India Gate Basmati Rice Success Story : लंबे-पतले, और खुशबूदार बासमती चावल, जो 134 साल पहले पाकिस्तान से चलकर भारत पहुंचा, आज राइस मार्केट का किंग बन चुका है.  ये कहानी उस कंपनी की है, जिसकी दिल तो दिल्ली में बसा है, लेकिन तहजीब पेशावर से मिला है. साल 1889 में दो भाई खुशी राम और बिहारी लाल ने लायलपुर में चावल, तेल और गेंहू का छोटा सा कारोबार शुरू किया. ये छोटा सा कारोबार भारत पहुंचकर राइस मार्केट का किंग बन  गया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कहानी इंडिया गेट बासमती राइस की


खुशी राम और बिहारी लाल ने लायलपुर, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. जब विभाजन हुआ तो दो दोनों भाइयों ने पाकिस्तान छोड़ने का फैसला किया और भारत आ गए. दोनों अपना सबकुछ छोड़कर भारत आए थे. यहां दिल्ली के लाहौरी गेट से उन्होंने फिर से शुरुआत की. दोनों ने केआरबीएल (KRBL) नाम से एक कंपनी बनाई और चावल-दाल, तेल जैसी चीजें बेचना शुरू किया. कई सालों के संघर्ष के बाद उनकी मेहनत रंग लाई और कुछ ही सालों में बासमाती चावल का बड़ा ब्रांड बन गया. 


संघर्ष से सफलता की कहानी 


दिल्ली के लाहौरी गेट से शुरू हुआ छोटा सा कारोबार आज करोड़ों का व्यापार बन चुका है. बासमती राइस का मतलब इंडिया गेट बासमती राइस के तौर पर जाना जाता है. लोगों ने इंडिया गेट राइस ब्रांड के बासमती चावल इतना ज्यादा पसंद किया गया है कि यह घर-घर तक पहुंच गया.  जो कंपनी छोटे से दुकान से शुरू हुई, उसने साल 1880 में पहली बार बासमती चावल का पैकेट रूसी बाजार तक पहुंचाया।  


95000 किसानों को जोड़ा 


इंडिया गेट ने अपने साथ 95000 किसानों को जोड़ा है. कंपनी के पास 14 तरह के ब्रैंड राइस हैं. भारत में 500 से अधिक डीलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ केआरबीएल भारतीय बासमती चावल बाजार में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है. वर्तमान में कंपनी की कमान परिवार की पांचवीं पीढी प्रियंका मित्तल संभाल रही हैं।