DNA: क्या है IMEC जो बनेगा चीन के BRI की काट, जानें रूट और कैसे होगा कारोबार
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DNA: क्या है IMEC जो बनेगा चीन के BRI की काट, जानें रूट और कैसे होगा कारोबार

IMEC Project Vs China BRI: IMEC को सीधे तौर पर चीन के BRI यानी 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' की काट के तौर पर देखा जा रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्ष 2013 में BRI का कॉन्सेप्ट दुनिया के सामने पेश किया था.

DNA: क्या है IMEC जो बनेगा चीन के BRI की काट, जानें रूट और कैसे होगा कारोबार

G20 Summit: दिल्ली G20 समिट को लेकर भारत की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है. दरअसल ये समिट कई मायनों में ऐतिहासिक रही. क्योंकि एक तो भारत की पहल पर अफ्रीकन यूनियन को भी G20 का स्थाई सदस्य बनाया गया और ये संगठन G20 से G21 बन गया. वहीं दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत सभी देशों की सहमति से साझा डेक्लेरेशन जारी करवाने में भी कामयाब रहा. यानी भारत की तरफ से पेश किए गए बयान पर रूस और चीन ने भी सहमति जताई और पश्चिमी देशों ने भी और ये भारत के लिए छोटी कामयाबी नहीं है.

लेकिन इस समिट को एक और बड़ी कामयाबी मिली है और ये कामयाबी है IMEC यानी India-Middle East-Europe Economic Corridor.शनिवार को पीएम मोदी ने पश्चिमी एशिया के रास्ते यूरोप को जोड़ने वाले इस corridor का ऐलान किया.

इसके लिए समिट के पहले दिन भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपियन यूनियन के नेताओं ने MoU पर साइन किए और इस मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर डील का ऐलान किया है.  ये प्रोजेक्ट क्या है. इस प्रोजेक्ट से क्या फायदे होंगे और ये किस तरह काम करेगा. आइए आपको बताते हैं.

  • पूरी दुनिया के 71 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्से में समन्दर फैले हैं और दुनिया का 95 प्रतिशत से भी ज्यादा कारोबार इन्ही समन्दरों के जरिए होता है.

  • प्राचीन भारत में मसालों का कारोबार रहा हो या फिर औपनिवेशिक दौर में कपड़ों और मशीनों का कारोबार, दुनिया की तमाम बड़ी ताकतें इन्हीं समुद्री रास्तों की मोहताज रही हैं.

  • भारत तक पहुंचने की चाहत लिए न जाने कितने वॉस्कोडिगामा और कोलम्बस लहरों से जूझते टकराते रहे.भारत से कारोबार की ख्वाहिश ने दुनिया को सिल्क रूट से लेकर स्पाइस रूट और कॉटन रूट दिए.

  • 21वीं सदी में भारत ने एक बार फिर दुनिया को नया रास्ता देने जा रहा है. ऐसा कारोबारी रास्ता, जो न सिर्फ भारत की, बल्कि उसके सहयोगियों की भी किस्मत बदल सकता है.

शनिवार को G20 समिट में पीएम मोदी ने एक नए इकॉनमिक कॉरिडोर का ऐलान किया. 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर' भारत को यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन होते हुए इजराइल और फिर यूरोप से कनेक्ट करेगा. इस कॉरिडोर में रेलमार्ग के साथ जल मार्ग भी शामिल होंगे.

कॉरिडोर के होंगे दो हिस्से

  • जानकारी के अनुसार इस कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे.पहला हिस्सा होगा ईस्ट कॉरिडोर. IMEC का ये हिस्सा भारत के पश्चिमी तट को फ़ारस की खाड़ी के रास्ते UAE के फुजैराह पोर्ट से जोड़ेगा. जबकि IMEC का दूसरा हिस्सा यानी नॉर्दन कॉरिडोर फारस की खाड़ी को रेलमार्ग और जलमार्ग के रास्ते यूरोप से जोड़ेगा.

  • यानी एक बार जब भारतीय उत्पाद फ़ारस की खाड़ी के रास्ते यूएई के फुजैराह पोर्ट तक पहुंच जाएंगे तो फिर उन्हें रेलमार्ग के जरिए सऊदी अरब तक पहुंचाया जाएगा. इसके बाद ये उत्पाद रेल के जरिए सऊदी अरब से जॉर्डन तक पहुंचाए जाएंगे और फिर जॉर्डन ने इन्हें ट्रेन के जरिए इजरायल के हाइफा पोर्ट तक पहुंचाया जाएगा.

  • एक बार जब उत्पाद हाइफा पोर्ट तक पहुंच जाएंगे तो फिर इन्हें समुद्री मार्ग के जरिए यूरोप के ग्रीस तक पहुंचा दिया जाएगा. करीब 6 हज़ार किलोमीटर लम्बे इस कॉरिडोर में करीब 2600 किलोमीटर का हिस्सा रेल नेटवर्क के जरिए तय किया जाएगा, जो यूएई के फुजैराह को इजराइल के हाइफ़ा से जोड़ेगा.

  • पश्चिमी एशिया से होकर गुजरने वाले इस रूट में बिजली के केबल, क्लीन हाइड्रोजन पाइपलाइन और ऑप्टिकल फाइबर केबल्स भी बिछाई जाएंगी. इससे न सिर्फ ट्रांसपोर्ट की लागत कम होगी, नई नौकरियां भी पैदा होंगी और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम होगा.

  • अभी यूरोप के साथ कारोबार के लिए स्वेज नहर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ये रास्ता न सिर्फ लंबा है, बल्कि इसमें कई चुनौतियां भी हैं.

  • जबकि IMEC कॉरिडोर भारत और यूरोप को और करीब ले आएगा. जानकारों के अनुसार मौजूदा रास्ते के मुकाबले ये रास्ता करीब 40 प्रतिशत समय और ईंधन की बचत करेगा.

  • इस प्रोजेक्ट के जरिए न सिर्फ भारत का सामान यूरोप और मिडिल ईस्ट तक पहुंचेगा, बल्कि नेपाल और बांग्लादेश जैसे देश भी अपने प्रोडक्ट, यूरोप समेत दुनिया के दूसरे हिस्सों तक कम लागत में भेज पाएंगे.

IMEC को सीधे तौर पर चीन के BRI यानी 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' की काट के तौर पर देखा जा रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्ष 2013 में BRI का कॉन्सेप्ट दुनिया के सामने पेश किया था.चीन के इस मेगा प्रोजेक्ट में सड़क मार्ग और जलमार्ग का बड़ा नेटवर्क शामिल है और इसके जरिए चीन सेंट्रल एशिया से होते हुए पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, यूरोप और लैटिन अमेरिका के बाजार तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है. लेकिन अब भारत ने IMEC प्रोजेक्ट पेश कर चीन को बड़ा झटका दिया है.

विवादित है चीन का बीआरआई प्रोजेक्ट

दरअसल चीन का BRI प्रोजेक्ट जितना बड़ा है, उतना ही विवादित भी है. BRI के तहत दुनिया भर के 165 देशों में करीब 2600 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनमें चीन 843 अरब डॉलर से ज़्यादा का निवेश कर चुका है. लेकिन इसमें भी 385 बिलियन डॉलर का निवेश उन देशों में किया गया है, जो बेहद गरीब हैं या फिर विकासशील देश हैं और चीन ने ये रकम उन्हें मदद के तौर पर नहीं दी है, Loan के तौर पर दी है.

इसलिए BRI प्रोजेक्ट को चीन की DEBT TRAP POLICY भी कहा जाता है. चीन पर आरोप हैं कि वो पहले गरीब देशों को ऊंची दरों पर कर्ज देता है और जब वो कर्ज नहीं चुका पाते तो फिर वो उनके संसाधनों पर कब्जा जमा लेता है. श्रीलंका इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. चीन ने श्रीलंका को हंबनटोटा पोर्ट विकसित करने के नाम पर भारी भरकम कर्ज दिया था. लेकिन श्रीलंका ये कर्ज नहीं चुका पाया और बदले में उसे हंबनटोटा को 99 वर्षों के लिए चीन को लीज पर देना पड़ा.

हालांकि अब बीआरआई में शामिल देश, चीन की इस चालबाजी को समझने लगे हैं और अब वो इससे दूरी बना रहे हैं. हालात ये हैं कि बीआरआई के 35 प्रतिशत प्रोजेक्ट भारी भरकम खर्च के बावजूद लटके हुए हैं और ये कब पूरे होंगे, कोई नहीं जानता. इटली भी उन देशों में एक है, जो सबसे पहले बीआरआई का हिस्सा बना था. लेकिन इटली की मीडिया के अनुसार अब इटली जल्दी ही बीआरआई से बाहर आने का ऐलान कर सकता है.

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