ईरान की तरह सरकार बना सकता है अफगानिस्‍तान, अपनाएगा सुप्रीम लीडर वाला मॉडल
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ईरान की तरह सरकार बना सकता है अफगानिस्‍तान, अपनाएगा सुप्रीम लीडर वाला मॉडल

मुल्ला हकीम (Mullah Hakim) तालिबान के शासन में अफगानिस्तान के नए चीफ जस्टिस बन सकते हैं. हकीम एक बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जो मुल्ला उमर के शिक्षक हैं. वह वर्तमान में कतर में तालिबान वार्ता दल के अध्यक्ष हैं.

 

फाइल फोटो: साभार IANS

नई दिल्ली: तालिबान (Taliban) राजनीतिक व्यवस्था के लिए ईरानी मॉडल अपनाने की तैयारी में है. कंधार में तालिबान के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले 4 दिनों से बातचीत चल रही है और लगभग एक सप्ताह के भीतर सरकार गठन की घोषणा होने की संभावना है.

  1. सरकार बनाने की तैयारी में तालिबान
  2. 4 दिन से कंधार में चल रही मैराथन बैठक
  3. अफगानिस्तान में ईरानी मॉडल को अपनाएगा

हिबतुल्लाह कंधार में ही रहेगा

तालिबान का सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा (Hibatullah Akhundzada) होगा और उसके अधीन सर्वोच्च परिषद (Supreme Council) होगी. काउंसिल में 11 या 72 सदस्य हो सकते हैं, जिनकी संख्या अभी भी तय की जा रही है. अफगानिस्तान के सूत्रों के हवालवे से दिलचस्प बात यह है कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा कंधार में रहेगा. कंधार तालिबान की पारंपरिक राजधानी रही है.

प्रधानमंत्री की रेस में ये नाम

इसके अलावा एग्जीक्यूटिव आर्म का नेतृत्व प्रधानमंत्री करेंगे, जिसके अधीन मंत्रिपरिषद होगी. इस पद के लिए संभावित नामों में अब्दुल गनी बरादर या मुल्ला बरादर या मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब शामिल हैं. मुल्ला उमर ने 1996 में अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की स्थापना की और 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया. 9/11 के हमलों के बाद अफगानिस्तान पर अमेरिकी आक्रमण के बाद उमर को बाहर कर दिया गया था.

यह भी पढ़ें: तालिबान नेता मोहम्मद अब्बास से मिले भारतीय राजदूत, कतर में हुई पहली अधिकारिक बैठक 

1964/65 के अफगान संविधान को बहाल करने की तैयारी

इस बीच, तालिबान ने 1964/65 के अफगान संविधान को बहाल करने की योजना बनाई है, जिसे तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति मोहम्मद दाउद खान ने बनाया था. संविधान का परिवर्तन प्रतीकात्मक है क्योंकि वर्तमान संविधान विदेशी ताकतों के तहत तैयार किया गया था.

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