कांग्रेस को मिलने जा रहा है नया अध्यक्ष, जानें 137 वर्ष पुरानी पार्टी कैसे चुनती है अपना नेता

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से देश में वापसी की उम्मीद कर रही कांग्रेस पार्टी ने लोगों के बीच अपनी पहुंच बनानी शुरू कर दी है और इस की शुरुआत हुई है कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से. देश के कोने-कोने में जाकर राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत लोगों से मिलकर बातचीत कर रहे हैं. इस यात्रा के साथ-साथ पार्टी अपने अध्यक्ष के चुनावी सफर पर भी है.

Written by - Manushri Bajpai | Last Updated : Oct 17, 2022, 08:54 AM IST
  • खड़गे या थरूर- 19 अक्टूबर 2022 को मिलेगा नया अध्यक्ष
  • कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के संविधान के अनुसार होता है
कांग्रेस को मिलने जा रहा है नया अध्यक्ष, जानें 137 वर्ष पुरानी पार्टी कैसे चुनती है अपना नेता

नई दिल्ली: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए तैयार है. पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए आज यानी 17 अक्टूबर को चुनाव किए जाएंगे, जिसके नतीजे 19 अक्टूबर को सामने आएंगे. बता दें पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पूरे 21 बाद होने जा रहा है.

क्यों हो रहे चुनाव
एक तरफ जहां विरोधी दल परिवारवाद को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने भी अध्यक्ष पद पर चुनाव किए जाने की मांग की थी. जिसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराए जाएंगे. इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या, चुनाव कैसे होता है?...कौन-कौन इस चुनाव में वोट देता है? जैसे सवालों का जवाब हम आपको देते हैं.

कैसे होता है अध्यक्ष का चुनाव

कांग्रेस पार्टी के नियम अनुसार पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव वैसे ही होता है, जैसे देश में चुनाव होते हैं. पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए सबसे पहले सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (CEA) का गठन किया जाता है.

अथॉरिटी के अध्यक्ष और टीम का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष और CWC  मिलकर करते हैं. गठन हो जाने के बाद अथॉरिटी चुनाव का पूरा शेड्यूल तैयार करती है. जिसमें हर स्तर पर चयन प्रक्रिया, नामांकन वापसी प्रक्रिया, स्क्रूटनी,चुनाव, नतीजा और निर्णय आने के बाद जीते हुए केंडीडेट को सर्टिफिकेट देने की तारीख तय की जाती है. 

कौन-कौन डाल सकता है वोट

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के संविधान के अनुसार होता है, लेकिन इसकी शुरुआत सदस्यता अभियान से की जाती है,जो करीब एक साल चलता है. जिसके बाद बूथ,ब्लॉक और जिला समिति बनाई जाती है.समिति बनने के बाद जिला संगठन का निर्माण किया जाता है. 

बता दें कि इन समितियों का गठन भी चुनाव के आधार परहोता है. ब्लॉक कमिटी और बूथ कमिटी मिलकर प्रदेश कांग्रेस कमिटी का प्रतिनिधि चुनते हैं. जिसके बाद हर ब्लॉक से एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है. हर 8 पीसीसी पर एक केंद्रीय कांग्रेस कमिटी के प्रतिनिधि को चुना  जाता है और पीसीसी के प्रतिनिधि के वोटों के आधार पर पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव होता है.

कौन से सदस्य लड़ सकते हैं चुनाव
प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए नामांकन कर सकते हैं.पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार व्यक्ति के पास  10 पीसीसी प्रतिनिधि का समर्थन होना जरूरी होता है.  इसके बाद उम्मीदवारों के नामों को प्रदेश में तैनात किए गए रिटर्निंग अधिकारी के पास भेजा जाता है और चुनाव के लिए तारीख तय की जाती है.

इस बीच किसी भी सदस्य को अपना नामंकन वापसी के लिए सात दिन का समय दिया जाता है.पार्टी के मुताबिक अगर एक ही सदस्य बचता है. बाकी सब नामांकन वापिस ले लेते हैं तो उस व्यक्ति को ही पार्टी का अध्यक्ष बना दिया जाता है.

कितना होता है कार्यकाल
कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव हर पांच साल में होता है. बात कार्यकाल की करें तो पहले इस पद का कार्यकाल तीन वर्ष तक भी तय किया गया है.आपात स्थिति में जैसे कि पार्टी अध्यक्ष का अचानक निधन हो जाना या इस्तीफा देने पर कार्यकारी समिति पार्टी के वरिष्ठ महासचिव को अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी जाती है, जबतक नए अध्यक्ष का चुनाव न हो जाए.

हाल में ऐसी स्थिति तब देखी गई थी, जब 2019 में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद सौंपा गया था.

कौन-कौन संभाल चुका अध्यक्ष पद की कमान
कांग्रेस पार्टी में अब तक 19 दिग्गज नेता अध्यक्ष बन चुके हैं. इन 19 अध्यक्ष में 14 नेता गैर गांधी परिवार के थे. कांग्रेस पार्टी के पहले अध्यक्ष आचार्य कृपलानी थे. सरदार वल्‍लभ पटेल के बाद पार्टी में सबसे ज्यादा वोट आचार्य को ही मिले थे. दूसरे अध्यक्ष थे सीतारमैया, तीसरे अध्यक्ष थे पुरुषोत्तम दास टंडन जो सालभर ही इस पद पर रह पाए थे .इनके बाद 5 साथ तक जवाहर लाल नेहरू ने पार्टी की कमान संभाली.

नेहरू के ये पद उच्छंगराय नवलशंकर ढेबर ने संभाला. फिर क्रमश: इंदिरा गांधी, नीलम संजीव रेड्डी, कामराज, एस निजलिंगप्‍पा, पी. मेहुल, जगजीवन राम, शंकर दयाल शर्मा, देवकांत बरुआ राजीव गांधी, कमलापति त्रिपाठी, पी वी नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी के बाद सोनिया गांधी इस पद पर 17 साल तक रही. सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी को ये पद सौंपा गया.राहुल के 2 साल इस पद पर रहने के बाद सोनिया गांधी 2019 में फिर अध्यक्ष बनीं.

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