पहुंचाना है. हालांकि सरकार ने कहा कि वह ‘आतंकियों’ के साथ बातचीत नहीं करेगी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि रखाइन प्रांत में 25 अगस्त को चरमपंथियों द्वारा म्यामां के सुरक्षा बलों पर हमले और उसके बाद सेना के भारी पलटवार की वजह से 2,94,000 मैले-कुचैले और थके हारे रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश पहुंच चुके हैं.

करीब एक पखवाड़े से बिना किसी ठिकाने, भोजन और पानी के रखाइन में रहने के बाद दसियों हजार लोग अब भी बांग्लादेश की तरफ बढ़ रहे हैं. बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने रविवार (10 सितंबर) कहा कि रखाइन प्रांत में ‘नरसंहार’ किया जा रहा है. सीमा के पास म्यामां के सुरक्षा बलों द्वारा भगोड़ों को वापस आने से रोकने के लिये बिछाई गई बारूदी सुरंग की चपेट में आने से तीन रोहिंग्या के मारे जाने की खबर है. मुख्यत: बौद्ध बहुल म्यामां अपने मुस्लिम रोहिंग्या समुदाय को मान्यता नहीं देता और उन्हें ‘बंगाली’ मानता है, जो अवैध रूप से बांग्लादेश से आये हैं.

राज्य के उत्तरी हिस्सों के हिंसा की चपेट में आने के बाद करीब 27,000 रखाइन बौद्ध और हिंदू भी इलाके से पलायन कर गये. अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने ट्विटर पर लिखा, ‘अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी आक्रामक सैन्य अभियानों पर अस्थायी विराम की घोषणा करती है.’ उसने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि प्रभावित क्षेत्र में मानवीय मदद पहुंचाई जा सके.

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