डोनाल्ड ट्रंप ने नववर्ष पर ट्वीट कर पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि पिछले 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर की सहायता राशि के बदले में उसने अमेरिका को सिर्फ ‘झूठ और छल’ दिया है साथ आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दी है.
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वॉशिंगटन: अमेरिका ने अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क नाम के आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करने में पाकिस्तान के नाकाम रहने और अपनी सरजमीं पर उनके पनाहगाह को नेस्तनाबूद करने में नाकाम रहने को लेकर इस्लामाबाद को सुरक्षा सहायता के तौर पर 1.15 अरब डॉलर से अधिक धन और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति शुक्रवार (5 जनवरी) को रोक दी. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नववर्ष ट्वीट के बाद पाकिस्तान को सभी सुरक्षा सहायता रोकने का कदम उठाया गया है. दरअसल, ट्रंप ने ट्वीट में आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने अमेरिका को झूठ और फरेब के सिवा कुछ नहीं दिया है तथा उसने पिछले 15 बरसों में 33 अरब डॉलर की मदद के बदले में आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया किया. रोकी गई रकम में वित्तीय वर्ष 2016 के लिए 25. 5 करोड़ डॉलर का फॉरेन मिलिट्री फंडिंग भी शामिल है. इसके अलावा रक्षा विभाग ने पाकिस्तान को 2017 के लिए 90 करोड़ डॉलर का गठबंधन सहायता कोष और पिछले वित्तीय वर्ष में खर्च नहीं किए गए अन्य धन को भी रोक दिया.
अमेरिकी विदेश विभाग प्रवक्ता हीथर नॉएर्ट ने संवाददाताओं से कहा, ‘आज हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि हम इस वक्त पाकिस्तान को राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता उस समय तक के लिए रोक रहे हैं जब तक कि पाक सरकार अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क सहित आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करती.’ उन्होंने कहा हमें लगता है कि आतंकी संगठन क्षेत्र को अस्थिर कर रहे हैं और अमेरिकी सैनिकों को भी निशाना बना रहे हैं. अमेरिका पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता रोकेगा. उन्होंने कहा, ‘इसलिए अमेरिका कानून के अनुसार जरूरी नहीं होने पर सैन्य उपकरण नहीं देगा ना ही सुरक्षा से जुड़े कोष देगा.’
ट्रंप प्रशासन के कदम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए पाकिस्तान ने कहा कि, ‘हम सुरक्षा सहयोग के मुद्दे पर अमेरिकी प्रशासन से बात कर रहे हैं और ब्योरे का इंतजार है.’ पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने इस्लामाबाद में एक बयान में कहा कि आने वाले समय में स्थिति स्पष्ट होगी. गौरतलब है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता के तौर पर सालाना एक अरब डॉलर दिया है. जमात उद दावा (जेयूडी) प्रमुख सईद को हाल ही में नजरबंदी से रिहा किया गया था. अमेरिका ने जेयूडी और फलह ए इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) को लश्कर ए तैयबा संगठन के लिए ‘आतंकी मुखौटा’ करार दिया है. लश्कर ए तैयबा का गठन सईद ने 1987 में किया था और मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों के लिए भारत और अमेरिका ने उसे जिम्मेदार ठहराया है. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉएर्ट से जब उनके दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि क्या सुरक्षा सहायता रोकने का संबंध सईद से है जिसे पाकिस्तान ने पिछले साल नवंबर में रिहा कर दिया था, हीथर ने कहा, ‘हमने पाकिस्तान में नजरबंद 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड को रिहा करने को लेकर निश्चित ही चिंता व्यक्त की है, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार इसका इससे कोई लेना-देना नहीं है.’
हीथर ने कहा, 'पाकिस्तान में रिहा किए गए मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड की कोई सूचना, जो उसकी दोबारा गिरफ्तारी करा सके, देने वाले को एक करोड़ डॉलर के पुरस्कार की घोषणा की गई है. हमने उस व्यक्ति को छोड़े जाने पर अपनी नाखुशी बिल्कुल स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर दी है और इसलिए हम लोगों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि उसे न्याय के दायरे में लाने के लिए एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित है.'
इस बीच, अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हमने हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के लिए पनाहगाह संबंधी पाकिस्तानी मसले पर चिंता व्यक्त की है. हम उनके परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित हैं. हम लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे भारत विरोधी संगठनों की फंड जुटाने और अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की क्षमता को लेकर भी चिंतित हैं.’
रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल माइक एंड्रयूज ने कहा कि ‘नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट 2017’ सीएसएफ में पाकिस्तान को 90 करोड़ डॉलर तक की मदद मुहैया कराता है. इसमें से 40 करोड़ डॉलर तभी जारी किए जा सकते हैं जब रक्षा मंत्री जिम मैटिस इस बात की पुष्टि कर दें कि पाकिस्तान सरकार ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ उचित कदम उठाए हैं. एंड्रयूज ने कहा, ‘‘इस स्तर पर वित्त वर्ष 2017 के सभी सीएसएफ पर रोक लगा दी गई जो कुल 90 करोड़ डॉलर की राशि है.’’
पेंटागन में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि क्या वे पाकिस्तान की सहायता राशि पर रोक लगाने से सहमत हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी इस पर कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि इसे अभी एक नीति के तौर पर तैयार किया जा रहा है. लेकिन मैं राष्ट्रपति को इस पर अपनी राय दूंगा.’’ विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2017 के लिए पाकिस्तान को 25 करोड़ 50 लाख डॉलर की मदद के संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
इसके लिए अंतिम तारीख 30 सितंबर है. हीथर ने कहा कि पाकिस्तानी नेतृत्व को कड़ा संदेश देने के लिए मैटिस ने विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के साथ हाल ही के महीनों में इस्लामाबाद की यात्रा की थी. इसलिए उनके लिए यह फैसला चौकानें वाला नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सहायता राशि पर अभी रोक लगाई गई है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमेशा के लिए है. हीथर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में यह काबलियत है कि वह भविष्य में यह राशि वापस हासिल कर ले लेकिन इसके लिए उसे निर्णायक कदम उठाने होंगे.’’
पाकिस्तान को मदद रोकने के अमेरिकी फैसले का सईद की रिहाई से लेना-देना नहीं: अमेरिका
वहीं दूसरी ओर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर से अधिक की सुरक्षा सहायता राशि रोकने के ट्रंप प्रशासन के फैसले का मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ इस्लामाबाद के कोई कदम नहीं उठाने से कोई लेना देना नहीं है.विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट से जब उनके दैनिक संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि क्या सुरक्षा सहायता रोकने का संबंध सईद से है जिसे पाकिस्तान ने पिछले साल नवंबर में रिहा कर दिया था, हीथर ने कहा, ‘हमने पाकिस्तान में नजरबंद 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड को रिहा करने को लेकर निश्चित ही चिंता व्यक्त की है, लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार इसका इससे कोई लेना देना नहीं है.’
हीथर ने कहा, ''पाकिस्तान में रिहा किए गए मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड की कोई सूचना जो कि उसकी दोबारा गिरफ्तारी का करण बन सके, देने वाले को एक करोड़ डॉलर के पुरस्कार की घोषणा की गई है. हमने उस व्यक्ति को छोड़े जाने पर अपनी नाखुशी बिल्कुल स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर दी है और इसलिए हम लोगों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि उसे न्याय के दायरे में लाने के लिए एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित है.''
(इनपुट एजेंसी से भी)