धान-गेहूं नहीं, मशरूम उगाकर किसान से बदली किस्मत, हर साल 12 लाख की कमाई
आम तौर पर लोग धान-गेहूं जैसी फसलों की खेती पर फोकस करते है. पारंपरिक तरीकों से इसकी खेती की जाती है. कुछ लोग खेती के इसी तरीके को आगे बढ़ाते जाते हैं, तो कुछ अपना रास्ता बदल लेते हैं.
Mushroom Farming:आम तौर पर लोग धान-गेहूं जैसी फसलों की खेती पर फोकस करते है. पारंपरिक तरीकों से इसकी खेती की जाती है. कुछ लोग खेती के इसी तरीके को आगे बढ़ाते जाते हैं, तो कुछ अपना रास्ता बदल लेते हैं. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रहने वाले अनुभव सिंह ने भी खेती के तरीके में थोड़ा सा बदलाव किया और आज वो सालाना 12 लाख तक का मुनाफा कमा रहे हैं.
मशरूम की खेती
ममरखापुर गांव के रहने वाले अनुभव सिंह ने पुश्तैनी दो बीघे जमीन पर मशरूम की खेती करने का फैसला किया. मशरूम की खेती का तरीका सीखा और इस मिशन में जुट गए. पहले साल ही में ही अच्छा मुनाफा हुआ तो उन्होंने खेती को और बढ़ाने का फैसला किया. अगले साल 2 के बजाए 5 बीघे जमीन पर मशरूम की खेती की. छप्पर के बंगले बनाकर मशरूम उगाना शुरू किया. 20-25 मजदूरों को काम पर रखा.
कैसे होती है मशरूम की खेती
मशरूम की खेती के लिए एक निश्चित तापमान का ख्याल रखना जरूरी होता है. यह फसल 15 से 17 डिग्री टेंपरेचर पर अच्छे से उग पाता है. फूस के छप्परों की सेट के नीचे कंपोस्ट खाद का बेड बनाया जाता है. इसी में मशरूम के बीज डालकर उसकी खेती की जाती है. खाद तैयार करने के लिए वो गेहूं का भूसा, पोटाश, चोकर, यूरिया, नीम की खली और पानी मिलाकर एक महीने तक सड़ाते हैं. जब खाद तैयार हो जाता है तो उसकी स्टेचर पर मोटी मोटी बेड बनाकर उसमें मशरूम के बीज को बोते हैं. बीज को बोने के बाद उसे ढक दिया जाता है और करीब एक महीने बाद उसमें मशरूम निकलना शुरू हो जाता है.
12 लाख तक की कमाई
आमतौर पर मशरूम पर उन्हें अच्छा खरीद भाव मिल जाता है. लागत निकालकर अनुभव हर साल 10 से 12 लाख रुपये कमा लेते हैं। अब उनके अलावा गांव के कई किसानों ने मशरूम की खेती शुरू कर दी है. बारबंकी में मशरूम की खेती में बड़ी तेजी देखने को मिली है. अनुभव दूसरे किसानों को भी मशरूम की खेती का तरीका सिखा रहे हैं.