हीथर ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान में नजरबंद 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड को रिहा करने को लेकर निश्चित ही चिंता व्यक्त की है, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार इसका इससे कोई लेना देना नहीं है.’’
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वॉशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता राशि रोकने के ट्रंप प्रशासन के फैसले का मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ इस्लामाबाद के कोई कदम नहीं उठाने से कोई लेना देना नहीं है.विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट से जब उनके दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि क्या सुरक्षा सहायता रोकने का संबंध सईद से है जिसे पाकिस्तान ने पिछले साल नवंबर में रिहा कर दिया था, हीथर ने कहा, ‘‘हमने पाकिस्तान में नजरबंद 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड को रिहा करने को लेकर निश्चित ही चिंता व्यक्त की है, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार इसका इससे कोई लेना देना नहीं है.’’
हीथर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में रिहा किए गए मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड की कोई सूचना जो कि उसकी दोबारा गिरफ्तारी का करण बन सके, देने वाले को एक करोड़ डॉलर के पुरस्कार की घोषणा की गई है. हमने उस व्यक्ति को छोड़े जाने पर अपनी नाखुशी बिल्कुल स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर दी है और इसलिए हम लोगों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि उसे न्याय के दायरे में लाने के लिए एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित है.
हीथर ने कहा कि हम पाकिस्तान को सैन्य उपकरण या सुरक्षा संबंधी राशि तब तक मुहैया नहीं कराएंगे जब तक कि यह कानूनी तौर पर जरूरी नहीं हो. ट्रंप द्वारा पिछले साल अगस्त में घोषित नई दक्षिण एशिया नीति का जिक्र करते हुए हीथर ने कहा कि इस प्रशासन के पाकिस्तान सरकार के साथ निरंतर उच्च स्तरीय संबंध होने के बावजूद तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे समूहों को पाकिस्तान में पनाह मिल रही है और वे अफगानिस्तान को अस्थिर करने और अमेरिका तथा उसके कर्मियों पर हमला करने की साजिश रच रहे हैं.
आतंकियों को पनाह देने से बाज नहीं आया पाकिस्तान; अमेरिका ने रोकी 1.15 अरब डॉलर से अधिक की मदद
इस बीच, अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हमने हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के लिए पनाहगाह संबंधी पाकिस्तानी मसले पर चिंता व्यक्त की है. हम उनके परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित हैं. हम लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे भारत विरोधी संगठनों की फंड जुटाने और अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की क्षमता को लेकर भी चिंतित हैं.’
अधिकारी ने कहा, ‘इस प्रशासन को लगता है कि हमें यह रेखांकित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने की आवश्यकता है कि हम इन संबंधों को ऑटोपायलट मोड पर आगे नहीं बढ़ा सकते. हम यथावत संबंध नहीं बनाए रख सकते. हमें इन चुनौतियों से पार पाने और हमारे संबंधों को और मजबूत आधार पर कायम करने की आवश्यकता है.’ उन्होंने पाकिस्तान द्वारा हाफिज सईद को पुन: गिरफ्तार किए जाने या नहीं किए जाने से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘मैंने उन्हें यह कहते नहीं देखा कि वे हाफिज सईद को फिर से गिरफ्तार नहीं करेंगे या वे उसके खिलाफ अभियोग नहीं चलाएंगे.’
उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने पाकिस्तान पर अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को पनाह देने के साथ ही इनके खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ करने में दिलचस्पी नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुए उसको दी जाने वाली 1.15 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता राशि पर रोक लगा दी है. पाकिस्तान को मिलने वाली सहायता पर रोक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नववर्ष पर किए उस ट्वीट के बाद लगाई गई जिसमें उन्होंने (ट्रंप ने) पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि पिछले 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर की सहायता राशि के बदले में उसने अमेरिका को सिर्फ ‘झूठ और छल’ दिया है साथ आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दी है.
इस राशि में प्रमुख रूप से वित्त वर्ष 2016 के लिए विदेशी सैन्य अनुदान (एफएमएफ) में दिए जाने वाले 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की राशि शामिल हैं, जिसे कांग्रेस ने अनिवार्य बना दिया था. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017 के लिए पाकिस्तान को दी जाने वाली गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) 90 करोड़ डॉलर पर भी रोक लगा दी है.
(इनपुट एजेंसी से भी)