PM मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' में गांधी जी के 'हिंद स्वराज्य' की झलक

 गांधीवाद पर एकाधिकार का दावा करने वाली कांग्रेस (Congress party) ने बापू के विचारों को खुद ही दफन कर दिया था. लेकिन अब प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी (Prime minister narendra modi) ने महात्मा गांधी के मूल विचार 'हिंद स्वराज्य'  को पुनर्जीवित करने का फैसला किया है. इसकी झलक दिखाई देती है पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा बताए गए आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के दर्शन में.   

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Oct 2, 2020, 06:36 PM IST
    • गांधी के हिंद स्वराज को लागू कर रहे हैं मोदी
    • भारत बन रहा है आत्मनिर्भर
PM मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' में गांधी जी के 'हिंद स्वराज्य' की झलक

नई दिल्ली: सीमा पर चीन से लगातार तनाव (Indo China stand off) के बाद भारत ने चीनी कंपनियों (Chinese compnies) को प्रतिबंधित कर दिया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भारत को विनिर्माण  में आत्मनिर्भर बनाने का एलान किया.  इसके तहत कई कदम उठाए गए.  

वोकल फॉर लोकल
पीएम ने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह था- वोकल फॉर लोकल (Vocal for local) का नारा यानी कि स्थानीय वस्तुओं स्थानीय उत्पादों को इतना जोर शोर से प्रचारित किया जाए कि उसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे. 

दिलचस्प तो यह है कि आज से लगभग 100 साल पहले गांधी जी ने भी ऐसा ही सपना देखा था.  महात्मा गांधी भारतीय गांवों और उनकी पंचायती व्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने के पक्ष में थे. गांधी जी ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी हिंद स्वराज्य. यह किताब गांधी जी ने ट्रेन में बैठे बैठे हाथ से लिख दी थी. लेकिन यह छोटी सी पुस्तिका आधुनिक भारत के विकास का दस्तावेज है. 

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के हिंद स्वराज्य के विचार को ही आधार बनाकर काम करना शुरू किया है.  आज आत्मनिर्भर भारत की गूंज है स्थानीय वस्तुओं को स्थानीय उत्पादकों को उनकी चीजों की सही कीमत दिलाने की मुहिम शुरू हो चुकी है. 

चीन ने भी ऐसे ही की थी तरक्की
 चीन से प्रतियोगिता में ही सही, भारत ने सही समय पर बिल्कुल सही कदम उठाया है.  चीन ने 80 के दशक में डेंग जियाओ फिंग के नेतृत्व में कुछ ऐसा ही किया था.  जिसके बाद चीन ने जो तरक्की की उसे पूरी दुनिया देख रही है. 

 अगर कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी के विचारों को स्वीकार करती तो देश में बड़े बड़े उद्योगों की जगह छोटे छोटे कुटीर उद्योगों का जाल बिछा होता.  तकनीक और उत्पादकता गांव और तहसील के स्तर तक पहुंच चुकी होती.  लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने छोटे उद्योगों की बजाय बड़ी औद्योगिक इकाइयों पर जोर दिया. 

जिसके तहत बड़ी बड़ी कॉटन और इस्पात की फैक्ट्रियां लगाई गईं. नेहरु इन्हें 'आधुनिक भारत का मंदिर' कहते थे. लेकिन दूरदर्शी सोच न होने की वजह से इसमें से ज्यादातर बंद हो चुके हैं. 

लेकिन शुरुआत में इन बड़ी फैक्ट्रियों में काम करने के लिए गांवो से मजदूर आए. इससे गांवों से आबादी का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ. शहरों पर आबादी का बोझ बहुत ज्यादा हो गया. गंदी झुग्गियों की परंपरा शुरु हुई. 

वर्तमान कोरोना काल में जो मजदूरों का संकट हमने देखा कि कैसे मजदूरों के झुंड महानगरों से पैदल अपने गांव जाने को मजबूर हुए.  वह शहरीकरण के दुष्प्रभाव का ही एक दर्दनाक दृश्य था. 

गांवो का विकास भूल गई कांग्रेस 
गांधीजी ने ऐसी ही विसंगतियों को दूर करने के लिए ग्रामीण इकाइयों के विकास का सुझाव दिया था.  लेकिन गांधीवाद की माला जपने वाली कांग्रेस की सरकारों ने कभी भी गांधी के मूल विचारों को पर ध्यान नहीं दिया. 

लेकिन समय ऐसा आ चुका है कि हमें गांधी की मूल व्यवस्था पर लौटना ही पड़ेगा.  ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता पूरे भारत की विकास की तकदीर बदलने वाली है. 

आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो आत्मनिर्भर भारत का बिगुल फूंका है उसके नतीजे कुछ इस तरह दिखाई देने लगे हैं- 

1. रक्षा निर्माण के क्षेत्र में 74 फीसदी विदेशी निवेश का रास्ता खोल दिया गया है. जिसके बाद भारत अपनी रक्षा जरुरतो की पूर्ति के लिए खुद ही उत्पादन बढ़ेगा. इसकी वजह से देश में नौकरियों की संख्या बढ़ जाएगी. इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, लेवल प्लेइंग फील्ड की तैयारी, एक्सपोर्ट प्रक्रिया का सरलीकरण, ऑब्सेट के प्रावधानों में सुधार जैसे कई कदम उठाए गए हैं. 

2.आत्मनिर्भर भारत ने बड़े राहत पैकेज का ऐलान किया है. आर्थिक पैकेज से 45 लाख MSME यूनिट को लाभ होगा. उन्हें 3 लाख करोड़ के लोन का प्रावधान किया गया है. इस लोन के लिए किसी तरह की गारंटी नहीं देनी होगी.  

3. मोदी सरकार भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इतनी ज्यादा उत्सुक है कि उसने इसके लिए जो पैकेज का ऐलान किया है, वह पाकिस्‍तान, वियतनाम, पुर्तगाल, ग्रीस, रोमानिया और न्‍यूजीलैंड जैसे 150 देशों की जीडीपी से ज्‍यादा है

4. पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की कमान खुद अपने हाथों में थाम रखी है. इसके लिए वह लगातार बैठकें कर रहे हैं. वे मंत्रियों के साथ बैठक में न सिर्फ उनके विभाग की योजनाओं की जानकारी लेते हैं बल्कि उनसे आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए सुझाव भी मांगते हैं.  

5. रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत तेजी से आत्मनिर्भर होता जा रहा है. अगस्त में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की है कि 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर अब रोक लगा दी गयी है. इनका उत्पादन और निर्माण अब भारत मे ही किया जायेगा.

6. पीएम मोदी ने आपदा को अवसर में बदलने का नारा दिया और बताया कि जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई (PPE) किट नहीं बनती थी. एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था. आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं. आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि भारत के आत्मनिर्भर होने के लिए उतनी ही प्रभावी होने वाली है. 

7. प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि आत्मनिर्भरता,आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है. आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है. 

8. सरकार की योजना है कि स्थानीय स्तर पर जो उत्पाद तैयार किए जाएंगे, उसकी ब्रांड एंबेस्डर ग्रामीण महिलाओं को बनाया जाएगा. इस उद्देश्य से उज्जवला योजना का फायदा ले रही महिलाओं की एक सभा में इस बात का ऐलान भी किया गया. जिससे महिलाएं बेहद खुश दिखाई दीं. 

9. खास बात ये भी है कि आत्मनिर्भर भारत बनाए जाने का मतलब यह नहीं है कि भारत ने औद्योगीकरण का अपना रास्ता छोड़ दिया है. वह पहले की तरह बदस्तूर जारी रहेगा. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश में ग्लोबल सप्लाई चेन और भरोसेमंद पार्टनर के साथ पहले की तरह व्यापार चलता रहेगा. इसके लिए अलग अलग क्षेत्र तय किए गए हैं. 

10. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से भाषण देते हुए साफ तौर पर कहा था आत्मनिर्भर भारत की मुहिम बाकी विश्व के खिलाफ नहीं है. हम 'मेक इन इंडिया' के साथ 'मेक फॉर वर्ल्ड' का मंत्र लेकर आगे बढ़ रहे हैं. वन नेशन-वन टैक्स, Insolvency एंड Bankruptcy Code, बैंकों का Merger आज देश की सच्चाई है. इन रिफॉर्म्स और उससे निकले परिणामों का असर दिख रहा है. पिछले साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आज दुनिया की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं.

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